संविधान की इस किताब को भूलकर भी न खरीदें! जानिए दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों लगाया बैन?

ईस्टर्न बुक कंपनी की याचिका पर कोर्ट ने पाया कि रूपा पब्लिकेशन्स का संस्करण भ्रामक रूप से समान है। बाज़ार से सभी प्रतियां वापस मंगाने का भी आदेश जारी।
Constitution of India
संविधान की हूबहू कॉपी छापने पर दिल्ली HC का एक्शन, बाज़ार से सारी किताबें हटाने का आदेश।(Ai तस्वीर)
Published on

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए रूपा पब्लिकेशन्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को भारत के संविधान के अपने लाल-और-काले रंग के कोट-पॉकेट संस्करण के प्रकाशन और बिक्री से तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। न्यायालय ने यह कदम तब उठाया जब उसने पाया कि रूपा पब्लिकेशन्स का यह संस्करण, ईस्टर्न बुक कंपनी (EBC) द्वारा प्रकाशित संस्करण से "प्रथम दृष्टया" काफी मिलता-जुलता है।

न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने ईस्टर्न बुक कंपनी द्वारा दायर एक मुकदमे पर यह अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि दोनों प्रकाशनों को देखने से यह "पहली नज़र में स्पष्ट" हो जाता है कि रूपा पब्लिकेशन्स द्वारा अपनाया गया उत्पाद का बाहरी डिज़ाइन और स्वरूप (ट्रेड ड्रेस) भ्रामक रूप से EBC के उत्पाद जैसा ही है।

अदालत ने 25 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा, "प्रतिवादी (रूपा) ने एक समान रंग योजना, टेक्स्ट और फ़ॉन्ट, सुनहरी किनारी, बुक पोस्टीन रंग और उभरी हुई सुनहरी डिटेलिंग को अपनाया है। यह देखते हुए कि वादी और प्रतिवादी दोनों एक ही तरह के व्यवसाय में हैं, समान व्यापार चैनलों का उपयोग करते हैं, और ग्राहकों के एक ही वर्ग को सेवा प्रदान करते हैं, ऐसे में भ्रम की एक प्रबल संभावना मौजूद है।"

न्यायमूर्ति अरोड़ा ने आगे कहा कि EBC द्वारा प्रस्तुत की गई एक तुलनात्मक तालिका से यह पता चलता है कि रूपा पब्लिकेशन्स ने बिना किसी स्वतंत्र रचनात्मकता के, उनके उत्पाद के लेआउट की पूरी तरह से नकल की है।

अदालत के आदेश में यह भी उल्लेख किया गया, "एक औसत बुद्धि और अपूर्ण स्मरण वाले अनजान उपभोक्ता को प्रतिवादी के कोट-पॉकेट संस्करण का डिज़ाइन और स्वरूप, वादी के कोट-पॉकेट संस्करण के समान दिखने की पूरी संभावना है। इस तरह की समानता उपभोक्ताओं को उक्त उत्पादों के स्रोत या मूल के बारे में गुमराह कर सकती है।"

इस फैसले के साथ ही, न्यायाधीश ने रूपा पब्लिकेशन्स पर अपने लाल-और-काले कोट-पॉकेट संस्करण के निर्माण, प्रकाशन, विपणन, बिक्री या विज्ञापन करने पर रोक लगा दी है। यह रोक कंपनी के फ्रेंचाइजी, डीलरों, वितरकों या एजेंटों पर भी लागू होगी।

इसके अलावा, अदालत ने रूपा पब्लिकेशन्स को दो सप्ताह के भीतर बाज़ार से इस संस्करण के सभी बिना बिके हुए स्टॉक को वापस लेने और सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से इसकी लिस्टिंग हटाने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी, 2026 की तारीख तय की गई है।

Constitution of India
रक्तदान पर विवाद: क्यों LGBTQIA+ समुदाय के लोग भारत में खून नहीं दे सकते? मोहनलाल के बयान से फिर छिड़ी बहस
Constitution of India
असम: एसटी दर्जे की मांग पर सड़कों पर 6 आदिवासी समुदाय, युवाओं के आंदोलन से बढ़ी सरकार की मुश्किल
Constitution of India
TM Exclusive दलित-आदिवासी और महिलाओं के हक़ पर सरकार ख़ामोश! साढ़े तीन साल से आयोगों में खाली कुर्सियाँ, लाखों शिकायतें लटकीं

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com