
गुरुग्राम/चंडीगढ़: हरियाणा की स्वास्थ्य सेवाओं में एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अपनी लंबित मांगों को लेकर प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत 3,000 से अधिक डॉक्टरों ने सोमवार से दो दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। डॉक्टरों का आरोप है कि वे पिछले कई सालों से जिन तीन प्रमुख मांगों को उठा रहे हैं, राज्य सरकार उन्हें पूरा करने में विफल रही है। इस हड़ताल के चलते प्रशासन भी हरकत में आ गया है और एहतियात के तौर पर कड़े कदम उठाए गए हैं।
हड़ताल के मद्देनजर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए डिप्टी कमिश्नर (DC) अजय कुमार ने निषेधाज्ञा (Prohibitory Orders) लागू कर दी है। यह आदेश 8 और 9 दिसंबर को प्रभावी रहेगा।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत जारी किए गए इस आदेश के मुताबिक:
सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों (सिविल अस्पताल, सब-डिविजनल अस्पताल, पॉलीक्लिनिक, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) के 200 मीटर के दायरे में पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यह रोक हड़ताल जारी रहने तक लागू रहेगी।
प्रशासन ने साफ चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिला मजिस्ट्रेट ने आशंका जताई है कि हड़ताल से आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो सकती हैं, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ने और आम जनता को असुविधा होने का खतरा है। वहीं, नूंह (Nuh) में भी जिला मजिस्ट्रेट अखिल पिलानी के आदेश पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं।
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA) के बैनर तले विरोध कर रहे डॉक्टरों ने सरकार को पहले ही अल्टीमेटम दे दिया था। उनकी तीन मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
स्पेशलिस्ट कैडर का गठन: विशेषज्ञों के लिए एक अलग कैडर बनाया जाए।
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (SMO) की चयन प्रक्रिया: SMO का चयन सीधी भर्ती के बजाय आंतरिक पदोन्नति (Internal Promotions) के माध्यम से हो।
एसीपी (ACP) योजना: केंद्र सरकार के अस्पतालों की तर्ज पर 'डायनामिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसन' (ACP) योजना लागू की जाए।
संघ के सदस्यों का कहना है कि सीनियर मेडिकल ऑफिसर्स की सीधी भर्ती से बड़ी संख्या में डॉक्टरों की पदोन्नति की संभावनाएं खत्म हो रही हैं। एक सदस्य ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, "इन नियमों में बदलाव की सख्त जरूरत है। कई राज्यों में निश्चित अंतराल पर प्रमोशन का प्रावधान है। उदाहरण के लिए, बिहार के केंद्रीय सरकारी अस्पतालों में एक मेडिकल ऑफिसर 4, 9, 13 और 20 साल में प्रमोशन का पात्र होता है। लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं है। यहाँ 95% से ज्यादा डॉक्टर अपने पूरे करियर में सिर्फ एक प्रमोशन (मेडिकल ऑफिसर से सीनियर मेडिकल ऑफिसर) पाकर ही रिटायर हो जाते हैं।"
भले ही डॉक्टर हड़ताल पर हैं, लेकिन पहले दिन इसका असर मिला-जुला रहा। गुरुग्राम के सेक्टर-10 स्थित सिविल अस्पताल में ओपीडी (OPD) सेवाएं सुचारू रूप से चलती रहीं। स्वास्थ्य विभाग ने संभावित व्यवधान को देखते हुए पहले से ही आकस्मिक व्यवस्था कर ली थी, ताकि मरीजों की देखभाल में कोई कमी न आए।
झारसा (Jharsa) से अपने सात साल के बेटे का इलाज कराने आए जोगी सिंह ने बताया, "मेरे बेटे को पिछले कुछ दिनों से बुखार और बदन दर्द है। हड़ताल की खबर सुनकर मैं बहुत चिंतित था, लेकिन यहाँ सब ठीक है। मुझे डॉक्टर से मिलने या दवा लेने में कोई देरी नहीं हुई।"
जबकि, सेक्टर-10 निवासी सुरेश सैनी भी अपनी गर्भवती पत्नी को दिखाने आए थे। उन्होंने कहा, "मैं गाइनकोलॉजिस्ट से परामर्श के लिए आया था और हमें बिना किसी लंबा इंतजार किए पूरी मदद मिली।"
अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ने वाले किसी भी लंबे संकट को टाल दिया जाएगा।
हालांकि, डॉक्टरों ने आगाह किया है कि सरकार भले ही एक-दो दिन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था से काम चला ले, लेकिन अगर हड़ताल लंबी खिंची तो सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाएगा।
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