
गुवाहाटी: असम में 6 अतिरिक्त समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की कवायद के बीच राज्य के मौजूदा आदिवासी संगठनों ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। गुरुवार को इन संगठनों ने राज्य सरकार के सामने अपनी "अंतरिम आपत्तियां और सुझाव" पेश किए। संगठनों ने दो टूक शब्दों में कहा है कि वे ऐसे किसी भी फैसले का समर्थन नहीं करेंगे, जिससे मौजूदा अनुसूचित जनजाति समूहों को मिल रहे संवैधानिक सुरक्षा कवच और अधिकारों में कोई कटौती हो।
CCTOA ने उठाई त्रिपक्षीय वार्ता की मांग
'कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ट्राइबल ऑर्गेनाइजेशंस ऑफ असम' (CCTOA), जो राज्य के 20 से अधिक मान्यता प्राप्त आदिवासी समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक प्रमुख संगठन है, ने इस मुद्दे पर सरकार से गंभीर चर्चा की अपील की है। समिति ने मांग की है कि मामले को सुलझाने के लिए राज्य के अधिकारियों और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की जाए।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते मंत्रियों के समूह (GoM) ने राज्य विधानसभा में एक अंतरिम रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में अहोम, चुटिया, मोरन, मटक, कोच-राजबंशी और चाय जनजाति (आदिवासी) समुदायों की लंबे समय से लंबित ST दर्जे की मांग पर कुछ सिफारिशें की गई थीं। इसके बाद से ही CCTOA ने GoM की रिपोर्ट के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है। उनका दावा है कि अगर इन छह समुदायों को आरक्षण श्रेणी में शामिल किया जाता है, तो मूल आदिवासी समुदायों पर इसका बुरा असर पड़ेगा।
रिपोर्ट में संशोधन की मांग
CCTOA के नेता आदित्य खाखलारी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, "हमने सरकार के समक्ष अपनी चिंताएं रखी हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मौजूदा ST समुदायों के अधिकारों और लाभों के साथ कोई समझौता न हो। हमने अंतरिम रिपोर्ट में संशोधन की मांग की है।"
खाखलारी ने बताया कि समिति ने अभी अपनी आपत्तियों और सुझावों का एक अंतरिम सेट सौंपा है। एक महीने के भीतर विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद एक अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी।
केंद्र के स्तर पर कोटे को लेकर चिंता
आदिवासी नेता ने तर्क दिया कि GoM द्वारा कुछ समुदायों के लिए 'ST (वैली)' यानी घाटी के लिए नई श्रेणी बनाने का प्रस्ताव मौजूदा समूहों के हितों की रक्षा करने में विफल रहेगा। उन्होंने बताया कि केंद्रीय स्तर पर नौकरियों, शिक्षा और अन्य सुविधाओं के लिए सभी अनुसूचित जनजातियां एक ही आरक्षण पूल (Reservation Pool) के अंतर्गत आती हैं।
उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा, "राज्य में अभी हमारे पास ST (मैदान) और ST (पहाड़) के रूप में दो वर्ग हैं। लेकिन केंद्र के स्तर पर ये दोनों ST के रूप में एक हो जाते हैं। यदि ST (V) जैसी कोई नई श्रेणी लाई जाती है, तो अंततः राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें भी उसी ST पूल में शामिल कर लिया जाएगा, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।"
सत्यापन की प्रक्रिया हो सख्त
आदित्य खाखलारी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संगठन का अगला कदम मुख्यमंत्री के साथ बातचीत करना है, जिसके बाद वे गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की मांग करेंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि नए समुदायों को अधिसूचित किया जाता है, तो पहचान और सत्यापन की एक "बेहद सख्त और विश्वसनीय" प्रणाली होनी चाहिए, ताकि केवल पात्र व्यक्तियों को ही लाभ मिल सके।
उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, "हम आशान्वित हैं। GoM को यह सुनिश्चित करना होगा कि मूल आदिवासी समुदायों को किसी भी तरह का नुकसान न उठाना पड़े।"
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