
नई दिल्ली: अपने ही क्लाइंट के साथ निजी रिश्ते में इन्वोल्व होने वाली एक महिला वकील को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। यह क्लाइंट तलाक का केस लड़ रहा था और महिला वकील उसे सलाह दे रही थीं, दोनों के बीच प्रेम सम्बन्ध बन गये। बाद में महिला वकील ने उसके खिलाफ सेक्शुअल असॉल्ट का केस दर्ज कराया जिसपर आरोपी ने अग्रिम जमानत की पेटीशन लगाई। कोर्ट ने साफ कहा कि वकील होने के नाते उन्हें प्रोफेशनल बॉउंड्रीज का ध्यान रखना चाहिए था।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बी.वी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 36 वर्षीय महिला वकील से सवाल किया, "आप वकील हैं। क्लाइंट का तलाक का केस हैंडल कर रही हैं। फिर आपने ऐसा क्यों किया? हम ऐसी उम्मीद नहीं करते।" कोर्ट ने जोर देकर कहा कि तलाक का केस खत्म होने तक क्लाइंट शादी नहीं कर सकता, और वकील को यह सब पता होना चाहिए।
महिला वकील ने सफाई दी कि उन्होंने क्लाइंट का केस फॉर्मली हैंडल नहीं किया, सिर्फ गाइडेंस दी थी। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि अगर आप लीगल एडवाइजर बनीं और पर्सनल रिलेशनशिप में पड़ गईं, तो फर्क नहीं पड़ता कि आप कोर्ट में अपीयर हुईं या नहीं।
यह केस क्लाइंट (पिटिशनर) का है, जो अब लंदन में रह रहा है। महिला वकील ने उसके खिलाफ सेक्शुअल असॉल्ट का केस दर्ज कराया है जिसपर पिटिशनर ने एंटीसिपेटरी बेल की याचिका लगाई । क्लाइंट के वकील ऋषि मल्होत्रा ने बताया कि महिला वकील ने पहले भी चार ऐसे ही सेक्शुअल असॉल्ट के केस अलग-अलग लोगों के खिलाफ दाखिल किए हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी कंडक्ट पर इंक्वायरी का आदेश भी दिया था।
जस्टिस नागरत्ना ने महिला वकील की अधिवक्ता से कहा, "वो कोई साधारण, अनपढ़ या नादान इंसान नहीं हैं। वो वकील हैं। क्लाइंट का तलाक का केस हैंडल कर रही हैं। फिर नजदीकियां क्यों बढ़ाईं?" महिला वकील ने बीच में बोलते हुए दोहराया, "नहीं, मैंने उनका केस नहीं लिया। वो सिर्फ गाइडेंस लेने आए थे। मैं कभी कोर्ट में उनके लिए अपीयर नहीं हुई।"
कोर्ट ने महिला वकील के वकील की दलीलें भी ठुकरा दीं, जिसमें क्लाइंट को फरार बताया गया था। बेंच ने कहा कि क्लाइंट तो विवाद से पहले ही विदेश में रह रहा था। पेटिशनर के वकील ने कोर्ट को बताया कि "ये लव रिलेशन था, लव बर्ड्स के बीच क्या हुआ, वे टेस्टिफाई नहीं सकते।" फिलहाल, कोर्ट ने क्लाइंट के अरेस्ट को रोकते हुए "कोई कोर्सिव स्टेप्स नहीं" का आदेश दिया।
कोर्ट ने महिला वकील को सलाह दी, "अपने क्लाइंट को सलाह दो। इस मेस से बाहर निकलो। अपनी प्रोफेशन पर फोकस करो।" साथ ही महिला पक्ष से डिटेल्ड एफिडेविट मांगा, ताकि आरोपों की सच्चाई जांच सके। कोर्ट ने कहा कि आरोपों को बिना जांचे स्वीकार नहीं करेगा।
चार्जशीट पहले ही फाइल हो चुकी है और पेटिशनर ने भारत लौटने पर जांच में कोऑपरेट करने की इच्छा जताई है। अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.