पटना बिहार की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। राज्य सरकार के मंत्री और बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा पर एक स्थानीय पत्रकार के साथ मारपीट और गाली-गलौज करने का गंभीर आरोप लगा है। इस घटना के बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव खुद पीड़ित पत्रकार को लेकर थाने पहुँचे और मामले में FIR दर्ज कराई, जिससे यह मामला और भी तूल पकड़ लिया है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और तेजस्वी यादव द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर साझा की गई जानकारी के अनुसार, यह घटना दरभंगा के जाले विधानसभा क्षेत्र की है। आरोप है कि स्थानीय पत्रकार दिवाकर साहनी ने मंत्री जीवेश कुमार से सड़क निर्माण से जुड़ा एक सवाल पूछा था। इस सवाल से मंत्री कथित तौर पर नाराज हो गए और उन्होंने अपने समर्थकों से कहा, "मोबाइल छीनो इसका और डिलीट करो।"
RJD के आधिकारिक 'X' हैंडल के मुताबिक, इसके बाद पत्रकार के साथ न केवल मारपीट की गई, बल्कि उन्हें गालियाँ भी दी गईं। तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में इस घटना को और भी गंभीर बताते हुए लिखा कि मंत्री के इशारे पर पत्रकार को "रात के अँधेरे में बेरहमी से पीटा और माँ-बहन की अभद्र गालियाँ दीं।"
इस घटना के सामने आते ही विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे "नीतीश सरकार का राक्षसराज" करार दिया। उन्होंने मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए पीड़ित पत्रकार से मुलाकात की और उन्हें लेकर खुद दरभंगा के सिंहवाड़ा थाने पहुँचे। वहाँ उन्होंने अपनी मौजूदगी में मंत्री जीवेश मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज करवाई।
आरजेडी के युवा नेता प्रियांशु कुशवाहा ने तेजस्वी के थाने पहुँचने की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "अब सरकार थाने तक आ गई है। किसी के साथ अन्याय नही होगा।" इस कदम से यह स्पष्ट है कि RJD इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाने की तैयारी में है।
तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घेरा है। उन्होंने अपने पोस्ट में सवाल किया, "क्या प्रधानमंत्री मोदी जी उनके चेहते मंत्री द्वारा पत्रकार की माँ-बहन को गाली देने पर अब टीवी पर बैठ बहस बाजी करेंगे? क्या दिल्ली स्टूडियो में बैठे पत्रकार अब इस पर डिबेट करेंगे? क्या उनकी अंतरात्मा जागेगी?"
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधते हुए उन्हें "अचेत, बेशुद्ध और मानसिक रूप से अस्वस्थ" बताया और पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी ऐसे मंत्री को बर्खास्त करेंगे।
यह घटना अब बिहार में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। एक तरफ जहाँ विपक्ष इसे सरकार की तानाशाही और पत्रकारों पर हमले के रूप में पेश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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