MP: भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी का ग्वालियर में 15 अक्टूबर का आंदोलन फिलहाल स्थगित, संगठन ने कहा, “यह रणनीतिक विराम है, समझौता नहीं”

ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग लंबे समय से उठती रही है। वकीलों के एक गुट ने इस पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद विवाद गहरा गया।
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भोपाल। मध्यप्रदेश के ग्वालियर हाईकोट में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना और एडवोकेट अनिल मिश्रा डॉ. अम्बेडकर पर अभद्र टिप्पणी को लेकर जारी विवाद के बीच, भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी द्वारा 15 अक्टूबर को प्रस्तावित आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। यह आंदोलन एडवोकेट अनिल मिश्रा द्वारा डॉ. अंबेडकर के प्रति की गई कथित अभद्र टिप्पणी के विरोध में किया जाना था।

गौरतलब है कि हाल ही में ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर वकीलों के दो गुटों में मतभेद सामने आए थे। इसी बीच अधिवक्ता अनिल मिश्रा के विवादित बयान ने तनाव को और बढ़ा दिया। मिश्रा के खिलाफ दलित संगठनों, भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी ने तीखा विरोध जताया था और 15 अक्टूबर को ग्वालियर में बड़े आंदोलन का आह्वान किया था।

संगठन का बयान, “यह रणनीतिक विराम है”

आज़ाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने सोशल मीडिया पर लिखते हुए आंदोलन स्थगित करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा,- “15 अक्टूबर को बुलाए गए आंदोलन को लेकर महत्वपूर्ण सूचना... कानून, प्रशासन और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए, तथा संगठन के साथियों से गहन विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि हमारा आंदोलन फिलहाल अस्थाई रूप से स्थगित किया जा रहा है। यह निर्णय संगठन की गंभीरता, अनुशासन और रणनीतिक सोच का प्रतीक है।”

अस्तेय ने आगे लिखा, कि यह स्थगन किसी प्रकार का समझौता नहीं बल्कि रणनीतिक विराम है। उन्होंने कहा कि संगठन अपनी सभी मांगों पर अडिग है और जब भी उचित समय आएगा, पहले से अधिक शक्ति और एकजुटता के साथ आंदोलन किया जाएगा।

संविधान और लोकतंत्र के दायरे में लड़ाई जारी रहेगी

सुनील अस्तेय ने अपने संदेश में कार्यकर्ताओं से संयम और शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा “हमारी लड़ाई संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के दायरे में रहकर आगे बढ़ेगी। सभी कार्यकर्ता और समर्थक अनुशासन बनाए रखें। यह संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि विचार और सम्मान की रक्षा के लिए है।”

क्या हैं संगठन की मांगें?

  • एडवोकेट अनिल मिश्रा के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

  • डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना शीघ्र पूरा किया जाए।

  • कोर्ट परिसर में समानता और सम्मान की भावना सुनिश्चित की जाए।

द मूकनायक से बातचीत में आज़ाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने कहा कि 15 अक्टूबर को प्रस्तावित आंदोलन को स्थगित करने का फैसला संगठन ने काफी सोच-विचार के बाद लिया है। उन्होंने कहा, “हमने कानून और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए आंदोलन को फिलहाल रोका है। यह किसी समझौते का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक कदम है। जब हमें लगेगा कि समय और परिस्थितियाँ सही हैं, तब हम फिर से मजबूती के साथ मैदान में उतरेंगे।”

सुनील अस्तेय ने आगे कहा कि संगठन अपनी मांगों पर अब भी कायम है और डॉ. अंबेडकर के सम्मान के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा। “हम संविधान के दायरे में रहकर लड़ाई लड़ेंगे। हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा और हमारे कार्यकर्ता अनुशासन बनाए रखें, यही हमारी ताकत है,”

अस्तेय ने यह भी बताया कि संगठन की नजर प्रशासन की हर कार्रवाई पर है और अगर मांगें अनसुनी की गईं तो आंदोलन दोबारा शुरू किया जाएगा।

जानिए क्या है पूरा मामला?

ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग लंबे समय से उठती रही है। वकीलों के एक गुट ने इस पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद विवाद गहरा गया। इसके बाद मिश्रा के डॉ. अम्बेडकर पर विवादित बयान ने इस मामले को सामाजिक-राजनीतिक रूप दे दिया।

भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी ने इसे डॉ. अंबेडकर के सम्मान और संवैधानिक मर्यादा से जुड़ा प्रश्न बताया है। संगठनों का कहना है कि वे संविधान बचाओ के नारे के साथ जल्द ही अपनी अगली रणनीति घोषित करेंगे।

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