अरुंधति रॉय की बुक कवर के 'स्मोकिंग' वाली फोटो पर SC का दो टूक जवाब: 'वो मशहूर हैं, उन्हें पब्लिसिटी के लिए इसकी जरूरत नहीं'

'मदर मैरी कम्स टू मी' विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अरुंधति रॉय और पेंगुइन प्रतिष्ठित नाम हैं, उन्हें पब्लिसिटी के लिए 'बीड़ी' वाली फोटो की जरूरत नहीं।
Arundhati Roy Book Mother Mary Comes to Me
अरुंधति रॉय की बुक 'मदर मैरी कम्स टू मी'
Published on

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (5 दिसंबर, 2025) को एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए लेखिका अरुंधति रॉय और उनके प्रकाशक को बड़ी राहत दी है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि अरुंधति रॉय की किताब ‘मदर मैरी कम्स टू मी’ (Mother Mary Comes to Me) के कवर पेज पर उनकी बीड़ी पीते हुए तस्वीर तंबाकू के इस्तेमाल को बढ़ावा देती है और इसे ग्लैमराइज करती है।

कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा कि लेखिका और प्रकाशक दोनों ही अपनी-अपनी जगह बेहद प्रतिष्ठित नाम हैं और उन्हें किताब बेचने के लिए किसी विवादित तस्वीर का सहारा लेने की जरूरत नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता वकील राजसिम्हन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस. गोपाकुमारन नायर ने दलील दी कि किताब के कवर पर बीड़ी के साथ लेखिका की तस्वीर युवाओं, खासकर महिलाओं और किशोरों पर बुरा असर डाल सकती है।

याचिका में दावा किया गया था कि यह तस्वीर राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (National Tobacco Control Programme) सहित देशव्यापी तंबाकू विरोधी अभियानों को कमजोर करेगी। मांग की गई थी कि मौजूदा कवर वाली सभी किताबें वापस ली जाएं और बिना फोटो के इसे दोबारा प्रकाशित किया जाए।

कोर्ट ने कहा- यह कोई विज्ञापन नहीं है

सुनवाई के दौरान पीठ ने बताया कि प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (Hamish Hamilton) ने किताब में पहले ही एक स्पष्टीकरण (Disclaimer) दे रखा है। इसमें साफ कहा गया है कि कवर फोटो को धूम्रपान के प्रोत्साहन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

जब मुख्य न्यायाधीश ने वकील नायर से पूछा कि क्या उन्होंने किताब के अंदर का कंटेंट पढ़ा है, तो नायर ने जवाब दिया कि उनकी समस्या केवल फ्रंट कवर तक सीमित है, इसलिए उन्होंने पूरी किताब पर शोध करना जरूरी नहीं समझा।

वकील ने तर्क दिया कि प्रकाशक द्वारा दिया गया डिस्क्लेमर कोई वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनी (Statutory Warning) नहीं है। उन्होंने कहा, "नियम के मुताबिक चेतावनी होनी चाहिए कि 'तंबाकू से कैंसर होता है', लेकिन यहां एक मशहूर लेखिका बीड़ी का आनंद लेती दिख रही हैं। हमें तो यह भी नहीं पता कि वह गांजा बीड़ी है या कुछ और... यह बहुत ज्यादा है!"

इस पर जस्टिस बागची ने तर्क दिया कि किताब का कवर कोई तंबाकू उत्पाद का विज्ञापन नहीं है, जिसके लिए वैधानिक चेतावनी अनिवार्य हो। उन्होंने कहा, "डिस्क्लेमर सिर्फ यह भ्रम दूर करने के लिए है कि हाथ में सिगरेट या बीड़ी वाली तस्वीर धूम्रपान को बढ़ावा देने के लिए नहीं है।"

केरल हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दी थी याचिका

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यह डिस्क्लेमर केवल सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA) की धारा 5(3) के तहत कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए 'अग्रिम जमानत' की तरह इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, कोर्ट ने माना कि यह तस्वीर किताब को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल नहीं की गई है, इसलिए COTPA की धाराएं इस संदर्भ में लागू नहीं होतीं।

इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को COTPA के तहत गठित संचालन समिति के पास जाने को कहा था। शुक्रवार को CJI ने टिप्पणी की कि हाईकोर्ट तो याचिकाकर्ता के प्रति काफी 'दयालु' था।

मामले को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने अंतिम टिप्पणी की, "लेखिका और प्रकाशक दोनों प्रसिद्ध नाम हैं। उन्हें खुद को या अपनी किताब को प्रमोट करने के लिए इस तस्वीर की आवश्यकता नहीं है।"

Arundhati Roy Book Mother Mary Comes to Me
बाबासाहेब पर लिखी गई यह किताब क्यों दावा करती है कि 'भारत का इतिहास बौद्ध धर्म और ब्राह्मण-धर्म के संघर्ष के अलावा और कुछ नहीं है'
Arundhati Roy Book Mother Mary Comes to Me
असम एसटी आरक्षण विवाद: मंत्री रानोज पेगू ने आदिवासी नेताओं के साथ की अहम बैठक, 6 समुदायों को दर्जा देने पर हुई चर्चा
Arundhati Roy Book Mother Mary Comes to Me
असम: 6 समुदायों को ST दर्जा देने के मुद्दे पर आदिवासी संगठनों का विरोध, अमित शाह के साथ बैठक की मांग

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com