जौनपुर- उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के महिला अस्पताल से मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी घटना सामने आई है, जो सामाजिक सद्भाव और चिकित्सा नैतिकता पर गहरी चोट करती है। यहां एक गर्भवती मुस्लिम महिला का आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात महिला डॉक्टर ने उसके प्रसव का इलाज करने से साफ इनकार कर दिया, केवल इसलिए क्योंकि वह मुस्लिम है। यह घटना 30 सितंबर की रात की बताई जा रही है, जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया।
वीडियो में शमा ने अपनी पहचान स्पष्ट की: "मेरा नाम शमा परवीन है, पति का नाम अरमान। गांव पीली, थाना चंदव।" यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद 3 अक्टूबर को मीडिया और स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई।
जौनपुर के चंदव क्षेत्र की रहने वाली 27 वर्षीय शमा परवीन को 30 सितंबर की रात करीब 9:30 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। परिजनों ने तुरंत उसे जिला महिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे सुबह 9 बजे के आसपास भर्ती किया गया था। लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद जो हुआ, वह किसी काल्पनिक कहानी से कम नहीं लगता। शमा परवीन ने अपने वायरल वीडियो में आरोप लगाया कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने उनका चेकअप करने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा, "मैं खाट पर लेट गई, लेकिन डॉक्टर ने मुझे देखने से इनकार कर दिया। यहां तक कि उन्होंने दूसरों को भी कहा कि मुझे ऑपरेशन थिएटर (OT) में न भेजा जाए। उन्होंने साफ कहा, 'मुस्लिम को मैं नहीं देखूंगी। मैं इसकी डिलीवरी नहीं करवाऊंगी।'"
शमा ने आगे बताया कि इस दौरान अस्पताल में एक अन्य मुस्लिम महिला भी इलाज के लिए मौजूद थी, जिसे भी डॉक्टर ने इसी आधार पर नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने डॉक्टर से सीधे सवाल किया, "आप हिंदू-मुस्लिम में भेदभाव क्यों कर रही हैं?" लेकिन डॉक्टर ने उनकी एक न सुनी और स्टाफ को निर्देश दिया कि मुस्लिम मरीजों को OT में न ले जाया जाए। शमा के मुताबिक, नर्स ने उनका चेकअप किया और OT भेजने की सिफारिश की, लेकिन डॉक्टर के आदेश पर उन्हें रोका गया।
शमा के पति अरमान ने एक अलग वीडियो में इस घटना की पुष्टि की। उन्होंने कहा, "डॉक्टर ने सभी मरीजों की जांच की, लेकिन मेरी पत्नी समेत दो मुस्लिम महिलाओं को जानबूझकर छोड़ दिया। यह साफ धार्मिक भेदभाव था।" अरमान ने बताया कि वे पीलीबाड़ी, थाना चंदव के निवासी हैं और इस घटना के बाद उन्होंने किसी अधिकारी से शिकायत नहीं की, क्योंकि अस्पताल से ही उन्हें भगा दिया गया।
वीडियो वायरल होते ही जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) डॉ. महेंद्र गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने तुरंत जांच के आदेश जारी कर दिए और एक टीम गठित की। डॉ. गुप्ता ने कहा, "यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हम इसे पूर्ण गंभीरता से ले रहे हैं। ड्यूटी पर तैनात सभी कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है और लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है। वर्बल और लिखित बयान लिए जा रहे हैं। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
डॉ. गुप्ता ने यह भी बताया कि पीड़िता शमा परवीन बिना बताए अस्पताल से चली गई थीं, इसलिए उनका बयान अभी नहीं लिया गया है। लेकिन स्टाफ से पूछताछ जारी है। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर धर्म के आधार पर इलाज से इनकार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह घटना प्रदेश में हाल ही में सामने आए अन्य धार्मिक भेदभाव के मामलों की याद दिलाती है, जहां मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि चिकित्सा सेवा में धर्म, जाति या लिंग का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। डॉक्टरों की शपथ ही जीवन बचाना है, लेकिन यहां तो उल्टा हो गया। इस घटना ने सामाजिक सौहार्द पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों ने इसकी निंदा की है। एक कार्यकर्ता ने कहा, "यह न केवल चिकित्सा लापरवाही है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी।" अब सवाल यह है कि जांच में क्या सच सामने आता है और यदि दोष सिद्ध होता है, तो डॉक्टर के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है?
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