कुकी-जो वार्ता में बड़ा समझौता! मणिपुर में बंद होंगे उग्रवादियों के 7 कैंप, हाईवे खोलने की तैयारी शुरू!

केंद्र और कुकी-जो उग्रवादी संगठनों के बीच वार्ता में 7 कैंप बंद करने, हथियारों की वापसी और राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलने पर बनी सहमति
Talks Resume Between Kuki-Zo Insurgent Groups and MHA: Agreement on Camp Closures, Highway Access
कुकी-जो उग्रवादी संगठनों और गृह मंत्रालय के बीच वार्ता में बनी सहमति, कई कैंप होंगे बंद, हाईवे खोलने पर भी ज़ोरफोटो- द मूकनायक
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नई दिल्ली/इम्फाल — मणिपुर में सक्रिय कुकी-जो उग्रवादी संगठनों और गृह मंत्रालय (MHA) के अधिकारियों के बीच सोमवार, 16 जून को हुई अहम बैठक में कई उग्रवादी कैंपों को स्थानांतरित करने और बंद करने पर सहमति बनी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि बैठक में लूटे गए हथियारों की बरामदगी और राष्ट्रीय राजमार्गों को पूरी तरह खोलने पर भी ज़ोर दिया गया।

सुरक्षा एजेंसियों ने 14 में से 7 कैंपों को बंद करने का प्रस्ताव रखा है, खासकर वे कैंप जो मैतेई-बहुल इलाकों के पास पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित हैं।

केंद्र सरकार और कुकी-जो उग्रवादी संगठनों के बीच Suspension of Operations (SoO) समझौते के तहत दो वर्षों के बाद 9 जून से वार्ता फिर शुरू हुई है।

अधिकारी के अनुसार, SoO समझौते के विस्तार के लिए कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की गई है क्योंकि यह जमीनी नियमों और शर्तों के पालन पर निर्भर करेगा। यह समझौता 29 फरवरी 2024 को निष्प्रभावी हो गया था जब मणिपुर सरकार इस त्रिपक्षीय समझौते से बाहर हो गई थी। MHA और SoO समूह इसके अन्य दो पक्ष थे।

मैतेई और कुकी-जो हिंसा के बाद बदले हालात

3 मई 2023 को मणिपुर में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद, तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और कई मैतेई संगठनों ने कुकी-जो सशस्त्र संगठनों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था।

एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “सोमवार को जमीनी नियमों पर चर्चा हुई और कुछ अहम बदलावों पर सहमति बनी, जिसमें कई कैंपों को बंद करना शामिल है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों को पूरी तरह चालू करने की ज़रूरत पर भी बल दिया गया।”

मणिपुर के भू-आवेष्ठित इम्फाल घाटी को नागालैंड और असम से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-2 और 37 कुकी-जो बहुल क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं, और राज्य की जीवनरेखा माने जाते हैं।

अधिकारी ने बताया कि अगली बैठक लगभग 15 दिन बाद होगी।

बदलते हालात, बदलते नियम

SoO समूह के एक प्रतिनिधि ने कहा कि 3 मई 2023 के बाद हालात पूरी तरह बदल चुके हैं, इसलिए अब समझौते के पुराने जमीनी नियमों की समीक्षा की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा, “हमने MHA के समक्ष कुछ योजनाएं प्रस्तुत की हैं, जिनमें सुरक्षा बलों की भूमिका भी शामिल है। कैंप बंद करने का प्रस्ताव विचाराधीन है। 2008 में जब हमने समझौता किया था, तब नियम तय करने की एक प्रक्रिया अपनाई गई थी, वही प्रक्रिया अब दोहराई जा रही है।”

फिलहाल, मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 14 नामित कैंपों में United People’s Front (UPF) और Kuki National Organisation (KNO) — इन दोनों प्रमुख संगठनों के अंतर्गत आने वाले 25 उग्रवादी समूहों के करीब 2,200 कैडर रह रहे हैं। प्रत्येक कैडर को 6,000 रुपए मासिक वजीफा मिलना था, जो मई 2023 में हिंसा शुरू होने के बाद से बंद है।

इतिहास और वर्तमान मांगें

SoO समझौता 1990 के दशक में हुए कुकी-नगा संघर्षों के बाद हुआ था, जब सैकड़ों लोगों की जान गई थी। उस समय कुकी-जो संगठनों ने एक स्वतंत्र भूमि की मांग की थी।

पहले ये समूह मणिपुर में कुकी-जो परिषदों के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे थे, लेकिन मई 2023 के बाद से वे कुकी-जो क्षेत्रों के लिए विधानमंडल सहित एक अलग केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि लगातार हो रही हिंसा और राजनीतिक उपेक्षा के चलते यह ज़रूरी हो गया है।

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