बहराइच हिंसा: 'मनुस्मृति' का जिक्र कर कोर्ट ने सुनाई सरफराज को फांसी की सजा, कहा- यह अपराध मानवता के लिए कलंक

बहराइच हिंसा: 'नाखून उखाड़े, पैरों को जलाया', कोर्ट ने 9 को उम्रकैद और सरफराज को दी फांसी; फैसले में मनुस्मृति का भी जिक्र
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अदालत
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहराइच में अक्टूबर 2024 में हुई हिंसा, जिसने पूरे जिले को सांप्रदायिक तनाव की आग में झोंक दिया था, उस पर कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ गया है। बहराइच सत्र न्यायालय के न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने एक युवक की नृशंस हत्या को "अत्यधिक बर्बरता" का कृत्य करार देते हुए मुख्य आरोपी सरफराज उर्फ रिंकू को मौत की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस घटना ने न केवल सामाजिक व्यवस्था को हिलाकर रख दिया, बल्कि "मानवता के ताने-बाने को तार-तार" कर दिया।

रूह कंपा देने वाली क्रूरता: 'पैरों को ऐसे जलाया कि नाखून अलग हो गए'

अदालत ने फैसले में अपराध की गंभीरता का जिक्र करते हुए बेहद सख्त टिप्पणी की। फैसले के पेज नंबर 135 के बिंदु 88 पर कोर्ट ने लिखा कि दोषियों का कृत्य हैवानियत की हदें पार करने वाला था। एक निहत्थे युवक को गोलियों से छलनी कर दिया गया। दरिंदगी यहीं नहीं रुकी, उसके पैरों को इतनी बुरी तरह जलाया गया कि पैर के अंगूठे के नाखून तक उखड़ गए।

न्यायाधीश ने कहा, "उनके इस कृत्य से मानवता कराह उठी। समाज का ढांचा बिखरने की कगार पर पहुंच गया और एक पूरे वर्ग का विश्वास चकनाचूर हो गया।" कोर्ट ने माना कि इस अपराध ने समाज में व्यापक भय, अस्थिरता और भारी आक्रोश पैदा किया।

मनुस्मृति का हवाला: दंड बिना नहीं चल सकता समाज

फैसले की सबसे अहम बात यह रही कि कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाते समय प्राचीन ग्रंथ 'मनुस्मृति' का उल्लेख किया। न्यायमूर्ति ने मनुस्मृति के सिद्धांतों को रेखांकित करते हुए कहा कि सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों को उनके नैतिक व नागरिक कर्तव्यों का पालन कराने के लिए दंड का विधान अनिवार्य है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उद्धृत श्लोक के अनुसार, जो कोई भी कानून द्वारा स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, उसे न्याय और समाज के हित में समुचित दंड मिलना ही चाहिए। यह न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह जनता की चिंताओं को सुने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वालों को कठोरतम सजा दे, ताकि न्याय का उद्देश्य पूरा हो सके और समाज में पनप रहे ऐसे "दानवों" में कानून का डर पैदा हो।

'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' केस: किसे मिली क्या सजा?

अदालत ने मामले को "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" (विरल से विरलतम) श्रेणी में रखते हुए माना कि अपराध पूर्व नियोजित, निर्मम और सामाजिक रूप से अस्थिर करने वाला था। कोर्ट ने पाया कि दोषियों के खिलाफ सजा बढ़ाने वाली परिस्थितियां लगभग 100% थीं, जबकि राहत देने वाले कारक न के बराबर थे।

गुरुवार को सुनाए गए फैसले में सजा का विवरण इस प्रकार है:

  • फांसी की सजा: मुख्य आरोपी सरफराज उर्फ रिंकू को मौत की सजा सुनाई गई है।

  • आजीवन कारावास: 9 अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली है। इनके नाम हैं- अब्दुल हमीद, फहीम, सैफ अली, जावेद खान, जीशान उर्फ राजा उर्फ साहिर, ननकऊ, मारूफ अली, शोएब खान और तालिब उर्फ सबलू।

इन सभी को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103 (2) (हत्या), 191 (2) (दंगा), 191 (3) (घातक हथियारों के साथ दंगा), आर्म्स एक्ट और अन्य गंभीर धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया है।

तीन आरोपी बरी सबूतों के अभाव में कोर्ट ने तीन आरोपियों- अफजल, शकील और खुर्शीद को बरी कर दिया है।

न्यायालय ने अपने आदेश में जोर देकर कहा कि ऐसे अपराधियों के लिए कठोर दंड ही एकमात्र रास्ता है ताकि न्यायिक प्रणाली में जनता का भरोसा बहाल हो सके और भविष्य में कोई ऐसी जघन्य वारदात करने की हिम्मत न कर सके।

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