
करूर (तमिलनाडु): तमिलनाडु के करूर जिले में जातिगत भेदभाव का एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां एक 35 वर्षीय दलित महिला ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (SP) के पास याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। महिला का आरोप है कि उसे जाति के आधार पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा और इसी वजह से उसे थोगमलाई के पास स्थित पंचायत यूनियन मिडिल स्कूल में 'मुख्यमंत्री नाश्ता योजना' (CMBS) के तहत रसोइया के पद से हटा दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, थोगमलाई यूनियन के चिन्ना रेड्डीपट्टी की रहने वाली आर. निरोशा (R Nirosha) को इसी साल 10 सितंबर, 2025 को स्कूल में सीएम नाश्ता योजना शुरू होने पर रसोइया के तौर पर नियुक्त किया गया था। इस योजना के तहत स्कूल में काम करने वाली दो रसोइयों में निरोशा भी शामिल थीं।
निरोशा ने रविवार को अपनी आपबीती सुनाते हुए आरोप लगाया कि योजना का लाभ उठा रहे कुछ छात्रों के अभिभावकों ने उनके द्वारा भोजन पकाए जाने पर आपत्ति जताई थी। आरोप है कि अभिभावकों ने उनकी जाति को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां भी कीं। इसके बाद, 16 दिसंबर को स्कूल की प्रधानाध्यापिका (Headmistress) भानुमति ने निरोशा को यह कहकर काम छोड़ने को कह दिया कि अभिभावकों ने अपने बच्चों को नाश्ते के लिए भेजना बंद कर दिया है।
जगह पर रखी गई दूसरी महिला
पीड़िता का कहना है कि जब वह अगले दिन ड्यूटी पर पहुंचीं, तो उन्होंने अपनी जगह पर किसी अन्य महिला को काम करते पाया। निरोशा का दावा है कि वह महिला सवर्ण हिंदू समाज से ताल्लुक रखती है। इसके बाद उन्होंने महालिर थिट्टम के ब्लॉक मिशन मैनेजर (BMM) से संपर्क किया, लेकिन वहां भी उन्हें वही जवाब मिला जो प्रधानाध्यापिका ने दिया था।
18 दिसंबर को निरोशा ने थोगमलाई पुलिस स्टेशन में एक सीएसआर (CSR) शिकायत दर्ज कराई। इसमें उन्होंने कहा कि प्रधानाध्यापिका भानुमति के दबाव के बाद थोगमलाई यूनियन के बीएमएम ने उन्हें ड्यूटी पर आने से मना कर दिया है।
अधिकारियों ने आरोपों को नकारा
हालांकि, जांच के दौरान बीएमएम ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि निरोशा को सेवा से हटाया नहीं गया है, बल्कि वह खुद ही इन दिनों काम से अनुपस्थित थीं।
इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) शनमुगम ने मीडिया से स्पष्ट किया कि निरोशा को बर्खास्त नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों द्वारा जाति को लेकर की गई कथित टिप्पणियों के बाद निरोशा अनुपस्थित रही थीं। डीईओ ने यह भी कहा कि वह अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने के लिए स्वतंत्र हैं।
उधर, निरोशा ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि जब तक उनकी जाति को लेकर अपशब्द कहने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, वह काम पर नहीं लौटेंगी।
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