भोपाल। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के भाजपा जिला उपाध्यक्ष योगेंद्र सोलंकी पर रिश्ते में उनकी भतीजी लगने वाली 23 वर्षीय युवती ने चार साल तक लगातार बलात्कार करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस मामले में पीड़िता की शिकायत पर नटेरन थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस आरोपी की तलाश में उसके ठिकानों पर दबिश दे रही है।
दर्ज एफआईआर के अनुसार, पीड़िता ने पुलिस को बताया कि योगेंद्र सोलंकी का बासौदा स्थित घर है और वह खेती-बाड़ी के सिलसिले में अक्सर गांव आते-जाते रहते थे। चार साल पहले जब पीड़िता के माता-पिता और भाई घर से बाहर गए हुए थे, उस समय योगेंद्र ने पहली बार उसे डरा-धमकाकर उसके साथ बलात्कार किया। पीड़िता ने बताया, “योगेंद्र ने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने किसी को यह बात बताई तो वह मेरे माता-पिता और भाइयों का मर्डर करा देगा। इस डर के कारण मैं चुप रही।”
पीड़िता ने यह भी कहा कि जब भी योगेंद्र गांव आता, वह उसे धमकी देकर लगातार शारीरिक शोषण करता। एक बार जब वह बासौदा गई थी, तब योगेंद्र उसे जबरदस्ती अपने साथ ले गया और वहां भी उसका बलात्कार किया। इस भय और मानसिक पीड़ा से तंग आकर उसने आखिरकार अपने घरवालों को पूरी घटना बताई और 5 दिसंबर को नटेरन थाने में मामला दर्ज कराया।
पद से दिया इस्तीफा
मामला दर्ज होने के बाद योगेंद्र सोलंकी ने भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश जादौन को अपना इस्तीफा भेज दिया। राकेश जादौन ने मीडिया से कहा, "योगेंद्र सोलंकी ने इस्तीफा देकर लिखा है कि जब तक मैं इन आरोपों से बरी नहीं हो जाता, तब तक पार्टी से बाहर रहूंगा। उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। भाजपा संविधान पर विश्वास रखती है, और किसी भी आरोपी को पार्टी का संरक्षण नहीं मिलेगा।"
कांग्रेस ने उठाई बुलडोजर कार्रवाई की मांग
इस घटना पर कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला किया है। विदिशा कांग्रेस जिला अध्यक्ष मोहित रघुवंशी ने कहा, “भाजपा अपने चाल, चरित्र और चेहरे की बात करती है, लेकिन उनके नेता खुद अपने परिवार की महिलाओं का शोषण कर रहे हैं। ऐसे लोग समाज को क्या संरक्षण देंगे?”
कांग्रेस ने मांग की है कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए और उसके घर पर बुलडोजर चलाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पीड़िता को न्याय नहीं मिला, तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेगी।
नटेरन थाना प्रभारी आशुतोष सिंह ने बताया कि मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस की टीमें फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही हैं। जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस की बुलडोजर कार्रवाई की मांग के जवाब में भाजपा ने कहा कि इस मामले में कानूनी प्रक्रिया के तहत निष्पक्ष जांच की जाएगी। यह घटना भाजपा के "नारी शक्ति और सुरक्षा" के दावों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
17 मिनट में एक बलात्कार: कांग्रेस
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए प्रदेश में बढ़ते बलात्कार के मामलों पर चिंता जताई है। उन्होंने दावा किया कि मध्यप्रदेश में हर 17 मिनट में एक बलात्कार हो रहा है, जो राज्य की कानून-व्यवस्था की पोल खोलता है। पटवारी ने भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनके "चाल, चरित्र और चेहरा" की बात की जाती है, उनके खिलाफ भी बलात्कार के गंभीर आरोप लगे हुए हैं।
एक्स पर अपनी पोस्ट में उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा सरकार से सवाल किया कि आखिर दागी नेताओं को क्यों बचाया जा रहा है। उन्होंने गृह मंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव से भी जवाब मांगा कि लाड़लियों की इज्जत से खेलने वाले अपराधियों को सजा कब मिलेगी। कांग्रेस नेता के इस बयान से प्रदेश में राजनीति गरमा गई है।
NCRB: अपराधों में महिलाओं और बच्चों की बढ़ती असुरक्षा
मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध एक गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 की तुलना में 4% अधिक हैं। इन मामलों में बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और अन्य अपराध शामिल हैं। वहीं, बच्चों के खिलाफ अपराधों में 8.7% की वृद्धि हुई है, जिसमें 2022 में 1,62,449 मामले दर्ज हुए, जबकि 2021 में यह संख्या 1,49,404 थी। यह स्थिति बताती है कि महिलाएं और नाबालिग लगातार असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं।
मध्यप्रदेश, जो पहले से ही इन अपराधों में अग्रणी है, वहां राजधानी भोपाल में 2022 के दौरान बच्चों के खिलाफ 758 मामले दर्ज हुए। यह आंकड़े न केवल राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि महिला और बाल सुरक्षा के लिए किए गए उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। लगातार बढ़ते अपराध राज्य सरकार के लिए एक चुनौती हैं और समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर व्यापक जागरूकता और ठोस नीति की आवश्यकता है।
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