स्टेट बार काउंसिलों में महिलाओं को मिलेगा 30% आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट का BCI को सख्त निर्देश

आगामी चुनावों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को 8 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने का सख्त आदेश।
Supreme Court of India on Women Reservation.
SC का बड़ा फैसला: स्टेट बार काउंसिल में महिलाओं को 30% आरक्षण, BCI को निर्देश(Ai Image)
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नई दिल्ली: देश की न्यायिक प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 दिसंबर, 2025) को एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। शीर्ष अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया है कि आगामी स्टेट बार काउंसिल चुनावों में महिलाओं के लिए 30% सीटें आरक्षित की जाएं। कोर्ट ने इसे "संवैधानिक मूल्यों" का पालन करने के लिए अनिवार्य बताया है।

चुनावों और पदाधिकारी पदों पर लागू होगा नियम

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमलिया बागची की पीठ ने यह आदेश पारित किया। पीठ ने स्पष्ट किया कि यह 30% आरक्षण केवल निर्वाचित सदस्य पदों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रत्येक स्टेट बार काउंसिल के महत्वपूर्ण पदाधिकारी (Office-bearers) पदों पर भी इसे लागू किया जाएगा।

कोर्ट ने BCI से कहा कि वह मौजूदा नियमों और ढांचे की व्याख्या इस तरह करे कि महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। साथ ही, जजों ने निर्देश दिया कि नियमों को संशोधित माना जाए और BCI को 8 दिसंबर तक अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी रिकॉर्ड पर रखनी होगी।

महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी पर चिंता

यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता योगमाया एम.जी. (जिनका प्रतिनिधित्व वकील श्रीराम पराक्कट ने किया) और शहला चौधरी द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया। इन याचिकाओं में देश भर की बार काउंसिल निकायों में महिलाओं और अन्य हाशिए पर रहने वाले समूहों के बेहद कम प्रतिनिधित्व को उजागर किया गया था।

दलीलें और कोर्ट का रुख

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने तर्क दिया कि 'एडवोकेट्स एक्ट, 1961' की मौजूदा चुनाव प्रणाली के कारण महिलाएं व्यवस्थागत रूप से बाहर हो रही हैं। उन्होंने अदालत का ध्यान इस ओर खींचा कि जनवरी से अप्रैल 2026 के बीच पांच चरणों में बार काउंसिल के चुनाव होने हैं। यदि अभी महिलाओं के लिए प्रावधान नहीं किया गया, तो उन्हें भागीदारी के लिए अगले पांच साल तक इंतजार करना पड़ेगा।

दूसरी ओर, BCI का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कुमार ने इस कदम का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि आरक्षण लागू करने के लिए 1961 के अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता होगी। उन्होंने यह भी कहा कि कई राज्यों में चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिससे इतने कम समय में बदलाव करना व्यावहारिक रूप से कठिन होगा।

"सोमवार तक अधिसूचना जारी करें"

इन दलीलों पर मुख्य न्यायाधीश ने बार संस्था को आश्वस्त किया कि अदालत इस आरक्षण को लागू करने की प्रक्रिया की निगरानी करेगी। CJI ने सख्त लहजे में कहा, "जैसे-जैसे समस्याएं आएंगी, हम उनका समाधान करेंगे। आप सोमवार को अधिसूचना (Notification) जारी करें।"

गौरतलब है कि इन याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के 2 मई, 2024 के उस आदेश का हवाला दिया गया था, जिसमें कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की कार्यकारी समिति में एक-तिहाई सीटें (एक पदाधिकारी पद सहित) महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया था।

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