2017 की खौफनाक हत्या पर सुप्रीम कोर्ट का फटकार: ‘अगर आरोपी बाहर आया तो कई लोगों की नींद उड़ जाएगी!'

भिवंडी कांग्रेस कॉर्पोरेटर मनोज महात्रे की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा, ट्रायल में देरी और आरोपी की जमानत पर कड़ी टिप्पणी की।
Supreme Court Slams Lack of Witness Protection in Bhiwandi Corporator Murder Case.
भिवंडी कॉर्पोरेटर हत्याकांड में 75 गवाहों पर निर्भरता पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवालग्राफिक- राजन चौधरी, द मूकनायक
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के भिवंडी कॉर्पोरेटर मर्डर केस में महाराष्ट्र सरकार द्वारा बड़ी संख्या में गवाहों पर निर्भरता पर सवाल उठाते हुए कहा कि समाज के चरित्र में गिरावट के कारण आज लोग सच के लिए खड़े होने को तैयार नहीं हैं।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ कांग्रेस कॉर्पोरेटर मनोज महात्रे की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता बताए जा रहे प्रशांत भास्कर महात्रे की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मामले में अहम गवाहों की सूची पेश करने को कहा, ताकि आरोपियों के खिलाफ मुकदमे को तेजी से पूरा करने की समयसीमा तय की जा सके।

पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, “समाज के चरित्र में गिरावट के कारण आजकल लोग सच के लिए खड़े नहीं होते। आप इतने गवाहों की गवाही पर क्यों निर्भर हैं? हां, अपराधियों द्वारा गवाहों पर दबाव डालने का खतरा है और दुर्भाग्यवश इस देश में कोई प्रभावी गवाह संरक्षण कार्यक्रम नहीं है।”

राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि आरोपपत्र में 200 गवाहों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से 75 को अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत में पेश किया जाना है। वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान 14 गवाहों की गवाही हो चुकी है, जिनमें से 10 गवाह मुकर गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने महात्रे के आपराधिक इतिहास के बारे में भी पूछा, जिस पर राज्य सरकार के वकील ने बताया कि आरोपी पर दर्जनों मामले दर्ज हैं। हालांकि, महात्रे के वकील ने कहा कि इनमें से कई मामलों में उन्हें बरी किया जा चुका है और वह 2017 से जेल में बंद हैं, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए।

इस पर अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “यहां से कोई चमत्कार की उम्मीद मत रखिए। हमारा मकसद सिर्फ यह है कि आपके खिलाफ मुकदमा तेजी से पूरा हो। हम चाहते हैं कि समाज में शांति बनी रहे। अगर आप जेल से बाहर आते हैं, तो बहुत से लोगों की नींद उड़ जाएगी।”

जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि कोर्ट तकनीकी रूप से मामले की निगरानी नहीं कर रही है, बल्कि केवल यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ट्रायल शीघ्रता से पूरा हो।

बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 7 फरवरी को महात्रे की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सभी आरोपियों के इकबालिया बयानों से यह प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता है। कोर्ट ने महात्रे के ड्राइवर के बयान का हवाला भी दिया, जिसमें कहा गया था कि मृतक के साथ उनका राजनीतिक विवाद लंबे समय से चला आ रहा था और 2013 में भी उन्होंने पीड़ित पर हमला किया था।

हाई कोर्ट ने कहा, “रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि याचिकाकर्ता मुख्य साजिशकर्ता था, जिसने अन्य आरोपियों को उकसाया और उनके साथ मिलकर पीड़ित पर क्रूर हमला किया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इसलिए कोर्ट को याचिका में कोई दम नहीं लगता और इसे खारिज किया जाता है।”

एफआईआर के अनुसार, भिवंडी-निजामपुर नगर निगम के तीन बार निर्वाचित कांग्रेस पार्षद मनोज महात्रे पर 14 फरवरी, 2017 को दिनदहाड़े फायरिंग और धारदार हथियारों से हमला किया गया, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

घटना के तुरंत बाद पीड़ित के ड्राइवर द्वारा दर्ज एफआईआर में बताया गया कि हमलावर मौके से फरार हो गए और कुछ एक स्विफ्ट कार से भागे, जो उन्हें भगाने के लिए बाहर खड़ी थी। बाद में पुलिस ने महात्रे के चचेरे भाई प्रशांत भास्कर महात्रे समेत आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया।

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