
पटना/रांची/नई दिल्ली - बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयुष डॉक्टर नुसरत परवीन का नकाब मंच पर जबरन खींचने का विवाद अब सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है, और इसकी लहरें राष्ट्रीय स्तर पर फैल रही हैं। 20 दिसंबर की जॉइनिंग डेडलाइन बीत चुकी है, लेकिन डॉ. परवीन ने पटना सदर के सबलपुर पीएचसी में अपनी सरकारी नौकरी जॉइन नहीं की। पटना सिविल सर्जन अविनाश कुमार सिंह ने शनिवार शाम 7 बजे तक कोई जॉइनिंग न होने की पुष्टि की, जबकि डेडलाइन को विशेष परिस्थितियों में बढ़ाए जाने की बात कही जा रही है।
इधर, झारखंड सरकार की तरफ से युवा डॉक्टर को 3 लाख रुपये मासिक वेतन, मनचाही पोस्टिंग, सरकारी फ्लैट और पूर्ण सुरक्षा वाला आकर्षक ऑफर दिया गया है, अब लोगों का सोचना है क्या वे इसे स्वीकार करेंगी? इधर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने घटना की कड़ी निंदा की है, जबकि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसे 'पिता-पुत्री विवाद' बताकर विवाद को कम करने की कोशिश की। यह घटना अब महिलाओं की गरिमा, धार्मिक स्वतंत्रता और राजनीतिक जवाबदेही पर गहन बहस का केंद्र बनी हुई है।
15 दिसंबर को पटना के 'संवाद' कार्यक्रम में नीतीश कुमार द्वारा गवर्नमेंट तिब्बी कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना की द्वितीय वर्ष की छात्रा डॉ. नुसरत परवीन का नकाब खींचे जाने का वीडियो वायरल होने के बाद से ही विवाद चरम पर है। आयुष विभाग में चयनित डॉ. परवीन को अन्य स्टूडेंट्स के साथ 20 दिसंबर तक जॉइनिंग करने का समय दिया गया था, लेकिन शनिवार शाम तक वे सबलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) नहीं पहुंचीं। पटना सिविल सर्जन अविनाश कुमार सिंह ने बताया, "शनिवार शाम 7 बजे तक डॉ. परवीन की जॉइनिंग नहीं हुई है। मुझे जानकारी मिली है कि अंतिम तिथि 20 दिसंबर से आगे बढ़ा दी गई है। सोमवार को जॉइन करेंगी या नहीं, यह देखना बाकी है।" सिंह ने कहा कि वे डॉ. परवीन या उनके परिवार से संपर्क में नहीं हैं, इसलिए देरी का सटीक कारण उन्हें नहीं पता।
सबलपुर पीएचसी के सर्जन विजय कुमार ने भी पुष्टि की, "आज पांच-छह लोगों ने जॉइनिंग की है, लेकिन डॉ. परवीन उनमें शामिल नहीं हैं। उनका नाम सूची में है, लेकिन पटना सिविल सर्जन कार्यालय से उनका नियुक्ति पत्र हमें नहीं मिला।" यह पुष्टि परिवार की ओर से पहले दिए गए बयान से मेल खाती है, नुसरत के भाई जो कोलकाता में सरकारी लॉ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं, ने कहा था कि उनकी बहन आहत होने से नौकरी ठुकराने पर अड़ी हैं, हालांकि परिवार उन्हें समझा रहा है।
गवर्नमेंट तिब्बी कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीटीसीएच) के प्रिंसिपल महफूजुर रहमान ने शनिवार को कहा, "आयुष डॉक्टर नुसरत परवीन अभी तक जॉइन नहीं हुई हैं, और उनकी आगे की कार्रवाई पर कोई अपडेट नहीं है।" उन्होंने 'विशेष मामले' में डेडलाइन बढ़ाने का संकेत दिया, लेकिन परिवार की इच्छा पर जोर दिया: "परिवार ने कहा है कि वे मीडिया कवरेज से बचना चाहते हैं, और डॉक्टर खुद सोच रही हैं कि जॉइन करें या नहीं।" रहमान ने नुसरत के पति के हवाले से बताया कि परिवार को मुख्यमंत्री नितीश से कोई शिकायत नहीं है लेकिन मीडिया द्वारा खड़े किये गये इस विवाद से हताश है। प्रिंसिपल ने यह भी बताया कि नुसरत ने आखिरी बार 17-18 दिसंबर को कॉलेज अटेंड किया था और परिवार के कोलकाता चले जाने की बात को भी गलत बताया।
