TM Expose: रायसेन में ओलंपियाड घोटाला? कागजों में ₹80 प्रति छात्र, न परिवहन सुविधा, नाश्ते में बच्चों को एक बिस्किट भी नहीं मिला! Exclusive

1964 स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए बनाए गए 70 जन शिक्षण केंद्रों को पहले से ही यह निर्देश जारी किए गए थे कि भोजन और नाश्ते के 30 रुपये प्रति छात्र केंद्र स्तर पर व्यय किए जाएंगे और बाद में इनके बिलों का भुगतान बीआरसी द्वारा किया जाएगा।
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रायसेन में ओलंपियाड एग्जाम घोटाला? Asif, The Mooknayak
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भोपाल। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में राज्य स्तरीय ओलंपियाड परीक्षा के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है! जिसमें मासूम बच्चों के लिए तय किए गए लाखों रुपए के बजट को कथित रूप से डकार जाने की तैयारी की जा रही है। द मूकनायक की पड़ताल में यह पूरा मामला उजागर हुआ है।

बीते महीने आयोजित हुई यह परीक्षा कक्षा 2 से 8 तक के 29,404 विद्यार्थियों के लिए राज्य शासन के निर्देशों के तहत आयोजित की गई थी। सरकार ने प्रति छात्र ₹50 परीक्षा केंद्र तक आने-जाने और ₹30 स्वल्पाहार के लिए, यानी कुल ₹80 रुपये प्रति छात्र की व्यवस्था सुनिश्चित की थी। लेकिन परीक्षा के बाद सामने आए तथ्य बताते हैं कि जिले के 70 जन शिक्षण केंद्रों में से केवल 12 केंद्रों पर ही बच्चों को नाश्ते की व्यवस्था दी गई, जबकि बाकी 58 केंद्रों पर एक भी बच्चे को भोजन या नाश्ता नहीं मिला। इन केंद्रों पर परीक्षा देने के बाद बच्चे भूखे-प्यासे बाहर निकले और कई बच्चों को अपने खर्च पर आसपास की होटलों में नाश्ता करना पड़ा।

द मूकनायक की टीम जब इस पूरे मामले की सच्चाई जानने के लिए रायसेन जिले के एक दर्जन से अधिक शासकीय स्कूलों में पहुंची, तो छात्रों से मिली जानकारी ने कई गंभीर पहलुओं को उजागर किया। जिले की शासकीय माध्यमिक शाला, खरबई की कक्षा 8वीं की छात्रा काशिश ने बताया कि वह हाल ही में आयोजित ओलंपियाड परीक्षा देने गई थी। लेकिन परीक्षा केंद्र तक पहुंचने की पूरी जिम्मेदारी छात्रों पर ही छोड़ दी गई।

काशिश के अनुसार, स्कूल की ओर से ना कोई वाहन व्यवस्था की गई और ना ही आने-जाने का किराया दिया गया। मजबूरी में बच्चों को अपने घर और स्कूल से जेब खर्च निकालकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से परीक्षा केंद्र जाना पड़ा। कई छात्रों ने बताया कि यदि उनके पास उस दिन किराए के पैसे न होते, तो वे परीक्षा देने ही नहीं जा पाते।

द मूकनायक से बातचीत में शासकीय प्राथमिक शाला, राजीवनगर की कक्षा 5वीं की छात्रा कीर्ति ने बताया कि ओलंपियाड परीक्षा के दिन सभी बच्चों को अपने-अपने खुद के पैसे खर्च करके ही परीक्षा केंद्र तक पहुंचना पड़ा। स्कूल की ओर से ना कोई वाहन व्यवस्था दी गई और ना ही कोई सहयोग मिला।

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स्कूली छात्राओं ने बताया- न नाश्ता मिला न परिवहन की सुविधाAnkit pachauri- The Mooknayak

कीर्ति ने कहा कि परीक्षा केंद्र पर पहुँचने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि कम से कम नाश्ते की कोई व्यवस्था होगी, क्योंकि स्कूल में बताया गया था कि बच्चों के लिए व्यवस्था रखी जाएगी। लेकिन वहां पहुंचकर पता चला कि किसी भी तरह का नाश्ता नहीं दिया गया।

एक अन्य छात्र ने भी इसकी कहा, “वहां सिर्फ पीने के पानी की व्यवस्था थी। हमें न तो बिस्किट मिले, न नाश्ता, जबकि बताया गया था कि बच्चों के लिए सब कुछ तैयार रहेगा।”

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बच्चों की इन बातों से स्पष्ट है कि परीक्षा आयोजन के नाम पर बजट तो खर्च दिखाया गया, लेकिन जमीनी स्तर पर छात्रों को न परिवहन सुविधा मिली, न भोजन, जिससे बच्चों और अभिभावकों में नाराज़गी है। छात्रों के अनुभव बताते हैं कि ओलंपियाड जैसी राज्य स्तरीय परीक्षा के लिए सरकार द्वारा निर्धारित ₹80 रुपये प्रति छात्र बजट आखिर कहां खर्च हुआ, यह बड़ा सवाल है। वहीं, परिवहन व्यवस्था और अन्य सुविधाओं के अभाव ने बच्चों में निराशा भी पैदा की है।

परीक्षा के नाम पर घोटाला!

