
बांसवाड़ा- राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर के एक फैसले ने आदिवासी बहुल जिले बांसवाड़ा के हजारों परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। बोर्ड ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षा शुल्क में अचानक बढ़ोतरी कर दी है, जिससे गरीब आदिवासी परिवारों के बच्चों की पढ़ाई पर संकट के बादल छा गए हैं।
बोर्ड ने सैद्धांतिक परीक्षा शुल्क 600 रुपये से बढ़ाकर 850 रुपये कर दिया गया है, प्रायोगिक परीक्षा शुल्क 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये प्रति विषय कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी नियमित और स्वयंपाठी दोनों प्रकार के छात्रों पर लागू होगी। राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र चौधरी ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर द्वारा सैद्धांतिक परीक्षा में 250 रु ओर प्रायोगिक परीक्षा में शत प्रतिशत 100% बढ़ोतरी यानी 100 रु प्रति विषय से बढ़ाकर 200 रु किए जाने की वृद्धि को अनुचित करार दिया है।
बांसवाड़ा जिले में अकेले 38,000 से अधिक छात्र इस फैसले से प्रभावित होंगे। जिले की 80% से अधिक आबादी आदिवासी समुदाय से आती है, जिनमें से अधिकांश परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। अधिकांश लोग गुजरात या आसपास के राज्यों में मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं जिनके लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी बहुत कठिन है, ऐसे में वे बमुश्किल बच्चों की फीस भर पाते हैं।
स्थानीय अभिभावक इस फैसले से आक्रोश में हैं। भंवर वोड ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच और अभिभावक धीरजमल का कहना है, "गरीब आदिवासी परिवारों के लिए यह फीस बढ़ोतरी एक अतिरिक्त बोझ की तरह है। महंगाई के इस दौर में हम पहले ही संघर्ष कर रहे हैं। इससे हमारे बच्चों की शिक्षा, खासकर बालिका शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।"
शिक्षक नेता वीरेंद्र चौधरी का सीधा कहना है कि गरीब जनजाति विद्यार्थियो से लूट कर बोर्ड कर्मचारियों को हजारों रुपए वार्षिक बोनस दिए जा रहे हैं वहीं सभी कार्य आवेदन पत्र से लेकर फीस का चालान ओर अन्य बोर्ड के कार्य मूल्यांकन, विक्षण,सहित हर कार्य में बोर्ड द्वारा समय पर भुगतान नहीं करता है, वहीं अनावश्यक 20% की कटौती मंदिर,पत्रिका ओर अन्य मद में कटौती करता है।
उन्होंने राज्य सरकार से बोर्ड अजमेर के कर्मचारियों को मनमर्जी से एक तरफा 35000रु बोनस दिए जाने,वेतन के अलावा अतिरिक्त मानदेय की उच्च स्तरीय जाँच कराने की मांग की। राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने बोर्ड कार्यकारिणी में जनजाति परिक्षेत्र से अध्यक्ष,ओर सदस्य बनाए जाने की मांग की, साथ ही बांसवाड़ा जनजाति परिक्षेत्र हेतु अलग से बोर्ड बनाए जाने की आवश्यकता जताई है।
चौधरी ने बताया कि एक तरफ़ा कई वर्षों से नवीन कार्यकारिणी का गठन नहीं करके प्रशासक के बल पर जनजाति ओर विद्यार्थी विरोधी फैसले लिए जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए फैसले के अनुरूप सत्र 2026-27 से नियमित और स्वयंपाठी दोनों प्रकार के विद्यार्थियों को अब 850 रुपए परीक्षा शुल्क देना होगा जोकि राज्य भर के जनजाति विद्यार्थियों के लिए आर्थिक तौर पर पढ़ाई से दूर करने का कदम ओर गहरा षड्यंत्र है। इसके अलावा प्रायोगिक परीक्षा का शुल्क 200 रुपए निर्धारित किया गया है। हालांकि यह बढ़ोतरी 2017 के बाद पहली बार की जा रही है। फिलहाल नियमित विद्यार्थियों से 600 रुपए, स्वयंपाठी से 650 रुपए और प्रायोगिक परीक्षा के लिए 100 रुपए वसूले जाते हैं।
बोर्ड अधिकारियों के अनुसार प्रश्नपत्र मुद्रण, मूल्यांकन और परीक्षा केंद्रों की व्यवस्थाओं पर बढ़ते खर्च के कारण शुल्क बढ़ाना आवश्यक हो गया है। अब तक बोर्ड को परीक्षा शुल्क से करीब 130 करोड़ रुपए की आय होती है। शुल्क बढ़ने से यह आय तो बढ़ेगी, लेकिन असर सीधे राज्य भर के करीब 20 लाख विद्यार्थियों के अभिभावकों की जेब पर पड़ेगा।
स्थानीय विद्यार्थियों और अभिभावकों ने इस निर्णय पर असहमति जताई है। विद्यार्थी नारायण लाल चरपोटा का कहना है कि कोचिंग और किताबों की कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं, अब परीक्षा शुल्क बढऩे से पढ़ाई आम परिवारों के लिए और मुश्किल हो जाएगी।
राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम के प्रदेश प्रशासनिक अध्यक्ष सियाराम शर्मा ने कहा कि बोर्ड का निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता है सरकार को इसके साथ जनजाति बीपीएल वर्ग हेतु पुनर्भरण राहत योजना भी घोषित करनी चाहिए ताकि आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी परीक्षा से वंचित न रहें।
शिक्षा विभाग ने नया सत्र जल्दी शुरू करने के लिए शिविरा पंचाग में संशोधन कर दिया है। इसको लेकर परीक्षाओं का कार्यक्रम जारी किया गया है। इस संबंध में शिक्षा निदेशक सीताराम जाट की ओर से पत्र जारी हुआ है। इसके मुताबिक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10 वीं व 12 वीं की परीक्षाएं 12 फरवरी से 12 मार्च के बीच होगी।
कक्षा नौ व 11 की वार्षिक परीक्षा 10 से 25 मार्च के बीच व कक्षा पांच व आठ की परीक्षा अप्रैल 2026 की बजाय 12 मार्च से पहले होगी।
इसी तरह कक्षा तीन व चार तथा छह और सात की वार्षिक परीक्षा भी अप्रैल की जगह मार्च महीने में प्रस्तावित बताई गई है। दक्षता आधारित द्वितीय आकलन भी दिसंबर की जगह नवंबर व तीसरा आकलन अप्रैल की जगह मार्च में करना तय किया गया है।
इधर बदले कार्यक्रम के अनुसार शिक्षा विभाग ने जिले में तैयारियां शुरू कर दी है। इसके साथ ही स्कूलों में भी तैयारियां की जा रही है।
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