नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने के मामले में सुर्खियों में आए वकील राकेश किशोर एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वह किसी विवाद को पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि खुद हिंसा का शिकार होने के कारण खबरों में हैं। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में साथी वकीलों द्वारा राकेश किशोर की चप्पलों से पिटाई करने का मामला सामने आया है।
क्या है पूरा घटनाक्रम?
जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ वकील राकेश किशोर कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में मौजूद थे, तभी वकीलों के एक समूह ने उन्हें घेर लिया। आरोप है कि वहां मौजूद कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया और चप्पलों से उनकी पिटाई की। इस दौरान वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि, कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने किसी तरह बीच-बचाव कर उन्हें भीड़ से बाहर निकाला।
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें राकेश किशोर के साथ मारपीट होते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में पिटाई के दौरान राकेश किशोर 'सनातन धर्म की जय' के नारे लगाते हुए सुनाई दे रहे हैं।
'दलित जज के अपमान का बदला'
राकेश किशोर ने मीडिया से बातचीत में इस हमले की पुष्टि की है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, किशोर ने बताया कि उन पर हमला करने वाला एक युवा वकील था, जिसकी उम्र करीब 35-40 साल रही होगी। किशोर का दावा है कि हमलावरों ने उनसे कहा कि वे "भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की सजा" दे रहे हैं। राकेश किशोर के मुताबिक, हमलावरों का कहना था कि चूंकि पूर्व सीजेआई दलित समाज से आते हैं, इसलिए उनका अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इतनी फजीहत के बावजूद, राकेश किशोर ने इस मामले में पुलिस शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा, "मुझे कोई गंभीर चोट नहीं आई है और यह वकीलों के परिवार के बीच का मामला है, इसे घर में ही सुलझा लिया जाएगा।"
उस दिन सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ था?
यह विवाद 6 अक्टूबर 2025 को शुरू हुआ था, जब सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई चल रही थी। उस समय राकेश किशोर ने तत्कालीन सीजेआई बी.आर. गवई की बेंच के सामने जूता उछालने की कोशिश की थी।
नाराजगी की वजह
राकेश किशोर मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना को लेकर एक याचिका पर सुनवाई चाहते थे।
कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को 'पब्लिसिटी स्टंट' करार देते हुए खारिज कर दिया था और सलाह दी थी कि अगर वे भक्त हैं, तो भगवान से प्रार्थना करें। इसी बात से नाराज होकर किशोर ने अभद्र व्यवहार किया था।
माफी मिली, लेकिन लाइसेंस गया
उस घटना के बाद पूर्व सीजेआई गवई ने उदारता दिखाते हुए राकेश किशोर को माफ कर दिया था और उन्हें गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया था। हालांकि, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस हरकत को गंभीरता से लेते हुए राकेश किशोर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। 70 वर्षीय राकेश किशोर 2009 से दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत हैं और मयूर विहार इलाके में रहते हैं। उन्होंने पहले भी कहा था कि उन्हें अपनी हरकत पर कोई पछतावा नहीं है क्योंकि 'भगवान ने सपने में उन्हें ऐसा करने को कहा था।'
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