
भिवानी/चंडीगढ़: हरियाणा के भिवानी जिले के लोहारू में पिछले साल हुई 22 वर्षीय दलित कॉलेज छात्रा की आत्महत्या के मामले में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) की जांच में सामने आया है कि जिस परीक्षा को लेकर विवाद था, उसकी उत्तर पुस्तिका (Answer Sheet) में मौजूद लिखावट मृतक छात्रा की नहीं है। इस खुलासे ने कॉलेज प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है।
FSL रिपोर्ट के बाद जुड़ीं नई धाराएं
फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि उत्तर पुस्तिका पर लिखावट छात्रा की लिखावट से मेल नहीं खाती। इस वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर एसआईटी ने कॉलेज निदेशक हनुमान और उनके बेटे राहुल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 338 (मूल्यवान सुरक्षा या वसीयत आदि की जालसाजी), 336 (जालसाजी - नुकसान पहुंचाने या धोखाधड़ी के इरादे से झूठे दस्तावेज बनाना) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत नए आरोप जोड़े हैं।
क्या है पूरा मामला?
मृतक छात्रा के परिवार ने आरोप लगाया था कि फीस न भर पाने के कारण कॉलेज प्रशासन ने उसे बीए (5वें सेमेस्टर) की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी थी। परिवार का यह भी कहना था कि आरोपी राहुल छात्रा को फोन कर परेशान करता था, जिससे तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली। वहीं, कॉलेज अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया था कि छात्रा ने परीक्षा दी थी। लेकिन अब फॉरेंसिक जांच ने कहानी बदल दी है।
SIT ने कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट
राज्य अपराध शाखा (State Crime Branch) के डीएसपी विकास कुमार के नेतृत्व वाली एसआईटी ने 5 दिसंबर को भिवानी कोर्ट में अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। डीएसपी ने रिपोर्ट में बताया, "13 अगस्त को छात्रा की 5वें सेमेस्टर की उत्तर पुस्तिकाएं और उसकी डायरी लिखावट के मिलान और प्रमाणिकता की जांच के लिए दिल्ली की फॉरेंसिक लैब भेजी गई थीं। 8 सितंबर को हमें एफएसएल (FSL) रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि उत्तर पुस्तिकाओं की लिखावट मृतक से मेल नहीं खाती।"
रिपोर्ट मिलने के बाद, 27 दिसंबर, 2024 को दर्ज एफआईआर (जो पहले BNS की धारा 108, 3(5) और 238-बी के तहत थी) में हनुमान और उनके बेटे राहुल के खिलाफ धारा 338, 336 और 340 (जाली दस्तावेज का उपयोग करना) जैसी नई धाराएं जोड़ी गई हैं। मामले में जांच अभी जारी है।
SC आयोग के हस्तक्षेप से बदली जांच की दिशा
इससे पहले, पूर्व जांच अधिकारी (IO) डीएसपी विवेक चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि छात्रा ने आरोपी राहुल के साथ कथित 'संबधों' की जानकारी माता-पिता को मिलने के डर से आत्महत्या की थी। उन्होंने कॉलेज निदेशक हनुमान, उनके बेटे राहुल, बेटी संजू और प्रिंसिपल सरिता को क्लीन चिट देने की कोशिश की थी।
हालांकि, 23 मार्च को आरोपियों को बरी करने के लिए एक आवेदन दिया गया था, जिस पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) ने स्वतः संज्ञान लिया। 14 मई को आयोग ने पिछली जांच को असंतोषजनक और प्रक्रियात्मक रूप से कमियों वाला पाया। आयोग ने स्पष्ट आदेश दिया था कि छात्रा की उत्तर पुस्तिकाओं, हॉल टिकट और कॉल डिटेल्स की जांच केंद्रीय फॉरेंसिक लैब (CFSL) से कराई जाए।
आयोग ने निर्देश दिया था कि फॉरेंसिक नतीजे आने तक कोर्ट में कोई क्लोजर रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाएगी। इसके बाद ही जांच अधिकारी बदला गया और नए सिरे से जांच शुरू हुई।
आरोपियों की जमानत रद्द करने की मांग
छात्रा के वकील रजत कलसन ने बताया कि उन्होंने आज कोर्ट में आरोपी पिता-पुत्र की जमानत अर्जी रद्द करने की दलील पेश की है और मांग की है कि पुलिस कॉलेज मालिक की भूमिका की भी जांच करे।
मृतका के पिता ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन के उस झूठे दावे को बेनकाब कर दिया है कि उनकी बेटी को परीक्षा में बैठने दिया गया था। उन्होंने मांग की है, "पुलिस को यह जांच करनी चाहिए कि मेरी बेटी की जगह परीक्षा में कौन बैठा था और इस साजिश में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।"
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.