
भोपाल। मध्यप्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। POCSO कानून के बावजूद बच्चों की सुरक्षा को लेकर हालात चिंताजनक बने हुए हैं। आए दिन सामने आ रहे मामले यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि क्या समाज, परिवार और प्रशासन मिलकर बच्चों को सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं। इसी कड़ी में छतरपुर जिले के नौगांव से नाबालिग बच्ची द्वारा मृत शिशु को जन्म देने का मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर प्रदेश में बाल सुरक्षा और यौन शोषण की गंभीर सच्चाई को उजागर कर दिया है।
दरअसल, नौगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक नाबालिग बच्ची द्वारा करीब पांच माह के गर्भ से मृत नवजात को जन्म देने का गंभीर मामला सामने आया है। चिकित्सकों के अनुसार प्रसव के समय ही नवजात मृत पाया गया। घटना की सूचना मिलते ही नौगांव पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर दी गई है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक नाबालिग बच्ची अपने रिश्तेदार (फूफा) के यहां रह रही थी, जबकि उसके माता-पिता दिल्ली में मजदूरी करते हैं। जब बच्ची को अचानक तेज पेट दर्द हुआ तो फूफा उसे तत्काल नौगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचा। अस्पताल पहुंचते ही बच्ची ने लगभग पांच माह के गर्भ से मृत शिशु को जन्म दिया।
स्वास्थ्य केंद्र के सूत्रों का कहना है कि बच्ची की हालत फिलहाल स्थिर है और उसे चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है। डॉक्टरों की टीम लगातार उसकी देखरेख कर रही है, ताकि किसी भी प्रकार की जटिलता से बचा जा सके।
नाइट ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर नमन साहू ने बताया कि ऐसे मामलों में प्रोटोकॉल के तहत महिला डॉक्टर को तत्काल सूचना देकर बुलाया जाता है। नाबालिग द्वारा मृत शिशु को जन्म दिए जाने की जानकारी पुलिस को दे दी गई है।
वहीं, बीएमओ डॉ. रवींद्र पटेल ने कहा कि नाबालिग के यहां मृत बच्चा होने की सूचना मिलते ही आवश्यक चिकित्सकीय प्रक्रिया अपनाई गई और बच्ची को निगरानी में रखा गया है।
थाना प्रभारी बाल्मीक चौबे ने बताया कि नाबालिग के गर्भवती होने के कारणों और परिस्थितियों की गंभीरता से जांच की जा रही है। संदेह के आधार पर बच्ची के फूफा को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नाबालिग किस परिस्थिति में गर्भवती हुई और इसमें किन लोगों की भूमिका रही।
नाबालिग बच्चियों से बढ़ रहे अपराध!
राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य संगीता शर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि मध्यप्रदेश में नाबालिग बच्चियों के साथ होने वाले यौन अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अक्सर अपराधी परिवार या परिचित दायरे से ही निकलते हैं, जिससे पीड़ित बच्ची डर और दबाव के कारण समय पर अपनी बात सामने नहीं रख पाती। यह समाज और प्रशासन, दोनों की बड़ी विफलता को दर्शाता है।
संगीता शर्मा ने कहा कि POCSO कानून होने के बावजूद उसका प्रभावी क्रियान्वयन जमीन पर कमजोर दिखता है। उन्होंने मांग की कि इस मामले में निष्पक्ष और तेज जांच हो, दोषियों को सख्त सजा दी जाए और पीड़ित नाबालिग को न सिर्फ चिकित्सकीय बल्कि मानसिक परामर्श और कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाए, ताकि उसके साथ न्याय हो सके और भविष्य में ऐसे अपराधों पर रोक लगाई जा सके।
क्या है कानून?
POCSO कानून यानी Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012 एक विशेष कानून है, जिसे 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है। यह कानून बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और बलात्कार जैसे अपराधों को गंभीर अपराध मानता है। POCSO के तहत लड़का और लड़की दोनों समान रूप से संरक्षित हैं और नाबालिग की सहमति को कानून मान्यता नहीं देता। यानी यदि बच्चा 18 वर्ष से कम है, तो उसकी रजामंदी का कोई कानूनी महत्व नहीं होता।
इस कानून में अपराध की गंभीरता के अनुसार सख्त सजा का प्रावधान है। यदि यौन अपराध परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, शिक्षक, डॉक्टर या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिस पर बच्चा भरोसा करता है, तो उसे गंभीर अपराध माना जाता है और कड़ी सजा दी जाती है। POCSO कानून पीड़ित बच्चे की पहचान गोपनीय रखने, महिला पुलिस अधिकारी द्वारा बयान दर्ज करने, बाल-हितैषी माहौल में जांच और शीघ्र सुनवाई का प्रावधान करता है, ताकि बच्चे को दोबारा मानसिक पीड़ा न झेलनी पड़े और उसे न्याय मिल सके।
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