चंडीगढ़: हरियाणा कैडर के 2001 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। पत्रकार आदेश रावल द्वारा सोशल मीडिया 'एक्स' पर किए गए एक पोस्ट ने पूरे मामले को एक नई दिशा दे दी है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि अधिकारी को आत्महत्या के लिए एक सोची-समझी साजिश के तहत मजबूर किया गया था। इस खुलासे के बाद मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे लेकर सीधे तौर पर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
सोमवार, 13 अक्टूबर, को शाम 5:45 बजे किए गए अपने पोस्ट में पत्रकार आदेश रावल ने 29 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच हुई घटनाओं का एक चौंकाने वाला क्रम प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, यह केवल प्रताड़ना का नहीं, बल्कि आईपीएस पूरन कुमार को फंसाने की एक सुनियोजित साजिश का मामला था।
आईपीएस पूरन कुमार को फंसाने और आत्महत्या तक के घटनाक्रम का ब्यौरा:
29-30 सितंबर, 2025: एडीजीपी पूरन कुमार का आईजी रोहतक रेंज के पद से तबादला किया गया और उन्होंने 30 सितंबर को अपना पदभार छोड़ दिया।
1 अक्टूबर, 2025: रावल के अनुसार, जब पूरन कुमार अपने निजी वाहन में अपने पीएसओ (PSO) के साथ यात्रा कर रहे थे, तो रोहतक पुलिस ने उनकी कार को जबरन रोका। विरोध करने और एफआईआर की कॉपी मांगने के बावजूद, उनके पीएसओ को हिरासत में ले लिया गया। आरोप है कि मौके पर मौजूद सीआईए (CIA) इंस्पेक्टर ने एडीजीपी कुमार से कहा, "अगला नंबर आपका है।"
अवैध हिरासत और प्रताड़ना: पोस्ट में दावा किया गया है कि पीएसओ को 5 दिनों तक अवैध हिरासत में रखा गया और उन्हें पूरन कुमार के खिलाफ बयान देने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। लगातार दी गई यातना के बाद पीएसओ ने एक खाली पन्ने पर हस्ताक्षर कर दिए, जिस पर बाद में पुलिस ने कुमार को फंसाने वाला बयान टाइप कर दिया।
जिन्दा रहते किसी ने नहीं सुनी गुहार: इस दौरान, एडीजीपी पूरन कुमार ने कथित तौर पर डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एसपी नरेंद्र बिजारनिया से फोन पर संपर्क करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन उनकी किसी भी कॉल का जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने गुहार लगाई कि उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक प्रतिष्ठा को नुकसान न पहुंचाया जाए।
FIR और गिरफ्तारी की तैयारी: 6 अक्टूबर को, पीएसओ के खिलाफ "जबरन वसूली" के आरोप में पीसी एक्ट (PC Act) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। रावल का आरोप है कि यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि पूरन कुमार की गिरफ्तारी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता न पड़े।
7 अक्टूबर, 2025: पत्रकार के अनुसार, न्याय पाने में खुद को असफल पाकर और अपने परिवार को गहरे उत्पीड़न और सामाजिक कलंक से बचाने के लिए एडीजीपी वाई. पूरन कुमार ने आत्महत्या कर ली।
आदेश रावल के इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भाजपा शासित राज्यों में दलितों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने लिखा, "दलितों के लिए इस देश में रहना और जीना मुश्किल हो गया है। देश के माननीय मुख्य न्यायाधीश जो दलित हैं, उनके चैम्बर में उन पर जूता फेंका जाता है। हरियाणा में ADGP को जातीय अत्याचार से तंग आकर खुदकुशी करनी पड़ती है।"
उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक हफ्ते से अधिकारी का शव रखा है, लेकिन सरकार न्याय नहीं कर पा रही है। उन्होंने भाजपा पर दलितों, मुसलमानों और पिछड़ों के लिए "दानव" होने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि बिहार में ऐसे किसी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह था पूरा मामला
ज्ञात हो कि 7 अक्टूबर को एडीजीपी वाई. पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने सरकारी आवास पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर जाति के आधार पर भेदभाव करने, सार्वजनिक रूप से अपमानित करने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।
आदेश रावल के इन नए दावों ने मामले की जांच को और भी जटिल बना दिया है और हरियाणा पुलिस की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि हरियाणा सरकार और पुलिस इन गंभीर आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.