गुवाहाटी: असम में 6 नए समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के सरकारी फैसले को लेकर मौजूदा आदिवासी समूहों में भारी चिंता और असंतोष का माहौल है। इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच, असम के जनजातीय मामलों (मैदानी) के मंत्री रानोज पेगू ने गुरुवार को 'कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ट्राइबल ऑर्गनाइजेशंस, असम' (CCTOA) के नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की।
मौजूदा आदिवासी समुदायों को डर है कि नए समूहों को एसटी का दर्जा मिलने से उनके हितों और अधिकारों पर बुरा असर पड़ेगा। इसी गलतफहमी और विरोध को दूर करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।
मंत्री रानोज पेगू, जिन्होंने हाल ही में विधानसभा में तीन सदस्यीय मंत्रियों के समूह (GoM) की रिपोर्ट पेश की थी, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर इस बैठक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उन्होंने CCTOA नेताओं को GoM की सिफारिशों के बारे में विस्तार से समझाया है।
रानोज पेगू ने लिखा, "असम कैबिनेट के 30 नवंबर 2025 के निर्णय के अनुसार, मैंने आज जनता भवन में CCTOA के साथ मुलाकात की। हमने 6 समुदायों को एसटी का दर्जा देने पर मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट पर चर्चा की। मैंने उन्हें समझाया कि मौजूदा अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।"
बैठक के दौरान मंत्री ने आदिवासी नेताओं से रिपोर्ट के अध्याय 5 और 6 को एक साथ पढ़ने का आग्रह किया, ताकि तस्वीर पूरी तरह साफ हो सके। पेगू ने बताया, "CCTOA ने सूचित किया है कि हमारे स्पष्टीकरण के आधार पर वे एक विशेषज्ञ समिति (Expert Committee) का गठन करेंगे और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।"
GoM की अंतरिम रिपोर्ट में एसटी दर्जे के लिए एक नई 'त्रि-स्तरीय व्यवस्था' (Three-tier classification) की सिफारिश की गई है:
एसटी (मैदानी)
एसटी (पहाड़ी)
एसटी (घाटी - Valley)
जहां एसटी (मैदानी) और एसटी (पहाड़ी) श्रेणियां मैदानी और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले मौजूदा आदिवासी समुदायों को कवर करती रहेंगी, वहीं नई श्रेणी 'एसटी (घाटी)' में उन 6 समुदायों को शामिल किया जाएगा जो लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं। ये समुदाय हैं: अहोम, चुटिया, मोरान, मटक, कोच-राजबोंगशी और चाय जनजातियां (आदिवासी)।
हालांकि सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है, लेकिन मौजूदा आदिवासी संगठन इसके सख्त खिलाफ हैं।
ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष दीपेन बोरो ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, "अगर 2 करोड़ 'उन्नत' लोगों को हमारे ऊपर थोपा गया, तो असम के मौजूदा 45 लाख आदिवासी खत्म हो जाएंगे। हम GoM की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हैं।"
वहीं, आदिवासी नेता आदित्य खाकलारी ने कहा, "आप आदिवासियों में भेदभाव नहीं कर सकते। सरकार का यह फैसला मौजूदा आदिवासियों को प्रभावित करेगा।"
विरोध के बावजूद, GoM रिपोर्ट में यह तर्क दिया गया है कि नई व्यवस्था असम विधानसभा के प्रस्ताव के अनुरूप होगी। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 6 समुदायों को एसटी के रूप में मान्यता देने से वर्तमान आदिवासी समुदायों के अधिकारों और विशेषाधिकारों पर कोई आंच नहीं आएगी। 'एसटी (घाटी)' सभी उद्देश्यों के लिए अनुसूचित जनजाति मानी जाएगी, सिवाय इसके कि यह मौजूदा आदिवासियों के हकों को प्रभावित नहीं करेगी।
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