तेलंगाना: मराठा बहुल गांव में दलित महिला ने सामान्य सीट से निर्विरोध सरपंच बनकर पेश की मिसाल

मराठा बहुल गांव में सामाजिक समरसता की अनूठी मिसाल, सामान्य सीट (General Seat) से चुनी गईं SHG सदस्य गंगूबाई।
Dalit Woman Sarpanch.
तेलंगाना में रचा गया इतिहास: मराठा बहुल गांव में सामान्य सीट से निर्विरोध सरपंच बनीं दलित महिला वाघमारे गंगूबाई। जानिए कैसे मुमकिन हुआ यह बदलाव।(Ai Image)
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कामारेड्डी/हैदराबाद: तेलंगाना के कामारेड्डी जिले के पिछड़े जुक्कल मंडल में एक नई सुबह देखने को मिली है। यहाँ के बिज्जलवाड़ी गांव की 40 वर्षीय वाघमारे गंगूबाई ने इतिहास रच दिया है। स्वयं सहायता समूह (SHG) की एक सक्रिय सदस्य, गंगूबाई ने सामान्य (General) सीट से निर्विरोध सरपंच चुने जाने वाली पहली दलित महिला बनकर समाज के सामने एक सशक्त उदाहरण पेश किया है।

भौगोलिक और सामाजिक समीकरण

राज्य की राजधानी से 190 किलोमीटर और जिला मुख्यालय कामारेड्डी से 112 किलोमीटर दूर स्थित बिज्जलवाड़ी ग्राम पंचायत महाराष्ट्र सीमा से सटा हुआ है। इस गांव के सामाजिक समीकरणों पर नज़र डालें तो यहाँ कुल 931 मतदाता हैं, जिनमें से दलित मतदाताओं की संख्या मात्र 230 है। शेष आबादी में मुख्य रूप से प्रभावशाली मराठा, हटकर और लिंगायत समुदाय के लोग शामिल हैं, साथ ही कुछ मुस्लिम, गौड़ और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के परिवार भी यहाँ रहते हैं।

आमतौर पर इस गांव की राजनीति और नेतृत्व का फैसला यहाँ के प्रभावशाली मराठा निवासियों द्वारा ही किया जाता रहा है, लेकिन इस बार हवा का रुख कुछ और ही था।

विधायक की पहल और सामाजिक न्याय

जुक्कल से कांग्रेस विधायक, थोटा लक्ष्मीकांत राव ने बताया कि गांव में मराठा समुदाय का वर्चस्व है और अधिकांश कृषि भूमि भी उन्हीं के पास है। उन्होंने कहा, "मैं लोगों के भीतर एक नए स्तर का आत्मविश्वास जगाना चाहता था। मैंने इस प्रयोग की योजना बनाई और कई ग्राम सभाएं आयोजित कीं। हमने अनुसूचित जाति (SC) और उच्च जातियों, दोनों को शिक्षित किया और समझाया कि एक योग्य SC व्यक्ति को मौका देकर दूसरों के लिए एक आदर्श स्थापित किया जा सकता है।"

विधायक का यह विचार काम कर गया। बिज्जलवाड़ी ने अपनी पहली दलित महिला सरपंच को सामान्य श्रेणी की सीट से निर्विरोध चुना। ग्रामीणों का कहना है कि सामान्य सीट पर एक दलित को सरपंच चुनना सामाजिक न्याय और सद्भाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

गंगूबाई की भावुक प्रतिक्रिया

सरपंच चुनी गईं सुश्री गंगूबाई, जिनके पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं है, अभी भी अपनी इस नई जिम्मेदारी और सम्मान को लेकर भावुक हैं। बाहरी दुनिया से उनका जुड़ाव अब तक केवल गांव के SHG सदस्य के रूप में ही रहा है। जब सरपंच के रूप में उनके नाम की घोषणा हुई, तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "यह कुछ ऐसा है जिसकी मैंने अपने जीवन में कभी उम्मीद नहीं की थी। मैं इतने वर्षों से महिलाओं की प्रसव (डिलीवरी) में मदद कर रही हूँ, उन्हें नर्स और अस्पताल तक ले जाती रही हूँ, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं सरपंच बनूंगी।"

विकास और बदलाव की लहर

जुक्कल विधायक ने बताया कि इस निर्वाचन क्षेत्र में सत्ताधारी दल द्वारा समर्थित 25 उम्मीदवारों को निर्विरोध सरपंच चुना गया है। उन्होंने इसका श्रेय रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के विकास और कल्याणकारी कार्यक्रमों को दिया।

श्री लक्ष्मीकांत राव ने कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि गरीब और वंचित समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को सामान्य सीटों से भी चुनाव लड़ने का अवसर मिले। उन्होंने कहा, "प्रतिक्रिया मिश्रित थी। सभी ने तुरंत इसकी सराहना नहीं की, लेकिन मैं उन्हें एक साथ लाने और समझाने में सफल रहा।"

विकास के लिए प्रोत्साहन

विधायक ने घोषणा की कि सर्वसम्मति से चुनी गई ग्राम पंचायतों को सरकार द्वारा घोषित 10 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही, उनके व्यापक विकास को सुनिश्चित करने के लिए विधायक निधि से अतिरिक्त धनराशि भी प्रदान की जाएगी। उन्होंने मतदाताओं से चुनाव में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को भारी बहुमत से चुनने की अपील भी की।

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