यह घटना एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गई है, जिसमें विपक्षी दल सत्ताधारी नेतृत्व पर असंवेदनशीलता, सत्ता के दुरुपयोग और अल्पसंख्यक महिलाओं के प्रति अनादर को सामान्य बनाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि जवाबदेही और कानूनी जांच की मांग बढ़ रही है।
बिहार सीएम नीतीश कुमार के हिजाब खींचने के विवाद पर उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का विवादास्पद बयान सोशल मीडिया पर भूचाल ला रहा हैसोशल मीडिया

"छू दिया नक़ाब तो इतना हो गया..कहीं और छूते तब क्या होता.." : बिहार सीएम के हिज़ाब विवाद पर योगी कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के बयान से भड़की पब्लिक

विवाद बढ़ते देख मंत्री की सफाई, कहा कि बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है।
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नई दिल्ली- बिहार सीएम नीतीश कुमार के हिजाब खींचने के विवाद पर उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का विवादास्पद बयान सोशल मीडिया पर भूचाल ला रहा है, जहां उन्होंने घटना को जायज ठहराते हुए हंसते हुए कहा कि 'वो भी तो आदमी हैं, इतना पीछे नहीं पड़ना चाहिए.. नकाब छू लिया तो इतना हो गया... कहीं और छू देते तब क्या होता?'।

योगी आदित्यनाथ सरकार में निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद जो बीजेपी गठबंधन के सहयोगी हैं ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में यह टिप्पणी की, जो महिलाओं की गरिमा को मजाक उड़ाने वाली लगी। विपक्ष ने इसे 'घटिया मानसिकता' करार दिया, खासकर तब जब यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या सबसे ज्यादा है – एनसीआरबी डेटा के मुताबिक 2024 में राज्य में 59,445 मामले दर्ज हुए। समाजवादी पार्टी की सुमैया राना ने कैसरबाग थाने में नीतीश कुमार और संजय निषाद दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना और महिला की गरिमा का अपमान का हवाला दिया गया। विवाद को बढ़ते देख मंत्री ने सफाई दी, उन्होंने कहा कि बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है।

सुमैया राना ने मीडिया से बातचीत में कहा, "संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति का इस तरह का व्यवहार करना मतलब है कि वह अपने दूसरे कर्मचारियों को भी ऐसे ही काम करने के लिए बढ़ावा दे रहा है।" राणा ने यूपी के मंत्री संजय निषाद की तरफ से की गई विवादित बात का भी ज़िक्र किया।

राणा के साथ मौजूद वकील मिशम ज़ैदी ने कहा कि इस घटना में कानून के तहत गंभीर दंडात्मक प्रावधान लागू होते हैं। ज़ैदी ने कहा, "उसने एक महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाई है। संजय निषाद ने जो किया है, वह धार्मिक भावनाओं को भड़काता है," उन्होंने आगे कहा कि धारा 153A ऐसे कामों पर लागू होती है जो दुश्मनी को बढ़ावा देते हैं और कानून व्यवस्था को बाधित करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हिजाब को कथित तौर पर पकड़ने और खींचने के लिए नीतीश कुमार पर सीधे धारा 354 लागू होगी।

यह घटना एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गई है, जिसमें विपक्षी दल सत्ताधारी नेतृत्व पर असंवेदनशीलता, सत्ता के दुरुपयोग और अल्पसंख्यक महिलाओं के प्रति अनादर को सामान्य बनाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि जवाबदेही और कानूनी जांच की मांग बढ़ रही है।

मंत्री का बयान: बचाव या बेइज्जती?

मंत्री निषाद ने पत्रकार से बातचीत में हँसते हुए कहा, 'अरे, वो भी तो आदमी हैं ना, पीछे नहीं पड़ना चाहिए। नकाब छू दिया तो इतना हो गया... कहीं और छू देते तो क्या हो जाता?' इंटरव्यू के दौरान वे मुस्कुराते और हंसते नजर आए, जिसे आलोचकों ने 'महिलाविरोधी' और 'दुराचारी सोच' बताया। बाद में स्पष्टीकरण देते हुए निषाद ने इसे 'भोजपुरी अंदाज में हल्की-फुल्की बात' कहा और कहा कि किसी समुदाय या महिला का अपमान करने का इरादा नहीं था। फिर भी, सोशल मीडिया पर ये वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है, जहां यूजर्स जैसे @Muslim_ITCell ने इसे 'महिलाओं के खिलाफ हिंसा को सामान्य बनाने' वाली टिप्पणी बताया। आम आदमी पार्टी के हैंडल से क्लिप शेयर की गई जिसमे निषाद के बयान की निंदा करते हुए लिखा कि "इस घटिया मानसिकता के साथ ये BJP सरकार में मंत्री बने बैठे हैं, इसी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ सबसे ज़्यादा अपराध होते हैं।"

कांग्रेस लीडर सुप्रिया श्रीनेत ने अपने पोस्ट में लिखा, " “सिर्फ नकाब हटाया है तो इतना हल्ला, कहीं यहाँ-वहाँ उंगली लगा देते तो क्या होता” ये बेशर्मी की बात हँसते हुए यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद कह रहे हैं जिस अंदाज़ और जिस काईयाँ हँसी के साथियों यह कह रहे हैं वो उनकी घटिया, बेहूदा और महिला विरोधी सोच दिखाता है।" कांग्रेस की प्रवक्ता डॉ रागिनी नायक ने कहा, " ऐसी बेहूदा टिप्पणी के बाद बेशर्मी से हँसने वाले ये व्यक्ति यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद हैं देश, समाज, प्रदेश तो छोड़िए, क्या इनके घर की महिलाएँ सुरक्षित होंगी ??" आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती ने इस बयान की निंदा करते हुए लिखा, " मुझे तो अब इनके घर की महिलाओं की चिंता हो रही है!"

यह घटना एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गई है, जिसमें विपक्षी दल सत्ताधारी नेतृत्व पर असंवेदनशीलता, सत्ता के दुरुपयोग और अल्पसंख्यक महिलाओं के प्रति अनादर को सामान्य बनाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि जवाबदेही और कानूनी जांच की मांग बढ़ रही है।
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यह घटना एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गई है, जिसमें विपक्षी दल सत्ताधारी नेतृत्व पर असंवेदनशीलता, सत्ता के दुरुपयोग और अल्पसंख्यक महिलाओं के प्रति अनादर को सामान्य बनाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि जवाबदेही और कानूनी जांच की मांग बढ़ रही है।
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