असम: एसटी दर्जे की मांग पर सड़कों पर 6 आदिवासी समुदाय, युवाओं के आंदोलन से बढ़ी सरकार की मुश्किल

ST दर्जे के लिए असम में मटक सहित 6 आदिवासी समुदायों का महाआंदोलन, युवाओं के मशाल जुलूस से CM सरमा पर दबाव; जानें पूरा मामला.
Assam's Matak community
असम में ST दर्जे के लिए 6 आदिवासी समुदायों का बड़ा आंदोलनफोटो साभार- bhaskarenglish.in
Published on

नई दिल्ली: प्रसिद्ध गायक जुबीन गर्ग के निधन के शोक में डूबे असम के सामने अब एक नई और बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। यह मुश्किल राज्य के 6 आदिवासी समुदायों की वजह से पैदा हुई है, जो अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। बीते 10 दिनों से, असम का मटक समुदाय विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

मटक समुदाय ने दो विशाल रैलियां आयोजित की हैं, जिनमें हर बार 30 से 40 हजार आदिवासी मशाल लेकर विरोध दर्ज कराने पहुंचे हैं। इनमें से एक रैली डिब्रूगढ़ में हुई, जिसकी गूंज राजधानी गुवाहाटी सहित पूरे राज्य में महसूस की गई।

इस समुदाय की मुख्य मांगें हैं— अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा और साथ ही अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और प्रशासनिक निर्णय लेने का अधिकार यानी पूर्ण स्वायत्तता।

सिर्फ मटक समुदाय ही नहीं, बल्कि पांच अन्य आदिवासी समूह भी इन्हीं मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। ये सभी छह समुदाय मिलकर राज्य की कुल आबादी का लगभग 12% हिस्सा हैं।

आंदोलन की कमान युवाओं के हाथ

इस पूरे आंदोलन की बागडोर युवाओं के हाथों में है। रैलियों में जुटने वाली अधिकांश भीड़ 30 साल से कम उम्र की है। ऑल असम मटक स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष संजय हजारिका ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "हम मूल रूप से एक जनजाति हैं, लेकिन आज तक हमें यह दर्जा नहीं दिया गया। मौजूदा सरकार ने हर बार हमें धोखा दिया है। इसलिए, जब तक कोई समाधान नहीं निकलता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम मटक-बहुल हर जिले में रैलियां करेंगे और विरोध दर्ज कराने के लिए नई दिल्ली तक जाएंगे।"

वास्तव में, मटक समुदाय की यह मांग काफी पुरानी है। इस संबंध में उनके प्रतिनिधियों ने सरकार के साथ कई बार बातचीत की है, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल सका। अब, असम विधानसभा चुनाव नज़दीक आने के कारण मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर दबाव बढ़ गया है। वह लगातार मटक समुदाय को बातचीत के लिए बुला रहे हैं, मगर समुदाय ने बातचीत करने से साफ़ इनकार कर दिया है।

'पहली बार मटक समुदाय ने किया इतना बड़ा विरोध'

दो दशक से पत्रकारिता से जुड़े रहे राजीव दत्त का कहना है कि मटक समुदाय बरसों से उपेक्षित महसूस कर रहा है। यह पहला मौका है जब उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। इससे पहले, 19 सितंबर को तिनसुकिया में हुई रैली में 50 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे, जबकि 26 सितंबर को डिब्रूगढ़ की रैली में 30 हजार से ज्यादा लोग जुटे थे। इतनी बड़ी भीड़ ने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

यह विरोध प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ, जब तिनसुकिया में बड़े प्रदर्शन के एक दिन बाद ही, 25 सितंबर को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मटक नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया था, जिसे समुदाय ने ठुकरा दिया।

मटक समुदाय से पहले, पिछले महीने डिब्रूगढ़ में मोरान समुदाय भी अनुसूचित जनजाति के दर्जे के लिए बड़ा आंदोलन कर चुका है। ऑल मोरान स्टूडेंट्स यूनियन के नेतृत्व में एक विशाल रैली निकाली गई थी, जिसका नारा था— 'नो एसटी, नो रेस्ट' (एसटी नहीं तो चैन नहीं)।

यूनियन के महासचिव जोयकांता मोरान ने बताया कि 2014 से उन्होंने सरकार के साथ कई बैठकें कीं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस बार पूरा समुदाय गुस्से में है और हर बात लिखित में चाहता है। उन्होंने बताया कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री से बातचीत हुई है और उन्होंने 25 नवंबर तक का समय दिया है। मोरान ने चेतावनी दी कि यदि इस समय-सीमा के भीतर काम नहीं हुआ, तो वे राज्य में आर्थिक नाकेबंदी लागू करेंगे।

असम सरकार को क्या डर सता रहा है?

मटक समुदाय के साथ-साथ पांच अन्य आदिवासी समुदाय हैं: चाय जनजाति (टी ट्राइब), ताई अहोम, मोरान, चुटिया और कोच राजबोंगशी। ये वही समुदाय हैं, जिन्हें 2014 का आम चुनाव जीतने के बाद भाजपा सरकार ने एसटी का दर्जा देने का वादा किया था। 2011 की जनगणना के अनुसार, असम की कुल 3.12 करोड़ आबादी में 38 लाख यानी 12.4% आदिवासी थे।

यदि इन छह समुदायों को एसटी का दर्जा मिल जाता है, तो राज्य में आदिवासी आबादी बढ़कर 40% तक पहुँच जाएगी। इसी बात को लेकर राज्य के गैर-आदिवासियों में यह आशंका है कि अगर राज्य में एसटी आबादी 50% तक पहुँच गई, तो असम भी नागालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तरह 'पूर्ण एसटी राज्य' बन जाएगा। ऐसी स्थिति में, केंद्र सरकार के लिए राज्य को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना एक मजबूरी बन जाएगा। इसके बाद, केंद्र सरकार को राज्य के सभी कार्यों के लिए उनकी अनुमति लेनी अनिवार्य हो जाएगी।

Assam's Matak community
तमिलनाडु: दलित छात्रों को रास्ते से जाने के लिए रोकने वाली महिला और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज
Assam's Matak community
दलित विरोधी है JDU-BJP की 'डबल इंजन' सरकार? तेजस्वी यादव का दावा: 'डॉक्टर सिर्फ 0.015%, इंजीनियर 0.1%'
Assam's Matak community
MP में आधार में गड़बड़ी से 39 लाख विद्यार्थी प्रभावित: सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्ति और शिक्षा व्यवस्था पर पड़ सकता है असर

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com