"तुम दलित हो, शादी नहीं कर सकता": शादी का झांसा देकर संबध बनाने के आरोपी कांस्टेबल की बेल कर्नाटक HC ने ठुकराई, कहा - स्पष्ट जातिगत अत्याचार...

हाईकोर्ट ने कहा, "पीड़िता के अनुसार आरोपी ने साईं बाबा की फोटो के सामने शादी की और कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन पत्नी मानने से मुकर गया। जब वह जिद करने लगी, तो जाति का बहाना बनाकर धोखा दिया।"
आरोपी पुलिस कांस्टेबल ने शादी का झूठा वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन जब पत्नी का दर्जा देने की बारी आई, तो जाति का बहाना बनाया।
आरोपी पुलिस कांस्टेबल ने शादी का झूठा वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन जब पत्नी का दर्जा देने की बारी आई, तो जाति का बहाना बनाया।AI निर्मित सांकेतिक चित्र
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बेंगलुरु- कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में आरोपी पुलिस कांस्टेबल की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है, जहां प्रेम के नाम पर एक दलित महिला को धोखा दिया गया। आरोपी ने शादी का वादा कर महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में उसकी अनुसूचित जाति (एससी) की पहचान का हवाला देकर रिश्ता तोड़ दिया और मारपीट भी की।

हाईकोर्ट के जस्टिस एस रचैया ने 3 नवंबर को दिए फैसले में स्पष्ट कहा कि यह एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गंभीर अपराध है, और धारा 18ए के तहत जमानत पर सख्त मनाही है। कोर्ट ने कहा, "शिकायत के आरोपों से स्पष्ट है कि आरोपी ने अनुसूचित जाति से होने के कारण उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अपराध के आवश्यक तत्व सिद्ध हो जाते हैं। इसलिए, उक्त अधिनियम की धारा 18ए के तहत वह अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है।"

जानिये क्या है पूरा मामला

मामला तुमकुर जिले के अमृतुर पुलिस स्टेशन से जुड़ा है, जहां आरोपी कांस्टेबल और पीड़िता दोनों ही सहकर्मी के रूप में तैनात थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार घटना की शुरुआत 14 फरवरी 2023 को हुई, जब आरोपी पीड़िता के आधिकारिक निवास पर पहुंचा। वहां उसने शादी करने की इच्छा जाहिर की और साईं बाबा की फोटो के सामने एक साधारण विवाह समारोह किया। आरोपी ने पीड़िता को आश्वासन दिया कि जाति संबंधी विवाद सुलझने तक इस शादी को गुप्त रखा जाए।

इसके बाद आरोपी ने कई बार पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन उसे यह कहते हुए मंगलसूत्र पहनने नहीं दिया कि इससे दोनों को परेशानी हो सकती है। पीड़िता ने भरोसा करते हुए चुप्पी साध रखी, लेकिन जब उसने शादी को सार्वजनिक करने की मांग की, तो आरोपी ने साफ इनकार कर दिया। उसका बहाना था कि पीड़िता अनुसूचित जाति से है, जबकि वह खुद अलग जाति का है। न सिर्फ इनकार किया, बल्कि शादी के लिए जोर देने पर आरोपी ने पीड़िता के साथ मारपीट भी की। आहत और धोखे का शिकार होकर पीड़िता ने आखिरकार शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर अमृतुर पुलिस ने क्राइम नंबर 81/2025 दर्ज किया।

कानूनी प्रावधान जो केस में लागू हुए

इस केस में आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 318(2) (धोखाधड़ी), 352 (मारपीट), 115(2) (आपराधिक साजिश), 351(2) (आपराधिक धमकी), 54 (अपराध छिपाना) और 74 (अपराध का सहयोग) के साथ-साथ धारा 3(5) लगाई गई हैं। इसके अलावा, एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1)(r) (जाति के कारण अपमान), 3(1)(s) (जाति के कारण धोखा), 3(1)(w)(i) (जाति आधारित अपराध) और 3(2)(va) (जाति के कारण सामूहिक अपराध) भी जोड़ी गई हैं।

