रेप के आरोपी से पीड़िता ने रचाई शादी, अब बच्चे के साथ जी रहे खुशहाल जीवन; हाईकोर्ट ने रद्द किया मुकदमा

संत कबीर नगर का मामला: 2017 में दर्ज हुआ था पॉक्सो और रेप का केस, कोर्ट ने कहा- अब मुकदमा चलाना परिवार के लिए 'कानूनी चोट' जैसा होगा.
इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
Published on

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक संवेदनशील मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए दुष्कर्म और पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। अदालत ने यह निर्णय तब लिया जब यह तथ्य सामने आया कि आरोपी और पीड़िता ने न केवल विवाह कर लिया है, बल्कि वे काफी समय से एक सुखी दांपत्य जीवन भी बिता रहे हैं।

न्यायमूर्ति ने कही बड़ी बात

यह फैसला न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने 20 नवंबर को सुनाया। मामला संत कबीर नगर की एक निचली अदालत में लंबित था, जिसे रद्द करने के लिए मुख्य आरोपी और दो अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने माना कि मौजूदा परिस्थितियों में मुकदमे को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है।

अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा, "मौजूदा मामले में मुख्य याचिकाकर्ता (आरोपी) और पीड़िता ने विधिवत विवाह कर लिया है। इस शादी से उनका एक बच्चा भी है और वे पिछले कई वर्षों से एक खुशहाल शादीशुदा जिंदगी जी रहे हैं। यहां तक कि शिकायतकर्ता (लड़की के पिता) ने भी अदालत के मध्यस्थता केंद्र (Mediation Centre) में समझौता कर लिया है।"

कोर्ट ने आगे चिंता जताते हुए कहा कि अगर इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को रद्द नहीं किया गया, तो यह पति-पत्नी और उनके परिवार के सदस्यों के लिए एक 'कानूनी आघात' (Legal Injury) जैसा होगा।

'अपराध का दाग धुल गया'

न्यायमूर्ति सिंह ने मामले की गंभीरता और बाद में हुए घटनाक्रमों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण अवलोकन किया। उन्होंने कहा, "बाद में हुए विकास (शादी और बच्चे) को देखते हुए, आवेदकों द्वारा किया गया अपराध, यदि कोई था भी, तो अब वह धुल चुका है। ऐसे में आवेदकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा।"

क्या था पूरा मामला?

घटनाक्रम जनवरी 2017 का है, जब संत कबीर नगर के बखिरा पुलिस स्टेशन में लड़की के पिता ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी। पिता ने आरोप लगाया था कि मुख्य आरोपी उनकी नाबालिग बेटी को भगा ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।

हालांकि, कहानी में नया मोड़ तब आया जब पीड़िता ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी, क्योंकि वह उस समय बालिग (Major) थी।

मुकदमे के दौरान ही, आरोपी और पीड़िता ने विवाह कर लिया और साथ रहने लगे। इस रिश्ते से अगस्त 2018 में उन्होंने एक बेटे का स्वागत किया। परिवार की खुशहाली और आपसी समझौते को प्राथमिकता देते हुए हाईकोर्ट ने अब पुरानी एफआईआर और उससे जुड़ी कार्यवाही को समाप्त कर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट
लेबर कानूनों में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव: केंद्र सरकार लागू करेगी 4 नए लेबर कोड, 29 पुराने कानून होंगे खत्म
इलाहाबाद हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश: SC/ST एक्ट के तहत मामलों के तुरंत निपटारे की मांग, वरिष्ठ IPS अधिकारियों की नियुक्ति का सुझाव
इलाहाबाद हाईकोर्ट
केरल यूनिवर्सिटी: जातिगत भेदभाव के आरोपों के बीच दलित स्कॉलर की PhD पर रोक, डीन पर लगा गंभीर आरोप

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com