जिले की व्यवस्था का हाल समझने के लिए यह तथ्य काफी है कि 1964 स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए बनाए गए 70 जन शिक्षण केंद्रों को पहले से ही यह निर्देश जारी किए गए थे कि भोजन और नाश्ते के 30 रुपये प्रति छात्र केंद्र स्तर पर व्यय किए जाएंगे और बाद में इनके बिलों का भुगतान बीआरसी द्वारा किया जाएगा। यह निर्देश जिला शिक्षा केंद्र द्वारा 24 अक्टूबर 2025 को पत्र क्रमांक 7026 के माध्यम से जारी किया गया था। फिर भी, इन आदेशों का पालन ना करते हुए अधिकांश केंद्रों ने बच्चों को कोई सुविधा नहीं दी। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अधिकांश बच्चों को यह तक मालूम नहीं था कि सरकार ने उनके लिये नाश्ता और परिवहन के नाम पर ₹80 का बजट भेजा है।

खरवाई संकुल में परीक्षा देने आए छात्रों ने साफ बताया कि उन्हें कोई नाश्ता नहीं दिया गया। जब प्रभारी प्राचार्य मुकेश द्विवेदी से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसा कोई बजट आता ही नहीं।

उन्होंने कहा, कि वे जरूरत पड़ने पर स्टाफ के साथ मिलकर खुद से चाय आदि की व्यवस्था कर लेते हैं। उनका कहना था की वह अभी प्रभारी के रूप में कार्यरत है प्राचार्य अजीता तिवारी छुट्टी पर हैं। इसलिए उन्हें ज़्यादा जानकारी नहीं हैं।उनकी बात से साफ था, कि या तो बजट शीर्ष स्तर पर रोका गया, या फिर इस पूरी व्यवस्था में गड़बड़ी को जानबूझकर छिपाया जा रहा है।

जिम्मेदार बोले- "बजट नहीं मिला"

इधर, द मूकनायक से हुई बातचीत में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र के अधिकारी पी.के. रैकवार ने इस पूरे मामले में सफाई दी। उन्होंने कहा कि शासन से ओलंपियाड के लिए कोई बजट मिला ही नहीं, जबकि परीक्षा आयोजन के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे।

रैकवार का यह बयान तब और संदिग्ध हो जाता है जब वे खुद यह स्वीकारते हैं कि “सभी बिलों का भुगतान फरवरी–मार्च में किया जाएगा।” यदि बजट मिला ही नहीं, तो भुगतान किस आधार पर और किन मदों के लिए होगा, यह बड़ा सवाल खड़ा होता है।

द मूकनायक से हुई बातचीत में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र के अधिकारी पी.के. रैकवार ने इस पूरे मामले में सफाई दी। उन्होंने कहा कि शासन से ओलंपियाड के लिए कोई बजट मिला ही नहीं, जबकि परीक्षा आयोजन के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे।
द मूकनायक से हुई बातचीत में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र के अधिकारी पी.के. रैकवार ने इस पूरे मामले में सफाई दी। उन्होंने कहा कि शासन से ओलंपियाड के लिए कोई बजट मिला ही नहीं, जबकि परीक्षा आयोजन के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे।The Mooknayak

जब द मूकनायक ने पूछा कि क्या अब स्कूलों में बिल लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी, तो रैकवार ने कहा- “अगर कोई स्कूल गलत बिल लगाएगा, तो हम उसकी जांच करेंगे।”

रायसेन जिले में आयोजित ओलंपियाड परीक्षा की द मूकनायक की पड़ताल कई चौंकाने वाली अनियमितताओं को उजागर करती है। बच्चों को नाश्ता, परिवहन और बुनियादी सुविधाएँ न मिलने के बावजूद स्कूलों से बजट खर्च दिखाए जाने के संकेत गंभीर सवाल खड़े करते हैं। वहीं, राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों के विरोधाभासी बयान, एक ओर बजट न मिलने की बात और दूसरी ओर फरवरी-मार्च में भुगतान का आश्वासन इस पूरे प्रकरण को और अधिक संदिग्ध बनाते हैं।

क्या है ओलंपियाड परीक्षा?

ओलंपियाड परीक्षा मूल रूप से स्कूली बच्चों की प्रतिभा को पहचानने और उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने वाली परीक्षा है। इसमें गणित, विज्ञान, कंप्यूटर, भाषा और सामान्य ज्ञान जैसे विषयों पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं, ताकि बच्चों की तार्किक सोच, समस्या-समाधान क्षमता और विषयों की गहरी समझ का मूल्यांकन किया जा सके। स्कूल स्तर पर आयोजित होने वाली ये परीक्षाएँ छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाने, उन्हें बेहतर अवसरों से जोड़ने और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित की जाती हैं।

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