"क्या तुम बांग्लादेशी हो?" केरल में दलित मजदूर की मॉब लिंचिंग! गुस्साए परिजनों ने शव लेने से किया इनकार

केरल के पलक्कड़ में चोरी के शक में भीड़ ने ली जान, वीडियो में 'बांग्लादेशी' कहकर पीटा; परिवार 25 लाख मुआवजे और SC/ST एक्ट की मांग पर अड़ा।
Dalit migrant worker lynched to death in Kerala.
'बांग्लादेशी' बताकर भीड़ ने दलित मजदूर को पीटा, वायरल वीडियो ने खोले राज। परिवार ने शव लेने से किया इनकार।(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
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पलक्कड़: केरल के पलक्कड़ जिले में छत्तीसगढ़ के एक प्रवासी मजदूर की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या (मॉब लिंचिंग) के मामले में नए और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। घटना का एक कथित वीडियो सामने आया है, जिसने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। वीडियो में हमलावर पीड़ित को घेरकर उससे पूछताछ कर रहे हैं और यह पूछते हुए सुनाई दे रहे हैं कि क्या वह "बांग्लादेशी" है।

वीडियो में दिखी बर्बरता

वायरल हो रहे इस वीडियो में पुरुषों का एक समूह पीड़ित मजदूर को थप्पड़ मारते और डराते-धमकाते हुए दिख रहा है। वीडियो में जब एक व्यक्ति पीड़ित को मार रहा होता है, तो दूसरा हंसते हुए सुनाई देता है। मृतक की पहचान राम नारायण बघेल के रूप में हुई है, जो छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे और दलित समुदाय से आते थे।

पुलिस के मुताबिक, यह घटना पलक्कड़ के वालयार स्थित अट्टापल्लम इलाके में हुई। पुलिस का कहना है कि स्थानीय निवासियों के एक समूह ने चोरी के शक में बघेल की पिटाई की थी। हालांकि, अधिकारियों ने पुष्टि की है कि बघेल के पास से कोई भी चोरी का सामान बरामद नहीं हुआ है।

खून की उल्टियां करते हुए गिर पड़े थे बघेल

चश्मदीदों और पुलिस के अनुसार, हमले के दौरान राम नारायण बघेल वहीं गिर पड़े और उन्हें खून की उल्टियां होने लगीं। स्थानीय लोग और पुलिस उन्हें तुरंत पलक्कड़ जिला अस्पताल ले गए, लेकिन वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। बाद में, त्रिशूर मेडिकल कॉलेज में हुए पोस्टमार्टम में उनके शरीर पर गंभीर चोटों की पुष्टि हुई है, जो इस बात का सबूत है कि उनके साथ कितनी बेरहमी से मारपीट की गई थी।

परिवार ने शव लेने से किया इनकार, रखीं ये शर्तें

बघेल के परिवार ने प्रशासन के रवैये और घटना से नाराज होकर उनका शव लेने से साफ इनकार कर दिया है। छत्तीसगढ़ से त्रिशूर पहुंचीं बघेल की पत्नी ललिता और उनके बच्चे (अनुज और आकाश) इस घटना से सदमे में हैं।

बघेल के भाई शशिकांत ने स्पष्ट कहा कि उनका परिवार दलित समुदाय से है, इसलिए दोषियों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। परिवार ने सरकार से 25 लाख रुपये के मुआवजे की भी मांग की है।

शशिकांत ने कहा, "हमें सरकार से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज नहीं होता, हम शव स्वीकार नहीं करेंगे। राम नारायण ही परिवार में अकेले कमाने वाले थे।" रिश्तेदारों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे केरल में ही डटे रहेंगे।

सीएम विजयन ने दिया कार्रवाई का भरोसा

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, "वालयार में मॉब लिंचिंग में मारे गए राम नारायण बघेल के परिवार को न्याय सुनिश्चित किया जाएगा। इस मामले की जांच के लिए पलक्कड़ एसपी के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है।" सरकार ने यह भी कहा है कि मुआवजे के मुद्दे पर विचार किया जाएगा।

मंत्री का आरोप- 'यह आरएसएस की नस्लीय नफरत है'

घटना के वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए माकपा (CPI-M) ने इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा फैलाई गई "नस्लीय नफरत" का परिणाम बताया है। केरल के मंत्री एम.बी. राजेश ने आरोप लगाया कि पीड़ित को बांग्लादेशी बताकर पीटना आरएसएस की जहरीली विचारधारा को दर्शाता है।

मंत्री राजेश ने कहा, "उससे यह पूछना कि क्या वह बांग्लादेशी है और फिर उसे बेरहमी से पीटना, यह उसी नस्लीय नफरत का जहर है। मीडिया इसे जानबूझकर सिर्फ एक मॉब लिंचिंग बताकर असली मुद्दे पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है।"

उन्होंने यह भी दावा किया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से दो का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड है और वे पहले आरएसएस-सीपीएम झड़प के दौरान सीपीएम कार्यकर्ताओं की हत्या के प्रयास में शामिल थे। मंत्री ने आरोप लगाया कि मीडिया आरएसएस के डर से इस पहलू पर चुप है, जबकि अगर इस घटना का सीपीएम से दूर का भी वास्ता होता, तो अब तक जवाबदेही की मांग उठ गई होती।

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