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पटना में पत्रकारों से बातचीत में घटना पर निराशा जताई, लेकिन इसे राजनीतिक रंग देने से इनकार किया। उन्होंने कहा, "इस मामले में 'विवाद' शब्द सुनकर दुख होता है। पिता और पुत्री के बीच कोई विवाद हो सकता है क्या?" खान ने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा, "आप लोगों ने इसे क्या बना दिया? यह व्यक्ति (नीतीश कुमार) महिला छात्राओं को अपनी पुत्रियों की तरह मानते हैं।" यह बयान विपक्ष के लिए कोढ़ में खाज साबित हुआ, जहां आरजेडी ने तंज कसा: "राज्यपाल साहब, सहमति का मतलब समझें।"
झारखंड महागठबंधन सरकार ने विवाद पर मानवीय जवाब देते हुए 21 दिसंबर को डॉ. नुसरत को विशेष ऑफर दिया। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने घोषणा की: "बिहार में महिला डॉक्टर डॉ. नुसरत प्रवीण के साथ हुई अमानवीय और शर्मनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। हिजाब खींचना सिर्फ एक महिला का नहीं, संविधान और इंसानियत का अपमान है।झारखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के मानवीय निर्णय से यह साफ संदेश गया है— झारखंड में बेटियों और डॉक्टरों के सम्मान से कोई समझौता नहीं। डॉ. नुसरत प्रवीण को झारखंड में ₹3,00,000 मासिक वेतन सरकारी नौकरी मनचाही पोस्टिंग सरकारी फ्लैट पूर्ण सुरक्षा और सम्मानजनक कार्य वातावरण यह नियुक्ति नहीं, सम्मान की जीत है। जहां अपमान था, वहां झारखंड ने इंसानियत की मिसाल पेश की।"
उधर दूसरी ओर नुसरत के समर्थन में अनेक समूह आगे आ रहे हैं जिसमे सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारी समिति ने भी हिजाब जबरन खींचने की घटना की कड़ी निंदा की है। एससीबीए ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और उत्तर प्रदेश मंत्री संजय निषाद की अभद्र टिप्पणियों की भी भर्त्सना की, जो महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं। एससीबीए की मानद सचिव प्रज्ञा बागेल ने इसे महिला की व्यक्तिगत गरिमा पर गंभीर अतिक्रमण करार देते हुए कहा कि उच्च पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा किसी महिला की स्वायत्तता, गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता का अपमान करना अत्यंत चौंकाने वाला है। यह न केवल युवा डॉक्टर की स्वतंत्रता व एजेंसी का उल्लंघन है, बल्कि महिलाओं के प्रति विकृत मानसिकता का प्रतिबिंब भी है। एससीबीए ने इसे भारत के संविधान में निहित समानता व भेदभाव-रहित सिद्धांतों पर आघात बताया। एसोसिएशन ने तीनों से बिना शर्त माफी की मांग की है तथा व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा व कानून के शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा महबूबा मुफ़्ती ने कोठी बाग पुलिस स्टेशन में नीतीश कुमार के खिलाफ एक मुस्लिम महिला की गरिमा का उल्लंघन करने और जबरन उसका नकाब हटाने के लिए FIR दर्ज करने की शिकायत दर्ज कराई है।
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