
भोपाल। अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) के सम्मेलन से जुड़े दो अलग-अलग आईएएस अधिकारियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासनिक और संवैधानिक हलकों में तीखी बहस छिड़ गई है। एक ओर पहले से विवादों में घिरे आईएएस संतोष कुमार वर्मा का नया वीडियो सामने आया है, तो दूसरी ओर उसी मंच से बोलने वाली आईएएस अधिकारी मीनाक्षी सिंह के बयान ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
संतोष वर्मा का नया वीडियो फिर वायरल
23 नवंबर को राजधानी भोपाल के अंबेडकर पार्क में आयोजित अजाक्स के सम्मेलन का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें आईएएस संतोष कुमार वर्मा समाज के लोगों से फिर से “माई का लाल” बनने का आह्वान करते नजर आ रहे हैं। वायरल वीडियो में वर्मा कहते हैं कि वर्ष 2016 में समाज ने जो ताकत दिखाई थी, वह अलग ही स्तर की थी। उस दौर में ताकत दिखाने के बाद ही हम “माई के लाल” बन पाए थे, लेकिन आज स्थिति वैसी नहीं है। उनके अनुसार, अब समाज को हर तरह से तोड़ने की कोशिश की जा रही है, इसलिए फिर से वैसी ही ताकत दिखाने की जरूरत है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी आईएएस संतोष वर्मा हाईकोर्ट और ब्राह्मण लड़कियों से विवाह को लेकर की गई टिप्पणियों के चलते विवादों में आ चुके हैं। मामला अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि उनका यह नया वीडियो सामने आ गया, जिससे बहस एक बार फिर तेज हो गई है।
इसी सम्मेलन में वक्ता के रूप में शामिल वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मीनाक्षी सिंह का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। वीडियो में वे कहती नजर आ रही हैं कि अजाक्स को केवल संगठन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज को जोड़ने की सबसे पहली धुरी परिवार है और बच्चों को यह बताया जाना चाहिए कि वे आदिवासी हैं और उनकी जाति क्या है।
वीडियो में मीनाक्षी सिंह कहती हैं कि “जातिगत पहचान और जातिवादी होना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सवर्ण समाज के लोग पक्षपात करते हैं और इसलिए यह जातिवादी मानसिकता हमारे लिए जरूरी है। उनका कहना है कि समाज के लोग अपने लोगों को पहचानें, उनकी मदद करें और बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों से मिलने में संकोच न करें।
उन्होंने मंच से यह भी कहा कि जब भी कोई भोपाल आए, तो उनसे मिलने जरूर आए, अपनी समस्या बताए, बातचीत करे। तभी समाज के लिए कुछ किया जा सकता है। उन्होंने सरकारी सिस्टम को भी काफी कॉम्प्लिकेटेड बताया।
नौकरशाही में जाति के आधार पर सोच पर सवाल
आईएएस मीनाक्षी सिंह के इस बयान को लेकर मंत्रालय अधिकारी-कर्मचारी सेवा संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अभी आईएएस संतोष वर्मा का मामला पूरी तरह निपटा भी नहीं है कि अजाक्स के ही मंच से एक और आईएएस अधिकारी का विवादित और असंवैधानिक बयान सामने आ गया है।
सुधीर नायक ने कहा कि एक आईएएस अधिकारी यह कह रही हैं कि जातिवादी होकर काम करना चाहिए और अपने लोगों के काम ढूंढ-ढूंढकर करने चाहिए। जबकि आईएएस अधिकारी संविधान की शपथ लेते हैं। संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य और उसके प्रतिनिधि जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र और जेंडर से ऊपर उठकर सभी नागरिकों को समान दृष्टि से देखेंगे।
नायक ने कहा कि यदि देश की सर्वोच्च नौकरशाही में बैठे अधिकारियों के मन में इस तरह की सोच घर कर रही है, तो यह बेहद खतरनाक संकेत है। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह बनती जा रही है कि आम लोग किसी अधिकारी के पास काम से जाने से पहले यह पता करने लगते हैं कि वह किस जाति का है, ताकि उसी हिसाब से संपर्क किया जा सके। यह व्यवस्था और लोकतंत्र दोनों के लिए घातक है।
उनका कहना है कि यह वीडियो सामान्य वर्ग के लिए एक अलार्म है और सभी वर्गों को इस तरह की मानसिकता के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि अगर अधिकारी जाति के आधार पर काम करने लगेंगे, तो संविधान में निहित समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का क्या होगा?
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