
नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा में बुधवार को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव सामने आया। वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने राज्य के प्रमुख भवनों का नामकरण झारखंड के महान आदिवासी क्रांतिकारियों के सम्मान में करने का प्रस्ताव सदन पटल पर रखा।
रांची और दुमका लोक भवनों को मिलेगी नई पहचान
वित्त मंत्री ने प्रस्ताव दिया कि रांची स्थित लोक भवन (जिसे पूर्व में राज भवन कहा जाता था) का नाम बदलकर अब 'बिरसा भवन' किया जाए। इसी तरह, उन्होंने उपराजधानी दुमका स्थित लोक भवन का नाम 'सिदो-कान्हू भवन' रखने की वकालत की।
मंत्री किशोर ने सदन को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया, "झारखंड की सीमा के भीतर स्थित लोक भवन राज्य सरकार की संपत्ति हैं, और इनका नाम बदलने का पूरा वैधानिक अधिकार राज्य सरकार के पास सुरक्षित है।"
गौरतलब है कि यह प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय के उस निर्देश के ठीक एक हफ्ते बाद आया है, जिसके तहत देश भर के राज भवनों का नाम बदलकर 'लोक भवन' किया गया था। रांची के राज भवन का नाम औपचारिक रूप से 3 दिसंबर को ही बदलकर लोक भवन किया गया था।
पर्यटन स्थलों की कमान अब डीसी के हाथ
सदन की कार्यवाही के दौरान एक और महत्वपूर्ण विधायी कार्य पूरा हुआ। विधानसभा ने झारखंड पर्यटन विकास और पंजीकरण (संशोधन) विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी।
इस विधेयक के पारित होने से अब उपायुक्तों (Deputy Commissioners) को अपने-अपने जिलों में मौजूद 'श्रेणी ए' (Category A) के पर्यटक स्थलों की देखरेख और प्रबंधन का सीधा अधिकार मिल गया है।
सरकार ने इस कदम के पीछे तर्क दिया कि इससे स्थानीय स्तर पर पर्यटन स्थलों का बेहतर और व्यापक प्रबंधन हो सकेगा। सरकार ने स्वीकार किया कि वर्तमान में पर्यटन विभाग के सचिव, जो पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष भी हैं, कार्यभार अधिक होने के कारण इन स्थलों को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे थे।
बोकारो क्लस्टर और विपक्ष का 'सुरीला' विरोध
सदन के अंदर और बाहर, विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली. बोकारो से विधायक श्वेता सिंह और अन्य कई सदस्यों ने अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के तहत बोकारो में बनने वाले एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (Integrated Manufacturing Cluster) को लेकर सरकार को घेरा। विधायकों ने इस दिशा में निर्णायक कार्रवाई की कमी पर सवाल उठाए। जवाब में सरकार ने जानकारी दी कि बोकारो स्टील प्लांट से परियोजना के लिए जरूरी जमीन की संशोधित अनुमानित लागत का ब्यौरा मांगा गया है।
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही विपक्षी विधायकों ने विधानसभा गेट पर प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि सरकार अपने सात मुख्य वादों को पूरा करने में नाकाम रही है, जिसमें 450 रुपये में गैस सिलेंडर और फसलों के लिए 3,200 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने का वादा शामिल था।
विरोध प्रदर्शन के दौरान एक दिलचस्प नजारा तब दिखा जब पूर्व शिक्षा मंत्री और कोडरमा विधायक नीरा यादव ने सरकार को वादे याद दिलाने के लिए मशहूर हिंदी गाना 'क्या हुआ तेरा वादा' गाकर सुनाया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
सदन के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए पर्यटन मंत्री सुदिव्य सोनू ने नाम बदलने के प्रस्ताव को जनता की आवाज बताया। उन्होंने कहा, "राज्य की जनता सब देख रही है कि कौन इस प्रस्ताव के साथ खड़ा है और कौन इसका विरोध कर रहा है।"
दूसरी ओर, भाजपा विधायक राज सिन्हा ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी को आदिवासी महापुरुषों के नाम पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन, भगवान बिरसा मुंडा के नाम को राजनीति में घसीटना उचित नहीं होगा।"
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