संविधान या मनुस्मृति? इंटरकास्ट मैरिज करने पर पिता ने गर्भवती बेटी की हत्या की, दलित संघर्ष समिति ने पूछा- 'अगर जाति नहीं, तो यह नफरत क्यों?'

DSS का आरोप- संविधान की जगह मनुस्मृति लाने की साजिश, RSS प्रमुख के दावों पर भी साधा निशाना।
हत्या
हत्यासाभार- इंटरनेट/ सांकेतिक फोटो
Published on

हुबली: कर्नाटक के हुबली में एक गर्भवती युवती की नृशंस 'ऑनर किलिंग' की घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। इस दिल दहला देने वाली घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए, प्रो. बी. कृष्णप्पा द्वारा स्थापित 'कर्नाटक दलित संघर्ष समिति' (DSS) ने कड़ा रुख अपनाया है। संगठन ने विभिन्न मठों के प्रमुखों और हिंदुत्ववादी संगठनों के नेताओं की चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

जातिगत नफरत का खौफनाक चेहरा

24 दिसंबर को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में DSS के राज्य संयोजक एम. गुरुमूर्ति ने अपना आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि एक पिता द्वारा अपनी ही गर्भवती बेटी की हत्या करना, समाज में गहराई तक धँसी जातिगत नफरत का जीता-जागता सबूत है। पिता ने इस जघन्य अपराध को सिर्फ इसलिए अंजाम दिया क्योंकि उसकी बेटी ने दूसरे समुदाय के लड़के से शादी की थी। इस हमले में लड़की के पति और उसके परिवार के सदस्य भी घायल हुए हैं, जो इस नफरत की आग की भयावहता को दर्शाता है।

RSS के दावों पर सवालिया निशान

गुरुमूर्ति ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों पर तंज कसते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "हाल ही में मोहन भागवत ने दावा किया था कि समाज में कोई जातिगत भेदभाव नहीं है और यह भ्रम राजनेताओं ने अपने फायदे के लिए पैदा किया है। अगर ऐसा है, तो RSS इस ऑनर किलिंग को किस नजरिए से देखता है? क्या यह हत्या यह साबित नहीं करती कि जाति आधारित अत्याचार आज भी समाज में बदस्तूर जारी हैं?"

'संविधान की जगह मनुस्मृति थोपने की साजिश'

DSS संयोजक ने आरोप लगाया कि हिंदुत्ववादी ताकतें भारतीय संविधान को हटाकर उसकी जगह 'मनुस्मृति' लाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुत्ववादी नेताओं के हालिया बयान उनके असली एजेंडे को उजागर करते हैं।

उन्होंने RSS नेता दत्तात्रेय होसबोले के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें भारतीय संविधान से "धर्मनिरपेक्ष" (Secular) और "समाजवादी" (Socialist) शब्दों को हटाने की वकालत की गई थी। इसके अलावा, प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संतों के एक समूह द्वारा 'हिंदू राष्ट्र' के लिए एक मसौदा संविधान तैयार करने की घोषणा का भी जिक्र किया गया। गुरुमूर्ति ने कहा, "ये बातें साफ करती हैं कि इन ताकतों को भारतीय संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है, जो जाति से परे हटकर समानता की बात करता है। ऐसे बयान परोक्ष रूप से उन लोगों का हौसला बढ़ाते हैं जो जाति प्रथा में विश्वास रखते हैं और अत्याचार करते हैं।"

इसके साथ ही, उन्होंने पीड़ित लड़के के परिवार के लिए उचित मुआवजे की मांग भी की।

'सभ्य समाज होने का दावा खोखला'

इस मौके पर मौजूद एडवोकेट के.पी. श्रीपाल ने गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस ऑनर किलिंग ने पूरी मानवता को अपराधबोध से भर दिया है। उन्होंने कहा, "हम एक सभ्य समाज होने का दम भरते हैं, लेकिन इस हत्या ने हमारी असलियत सामने ला दी है कि हम किस हद तक गिर सकते हैं। हम सभी को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए।"

श्रीपाल ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों विभिन्न मठों के धार्मिक प्रमुख और तथाकथित हिंदुत्ववादी नेता इस मौत पर खामोश हैं। उनकी यह चुप्पी कई अनुत्तरित सवाल छोड़ जाती है।

हत्या
दलित बेटी की मौत का सच: फीस के लिए प्रताड़ित किया, फिर बचने के लिए कॉलेज ने खुद लिखी परीक्षा की कॉपियां; FSL रिपोर्ट से खुली पोल
हत्या
हरियाणा: चोरी के शक में 12 वर्षीय दलित बच्चे को बंधक बना दिए बिजली के झटके, 10 लोगों पर केस दर्ज
हत्या
छात्रों की बड़ी जीत: Bombay हाईकोर्ट की फटकार के बाद MGAHV ने छात्रों का निष्कासन-निलंबन लिया वापस

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com