तिरुवनंतपुरम- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के आयोजनों की धूम के बीच केरल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर आनंदु अजी की आत्महत्या और सुसाइड नोट में आरएसएस पर लगाए गए यौन शोषण के गंभीर आरोप राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बन गए हैं, जहां लोग स्तब्ध हैं और केरल सरकार से तत्काल निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। 26 वर्षीय आनंदु अजी का शव 10 अक्टूबर को तिरुवनंतपुरम के थंपानूर स्थित एक लॉज के कमरे में लटका मिला था। उनकी इंस्टाग्राम पोस्ट (@anantwo_aji) में बचपन से ही आरएसएस के सदस्यों द्वारा यौन और शारीरिक शोषण का दर्दनाक वर्णन किया गया है, जिसने राजनीतिक हलकों में भूचाल ला दिया। कांग्रेस ने आरएसएस पर सीधा हमला बोला है, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा ने जांच की मांग करते हुए संगठन की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं।
आनंदु अजी, जो कोट्टायम जिले के थंपलाकड़ के निवासी थे, बचपन से ही अपने पिता के प्रभाव में आरएसएस से जुड़े थे। उनकी 15 पेज की शेड्यूल्ड इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनकी मौत का कारण कोई प्रेम प्रसंग, कर्ज या अन्य समस्या नहीं, बल्कि चिंता, अवसाद और ओसीडी (ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर) है, जो बचपन के ट्रॉमा से उपजा। उन्होंने खुलासा किया कि 3-4 साल की उम्र से पड़ोसी एनएम नामक व्यक्ति, जो आरएसएस-बीजेपी का सक्रिय कार्यकर्ता था, ने उनका लगातार यौन शोषण किया। बाद में आरएसएस के आईटीसी (इंटरमीडिएट ट्रेनिंग कैंप) और ओटीसी (ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप) में कई सदस्यों ने उन्हें यौन और शारीरिक शोषण का शिकार बनाया, जिसमें बिना वजह डंडों से पीटना भी शामिल था। आनंदु ने लिखा, "आरएसएस के सदस्यों से कभी दोस्ती न करें। चाहे वे पिता, भाई या बेटा ही क्यों न हों, उन्हें जीवन से काट दें। वे जहर फैलाते हैं, असली अपराधी वही हैं।" उन्होंने जोर दिया कि वे अकेले पीड़ित नहीं हैं और कई अन्य बच्चे भी ऐसे शोषण का शिकार हो चुके हैं।
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया है। अब यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (AIPC) केरल के राज्य अध्यक्ष रणजीत बालन ने 12 अक्टूबर को बयान जारी कर गहन शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आनंदु की पोस्ट आरएसएस के भीतर चुप्पी की संस्कृति और व्यवस्थित शोषण को उजागर करती है। AIPC ने मांग की है कि आरएसएस तत्काल सार्वजनिक बयान जारी करे, नामित व्यक्तियों को निलंबित किया जाए और अदालत-निगरानी वाली स्वतंत्र जांच हो। साथ ही, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।
कांग्रेस की इस आक्रामकता को वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने और बल दिया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "आरएसएस को इन आरोपों की पूरी जांच की अनुमति देनी चाहिए। आनंदु अजी ने अपनी आत्महत्या संदेश में आरोप लगाया कि आरएसएस के कई सदस्यों द्वारा उन पर बार-बार शोषण किया गया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे एकमात्र पीड़ित नहीं हैं और आरएसएस कैंपों में व्यापक यौन शोषण हो रहा है। यदि यह सत्य है, तो यह भयावह है। पूरे भारत में लाखों युवा बच्चे और किशोर इन कैंपों में जाते हैं। आरएसएस के नेतृत्व को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। लड़कों का यौन शोषण लड़कियों जितना ही व्यापक अभिशाप है। इन अमानवीय अपराधों की चुप्पी तोड़नी होगी।" उनका यह बयान वायरल हो गया और कांग्रेस समर्थकों ने इसे रीट्वीट कर दबाव बनाया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने आधिकारिक एक्स हैंडल से हिंदी में पोस्ट जारी की: "केरल के IT प्रोफेशनल आनंदु अजी ने आत्महत्या कर ली। आनंदु अजी ने आत्महत्या से पहले जो लिखा है वो भयावह है। आनंदु के मुताबिक • मैं बचपन से RSS से जुड़ा था • RSS में कई लोगों ने मेरा बलात्कार किया • RSS के ITC-OTC कैंप में मेरा बलात्कार हुआ • RSS सदस्य कई बच्चों का यौन शोषण करते हैं।" पार्टी ने निष्पक्ष जांच और संलिप्त आरएसएस सदस्यों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। INC ने इसे 'हेनियस, हॉरिफिक और एभोरेंट' बताते हुए आरएसएस के 'सच्चे चेहरे' को उजागर करने का दावा किया। युवा कांग्रेस ने भी इंस्टाग्राम पर लिखा, "'संस्कार' की आड़ में RSS कब तक अपराध छिपाएगा??"
केरल की सत्ताधारी सीपीआई(एम) और उसकी युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने भी पुलिस को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। DYFI केरल राज्य समिति के उपाध्यक्ष वीके सनोज ने कहा, "यह घटना आरएसएस की अमानवीय विचारधारा उजागर करती है। बच्चों को ऐसे कैंपों से दूर रखें।" पुलिस ने आनंदु के परिजनों की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया है, लेकिन अब तक आरएसएस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस और द फेडरल जैसी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला राजनीतिक विवाद में बदल चुका है, जहां विपक्ष आरएसएस पर दबाव बना रहा है।
आनंदु की पोस्ट में उन्होंने माता-पिताओं को सलाह दी कि बच्चों को अच्छे-बुरे स्पर्श की शिक्षा दें और उनके साथ मजबूत रिश्ता बनाएं, क्योंकि "बचपन की ट्रॉमा कभी पूरी तरह नहीं जाती।" उन्होंने अपनी बहन अम्मू का बचाव किया और आर्थिक दायित्वों को स्टॉक, म्यूचुअल फंड से चुकाने की इच्छा जताई। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि संगठनों में बाल सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह राष्ट्रीय स्तर पर कैंपों की जांच का आधार बनेगा। फिलहाल, NHRC और NCPCR पर दबाव बढ़ रहा है, और सोशल मीडिया पर #RSS100YearsExposed जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
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