मलयालम अभिनेत्री रेप केस | दिलीप की फिल्म बस में चली तो महिलाओं ने किया विरोध! कोर्ट वर्डिक्ट एक्टर के पक्ष में होने के बावजूद पब्लिक बोली- हम पीड़िता के साथ

फिल्म बंद होने के बाद कुछ पुरुष यात्रियों ने आपत्ति जताई। उन्होंने दावा किया कि दिलीप का केस कोर्ट में सुलझ चुका है और अब इसे भूल जाना चाहिए।
KSRTC की तिरुवनंतपुरम से कल्पेट्टा की ओर जा रही एक बस में यात्रियों ने दिलीप की फिल्म 'ई परक्कुम तलिका' की स्क्रीनिंग का विरोध किया।
KSRTC की तिरुवनंतपुरम से कल्पेट्टा की ओर जा रही एक बस में यात्रियों ने दिलीप की फिल्म 'ई परक्कुम तलिका' की स्क्रीनिंग का विरोध किया। स्क्रीन शॉट
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तिरुवनंतपुरम- मलयालम सिनेमा के विवादास्पद अभिनेता दिलीप के 2017 के अभिनेत्री यौन उत्पीड़न मामले में हालिया कोर्ट फैसले के बावजूद केरल में एक साधारण बस यात्रा ने सामाजिक न्याय की मिसाल पेश की। शनिवार 13 दिसंबर को केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) की तिरुवनंतपुरम से कल्पेट्टा की ओर जा रही एक बस में यात्रियों ने दिलीप की फिल्म 'ई परक्कुम तलिका' की वीडियो स्क्रीनिंग का विरोध किया। ज्यादातर महिलाएं के समर्थन को देखते हुए यात्रियों ने फिल्म को बंद करवाने की मांग की क्योंकि अभिनेता पर अभिनेत्री के साथ यौन हिंसा के आरोप थे। अधिकांश लोगों की इच्छा का मान रखते हुए बस के स्टाफ ने वीडियो को बंद कर दिया।

यह घटना कोर्ट के फैसले के ठीक पांच दिन बाद हुई, जब एर्नाकुलम प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट ने दिलीप को बरी कर दिया था, लेकिन पीड़िता के समर्थन में आवाजें उठ रही हैं। यह भारत का पहला 'कॉन्ट्रैक्ट रेप' मामला है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक दिलीप को शक था कि पीड़िता ने उनकी पहली पत्नी मंजू वारियर को उनकी सह-अभिनेत्री काव्या माधवन के साथ संबंधों की भनक लगा दी है। इससे नाराज होकर बदला लेने के लिए दिलीप ने पीड़िता को बदनाम करने के लिए मुख्य आरोपी पल्सर सुनी को सेक्सुअल असाल्ट और वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए 1.5 करोड़ रूपये का कॉन्ट्रैक्ट सौंपा।

दिलीप के बरी होने के बाद जहाँ उनके फंस और समर्थकों में ख़ुशी की लहर है वहीं महिला संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की अनेक अभिनेत्रियाँ पीडिता के समर्थन में खड़ी हैं। केरल सरकार ने मामले में दिलीप को बरी किये जाने के विरोध में हाईकोर्ट में अपील दायर करने की बात कही है।

यात्रियों का कहना था कि वर्तमान सामाजिक माहौल में ऐसी फिल्म देखना या सुनना उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहा था।

बस में यात्रा कर रही महिलाओं ने बताया कि फिल्म को काफी तेज आवाज में चलाया जा रहा था, जिससे वे असहज महसूस कर रही थीं। दिलीप पर 2017 में एक अभिनेत्री के अपहरण और यौन हमले में शामिल होने का आरोप लगा था, जो मलयालम सिनेमा जगत में एक बड़ा विवाद बना। यात्रियों का कहना था कि वर्तमान सामाजिक माहौल में ऐसी फिल्म देखना या सुनना उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहा था।

