आर्टिकल 370 निरस्त करने के विरोध में इस IAS अफ़सर ने छोड़ी थी नौकरी, अब कांग्रेस में शामिल, जानिये कौन हैं कन्नन गोपीनाथन

इस्तीफे के बाद सरकार ने इसे रद्द करने की कोशिश की, लेकिन गोपीनाथन ने इनकार कर दिया। यह घटना देशभर में चर्चा का विषय बनी, क्योंकि यह एक सिविल सर्वेंट का दुर्लभ विद्रोह था।
गोपीनाथन को एक सिद्धांतवादी प्रशासक के रूप में जाना जाता है, जो लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए हमेशा मुखर रहे।
गोपीनाथन को एक सिद्धांतवादी प्रशासक के रूप में जाना जाता है, जो लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए हमेशा मुखर रहे।
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नई दिल्ली- पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन जिन्होंने 2019 में जम्मू-कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगी पाबंदियों के विरोध में नौकरी छोड़ दी थी, आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा कि इस्तीफे के बाद देश के 80-90 जिलों में घूमकर लोगों और नेताओं से बातचीत करने पर उन्हें यकीन हो गया कि कांग्रेस ही देश को सही दिशा दे सकती है। गोपीनाथन ने कहा, "मैंने 2019 में नौकरी से इस्तीफा दिया और तब ये पता था कि सरकार देश को जिस दिशा में लेकर जा रही है, वह रास्ता गलत है। मुझे यह भी पता था कि इस 'गलत' के खिलाफ लड़ना है।" यह फैसला उन्हें सेवा करने और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का मंच देगा।

कन्नन गोपीनाथन का जन्म 12 दिसंबर 1985 को केरल में हुआ। वे 2012 बैच के आईएएस अधिकारी थे, जो अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर से जुड़े थे। उन्होंने दादरा और नगर हवेली में शहरी विकास एवं नगर एवं ग्रामीण नियोजन विभागों में सचिव के रूप में सेवा दी। गोपीनाथन को एक सिद्धांतवादी प्रशासक के रूप में जाना जाता है, जो लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए हमेशा मुखर रहे।

गोपीनाथन ने 21 अगस्त 2019 को आईएएस पद से इस्तीफा दिया। यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के विरोध में था। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी पर लगी पाबंदियां असहनीय थीं, और वे अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आजादी वापस चाहते थे। इस्तीफे के बाद सरकार ने इसे रद्द करने की कोशिश की, लेकिन गोपीनाथन ने इनकार कर दिया। यह घटना देशभर में चर्चा का विषय बनी, क्योंकि यह एक सिविल सर्वेंट का दुर्लभ विद्रोह था।

प्रमुख विवाद और मुखरता: सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल

इस्तीफे के बाद गोपीनाथन एक प्रमुख कार्यकर्ता बन गए। वे कश्मीर मुद्दे, मानवाधिकार, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), किसान कानूनों और कोविड-19 प्रबंधन पर सरकार की आलोचना के लिए जाने जाते हैं। 2019-20 में शाहीन बाग प्रदर्शनों और दिशा यात्रा में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुकदमा झेलना पड़ा। वे लोकतंत्र, सिविल लिबर्टीज और सांप्रदायिकता के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे। हाल ही में, सितंबर 2025 में उन्होंने चुनाव आयोग के वोटर पोर्टल में सुरक्षा खामियों को उजागर किया और फॉरेंसिक जांच की मांग की।

गोपीनाथन ने कहा कि इस्तीफे के बाद देश भर में यात्रा करने पर उन्हें एहसास हुआ कि वर्तमान सरकार सवाल उठाने वालों को देशद्रोही ठहराती है। उन्होंने कांग्रेस को ही वह पार्टी पाया जो न्याय और समावेशी समाज के लिए लड़ रही है। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि गोपीनाथन की मौजूदगी संविधान, स्वतंत्रता और समावेशी सामाजिक ढांचे की रक्षा के आंदोलन को मजबूती देगी। गोपीनाथन ने वादा किया कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे ईमानदारी से निभाएंगे।

गोपीनाथन का कांग्रेस में शामिल होना पार्टी के लिए, खासकर केरल में 2026 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए, एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है। गोपीनाथन की यात्रा एक नौकरशाह से कार्यकर्ता और अब राजनेता बनने की मिसाल है।

गोपीनाथन को एक सिद्धांतवादी प्रशासक के रूप में जाना जाता है, जो लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए हमेशा मुखर रहे।
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गोपीनाथन को एक सिद्धांतवादी प्रशासक के रूप में जाना जाता है, जो लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए हमेशा मुखर रहे।
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