शिवमोग्गा: कर्नाटक दलित संघर्ष समिति (KDSS) ने कुवेम्पु विश्वविद्यालय को एक बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। समिति ने कहा है कि यदि विश्वविद्यालय मंगलवार को प्रस्तावित "भगवद गीता और अपराध नियंत्रण" (Bhagavad Gita and Crime Control) विषय पर सेमिनार आयोजित करता है, तो वे इसके खिलाफ 'तमाटे चलवली' (विरोध में ड्रम बजाने वाला आंदोलन) शुरू करेंगे।
यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के बसव मंतपा में आयोजित किया जाना है। इसका आयोजन कुवेम्पु विश्वविद्यालय, स्वर्ण रश्मि ट्रस्ट और भगवद गीता अभियान जिला समिति के सहयोग से किया जा रहा है।
केडीएसएस के राज्य संयोजक एम गुरुमूर्ति ने एक बयान जारी कर इस आयोजन पर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह सेमिनार एक दक्षिणपंथी वैचारिक एजेंडे को बढ़ावा देता है। गुरुमूर्ति ने इसे राष्ट्रकवि कुवेम्पु के आदर्शों और डॉ. बी आर अंबेडकर द्वारा रचित संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भगवद गीता का इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से चातुर्वर्ण व्यवस्था और जाति पदानुक्रम को सही ठहराने के लिए किया गया है। गुरुमूर्ति ने इस आयोजन को "उत्पीड़न का जश्न" मनाने का एक प्रयास करार दिया।
एम गुरुमूर्ति ने आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी समूह ऐसे कार्यक्रमों का इस्तेमाल विश्वविद्यालयों में एक खास वैचारिक ढांचे को थोपने और छात्रों को प्रभावित करने के लिए कर रहे हैं।
केडीएसएस ने यह भी सवाल उठाया कि जब राज्य के किसी अन्य विश्वविद्यालय ने ऐसा कोई सेमिनार आयोजित नहीं किया है, तो कुवेम्पु विश्वविद्यालय ने इसे आयोजित करने का फैसला क्यों किया?
संगठन ने इस बात पर भी कड़ी आपत्ति जताई है कि विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor) इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं। समिति ने इसे "कुवेम्पु के सार्वभौमिक मानवतावादी मूल्यों का अपमान" बताया है।
समिति ने आगे दावा किया कि सेमिनार में आमंत्रित वक्ता उन संगठनों से जुड़े हुए हैं जो गांधी, बसवन्ना और अंबेडकर के विचारों का विरोध करते हैं।
बयान में कहा गया है कि कार्यक्रम से महज दो दिन पहले निमंत्रण पत्र जारी करने से भी कई चिंताएं पैदा हुई हैं। कर्नाटक दलित संघर्ष समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस सेमिनार को तत्काल रद्द करने की मांग की है।
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