केस अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, तुमकुर की अदालत में लंबित है। ट्रायल कोर्ट ने 9 जून को आरोपी की जमानत याचिका (सीआरएल.मिस.761/2025) खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ आरोपी ने एससी/एसटी एक्ट की धारा 14(ए)(2) के तहत अपील दायर की। यह अपील सीआरएल.ए नंबर 1363/2025 के रूप में कर्नाटक हाईकोर्ट में दर्ज हुई, जहां राज्य की ओर से एसपीपी और पीड़िता की ओर से वकील ने पक्ष रखा।

आरोपी पुलिस कांस्टेबल ने शादी का झूठा वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन जब पत्नी का दर्जा देने की बारी आई, तो जाति का बहाना बनाया।
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आरोपी ने कहा - पीडिता ने रखा था शादी का प्रस्ताव

अपील की सुनवाई 26 सितंबर को हुई, जहां आरोपी के वकील दयानंद हीरमठ ने जोरदार दलीलें दीं। उन्होंने दावा किया कि पूरा मामला फर्जी है और पीड़िता ने ही शादी का प्रस्ताव रखा था। जब आरोपी ने इनकार किया तो बदला लेने के लिए झूठे आरोप लगाए गए। वकील ने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है कि आरोपी ने शादी की या शारीरिक शोषण किया। उन्होंने यह कहते हुए जाति आधारित इनकार का भी खंडन किया कि मात्र आरोपों से अपराध सिद्ध नहीं होता।

इसके अलावा वकील ने आरोपी के व्यक्तिगत कष्टों पर जोर दिया। आरोपी एक पुलिस कांस्टेबल है, जो परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य है। वह सिंदगी तालुक, विजयपुरा जिले के मानापुरा गांव का स्थायी निवासी है। जमानत न मिलने से पूरे परिवार को आर्थिक कठिनाई हो जाएगी। वकील ने अनुरोध किया कि सख्त शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दी जाए, और आरोपी कोर्ट की शर्तों का पालन करने को तैयार है।

दूसरी ओर राज्य की ओर से हाईकोर्ट सरकार वकील वहीदा एम.एम. ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने शिकायत के तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी ने जानबूझकर पीड़िता को प्रेम जाल में फंसाया। शादी का झूठा वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन जब पत्नी का दर्जा देने की बारी आई, तो जाति का बहाना बनाया। उन्होंने कहा कि आरोपी ने पीड़िता को पत्नी की पहचान देने से इनकार किया और मारपीट की। यह एससी/एसटी एक्ट के तहत स्पष्ट जातिगत अत्याचार है। वकील ने धारा 18ए का उल्लेख किया, जो ऐसे मामलों में जमानत पर पूर्ण रोक लगाती है। उन्होंने अपील खारिज करने की मांग की ताकि जांच प्रभावित न हो।

हाईकोर्ट ने इसलिए खारिज की जमानत याचिका

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शिकायत के रिकॉर्ड की गहन समीक्षा की। जस्टिस रचैया ने फैसले में तथ्यों को विस्तार से दोहराया। उन्होंने लिखा कि आरोपी और पीड़िता दोनों अमृतुर पुलिस स्टेशन में कांस्टेबल के रूप में काम करते थे। दोनों के बीच निकटता बढ़ी और शादी का फैसला हुआ। पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने उसके घर साईं बाबा की फोटो के सामने शादी की और पति-पत्नी की तरह रहने लगा। कई बार शारीरिक संबंध बने, लेकिन सार्वजनिक घोषणा से टालता रहा। जब पीड़िता ने जोर दिया, तो आरोपी ने जाति का हवाला देकर धोखा दिया।

कोर्ट ने कहा, "पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने साईं बाबा की फोटो के सामने शादी की और कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन पत्नी मानने से मुकर गया। जब वह जिद करने लगी, तो जाति का बहाना बनाकर धोखा दिया।" कोर्ट ने माना कि शिकायत के आरोप एससी/एसटी एक्ट के अपराध के तत्वों को आकर्षित करते हैं। इसलिए, धारा 18ए की मनाही के कारण जमानत नहीं दी जा सकती। अपील खारिज कर दी गई, और आरोपी को ट्रायल का सामना करना होगा।

आरोपी पुलिस कांस्टेबल ने शादी का झूठा वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन जब पत्नी का दर्जा देने की बारी आई, तो जाति का बहाना बनाया।
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