राममनोहर लोहिया के जब एक भाषण ने हिला दी पुर्तगाली हुकूमत की नींव – जानिए गोवा की आजादी की असली कहानी!

गोवा क्रांति दिवस: राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में शुरू हुआ सत्याग्रह कैसे बना पुर्तगाली शासन के अंत की शुरुआत
Goa Revolution Day: When Lohia ignited the spark of independence against the Portuguese
गोवा क्रांति दिवस: जब लोहिया ने पुर्तगालियों के खिलाफ आजादी की चिंगारी जलाईआईएएनएस
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नई दिल्ली। देश को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी भले ही 1947 में मिली, लेकिन भारत के एक महत्वपूर्ण तटीय राज्य गोवा को पुर्तगालियों से अपनी आजादी के लिए 14 सालों का और इंतजार करना पड़ा। गोवा को आजाद कराने में समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने 18 जून 1946 को गोवा के लोगों को वहां की दमनकारी सत्ता के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए प्रेरित किया जो बाद में जाकर यह एक बड़ी क्रांति साबित हुई।

दरअसल, देश में ब्रिटिश से पहले पुर्तगालियों का कब्जा था। यह उस समय से था, जब वास्कोडिगामा 1498 में तटीय रास्तों से भारत आया था और कुछ ही सालों में देश के कई बड़े हिस्सों को अपने नियंत्रण में ले लिया। हालांकि, फिर 19वीं शताब्दी तक पुर्तगाली भारत के सिर्फ कुछ तटीय राज्य और द्वीप तक ही सीमित रह पाए, जिसमें गोवा महत्वपूर्ण था।

गोवा की आजादी में 18 जून का दिन बहुत ही खास है, क्योंकि 1946 में इस दिन गोवा की आजादी की नींव रखी गई। भारतीय समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने मडगांव में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी थी। उन्होंने गोवा के लोगों की स्वतंत्रता के लिए एक अनूठा सामूहिक सत्याग्रह शुरू किया और युवाओं से विदेशी बेड़ियों को तोड़ फेंकने का ऐतिहासिक आह्वान किया। इसलिए हर साल 18 जून 'गोवा क्रांति दिवस' मनाया जाता है और इस दिन स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को सम्मानित किया जाता है।

देश ने कड़े संघर्ष के बाद 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी पा ली थी, लेकिन इसके बावजूद गोवा को अपनी आजादी के लिए 14 साल और इंतजार करना पड़ा। करीब 450 सालों तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहने के बाद 19 दिसंबर, 1961 में एक हस्ताक्षर के बाद गोवा आजाद हुआ। इसलिए हर साल 19 दिसंबर को 'गोवा मुक्ति दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

भारतीय सेना ने 19 दिसंबर 1961 को 'ऑपरेशन विजय' चलाकर पुर्तगालियों से गोवा को मुक्त कराया। इस दौरान पुर्तगाली सेनाओं द्वारा मामूली प्रतिरोध किया गया, लेकिन इसके बावजूद आखिरकार गोवा के साथ-साथ दमन और दीव को भी पुर्तगालियों के शासन से मुक्ति मिली।

आजादी के बाद 4 फरवरी, 1987 का दिन गोवा के लिए खास रहा, क्योंकि इस दिन विधेयक पारित करके कोंकणी को गोवा की आधिकारिक भाषा बनाया गया। वहीं, 30 मई, 1987 को गोवा को भारत के 25वें राज्य का दर्जा दिया गया। इससे पहले तक यहां के लोगों ने जनमत सर्वेक्षण के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जारी रखने का फैसला किया था।

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