नाहन (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश में दलित समुदाय पर बढ़ते अत्याचार, भेदभाव और अधिकारों के हनन के खिलाफ सोमवार को नाहन में दलित संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। 'दलित शोषण मुक्ति मंच' के बैनर तले आठ से अधिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर रोष रैली निकाली और प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखीं।
यह विरोध प्रदर्शन नाहन के हिंदू आश्रम से शुरू हुआ और शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरता हुआ उपायुक्त (DC) कार्यालय पर संपन्न हुआ। यहां प्रदर्शनकारियों ने मंच के प्रदेश संयोजक आशीष कुमार के नेतृत्व में उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को 12 सूत्री मांगों का एक ज्ञापन सौंपा।
रैली से पूर्व हिंदू आश्रम में विभिन्न दलित संगठनों का एक संयुक्त अधिवेशन भी आयोजित किया गया। इस अधिवेशन का शुभारंभ आशीष कुमार ने किया, जबकि मंच का संचालन सतपाल मान द्वारा किया गया।
आशीष कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में हाल के दिनों में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने विशेष रूप से रोहड़ू में दलित छात्र सिकंदर की संदिग्ध मौत और कुल्लू के सैंज में एक दलित महिला पर हुए जानलेवा हमले व उसकी मृत्यु का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं ने पूरे प्रदेश में दलित समुदाय के भीतर गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।
अधिवेशन के दौरान भविष्य की रणनीति और संगठनात्मक मजबूती के लिए 31 सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया। इसमें सर्वसम्मति से राजेश तोमर को संयोजक तथा विजय चौरिया, प्रसन तोमर और प्रवीण सोढ़ा को सह-संयोजक चुना गया।
मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में दलित समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण मांगें शामिल की गई हैं। मंच की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
न्याय और कानून: SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज लंबित मामलों की समयबद्ध और निष्पक्ष जांच पूरी की जाए और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
आरक्षण व निधि: तेलंगाना की तर्ज पर प्रदेश में SC/ST विकास निधि कानून बनाया जाए और 85वां संविधान संशोधन पूर्ण रूप से लागू हो। नई भर्तियों में आरक्षण रोस्टर का सख्ती से पालन हो।
पीड़ितों को राहत: उत्पीड़न के पीड़ित परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता दी जाए।
शिक्षा: दलित वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान समय पर सुनिश्चित किया जाए।
निगरानी: सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले भेदभाव की जांच के लिए एक राज्य स्तरीय निगरानी समिति का गठन हो।
बजट: SC/ST कल्याण योजनाओं के लिए आवंटित बजट का शत-प्रतिशत उपयोग हो और उसकी सार्वजनिक रिपोर्ट जारी की जाए।
सफाई कर्मी: प्रदेश में सफाई कर्मियों को नियमित किया जाए, ठेका प्रथा समाप्त हो और दिल्ली, पंजाब व कर्नाटक की तर्ज पर हिमाचल में भी 'सफाई आयोग' का गठन किया जाए।
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