घटना की मुख्य गवाह और यात्री लक्ष्मी आर शेखर ने मीडिया को बताया, "लगभग ढाई घंटे तक उस फिल्म को तेज वॉल्यूम पर चलते देखना और सुनना बेहद अपमानजनक था। मैंने कंडक्टर से टीवी बंद करने की रिक्वेस्ट की और कहा कि अगर फिल्म चलेगी तो अगले स्टॉप पर उतर जाऊंगी।" लक्ष्मी ने विरोध के तौर पर वट्टप्पारा स्टॉप पर बस से उतरने का फैसला किया। उतरने से पहले उन्होंने अन्य यात्रियों से पूछा कि क्या वे फिल्म देखना चाहते हैं। लक्ष्मी के अनुसार, "दो लोगों को छोड़कर सभी महिलाओं ने साफ कहा कि वे फिल्म नहीं देखना चाहतीं। कई अन्य यात्री भी मेरे साथ खड़े हो गए और कंडक्टर से स्क्रीनिंग बंद करने की मांग की।"

अधिकांश यात्रियों के समर्थन से कंडक्टर ने बहुमत का सम्मान करते हुए टीवी बंद कर दिया। लक्ष्मी ने आगे कहा, "जब हम पीड़िता के साथ खड़े होने की बात करते हैं, तो यह सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। यह रोजमर्रा की जिंदगी में दिखना चाहिए। हम सभी ने कहा कि हम पीड़िता के साथ हैं।"

फिल्म बंद होने के बाद कुछ पुरुष यात्रियों ने आपत्ति जताई। उन्होंने दावा किया कि दिलीप का केस कोर्ट में सुलझ चुका है और अब इसे भूल जाना चाहिए। लेकिन लक्ष्मी ने इसका विरोध करते हुए स्पष्ट किया, "यह केवल निचली अदालत का फैसला है। मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है। जब तक पीड़िता को पूर्ण न्याय न मिले, हर आत्मसम्मान वाली महिला को उसके साथ खड़ा होना चाहिए।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि कुछ यात्री शराब पीने के बाद यात्रा कर रहे थे, जिन्होंने विवाद पैदा करने की कोशिश की, लेकिन बहुमत की राय ने जीत हासिल की।

लक्ष्मी के अनुसार, "न केवल वे मेरे साथ खड़े हुए, बल्कि कंडक्टर को भी कहा कि फिल्म बंद हो। उन्होंने कहा कि वे जबरदस्ती फिल्म नहीं देखना चाहते। हम सभी ने दोहराया - हम पीड़िता के साथ खड़े हैं।"

KSRTC की तिरुवनंतपुरम से कल्पेट्टा की ओर जा रही एक बस में यात्रियों ने दिलीप की फिल्म 'ई परक्कुम तलिका' की स्क्रीनिंग का विरोध किया।
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आपको बता दें, 12 दिसंबर को एर्नाकुलम प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट ने 2017 अभिनेत्री हमला मामले में छह दोषियों को 20 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई, लेकिन आठवें आरोपी और मलयालम अभिनेता दिलीप को बरी कर दिया। मामला 17 फरवरी 2017 का है, जब एक अभिनेत्री का कथित तौर पर अपहरण कर उसकी कार के अंदर यौन हमला किया गया था। दिलीप पर साजिश रचने का आरोप था, लेकिन कोर्ट ने उन्हें निर्दोष पाया।

दिलीप की छवि एक जनप्रिय नायक की है और वह मलयालम सिनेमा यानी मौलीवुड में बहुत प्रभाव रखते हैं: वह अभिनेता, प्रोड्यूसर और वितरक संगठनों में सक्रिय सदस्य हैं।

फैसले पर मलयालम अभिनेत्री और दिलीप की पहली पत्नी मंजू वारियर ने भी इंस्टाग्राम पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, "मैं अदालतों का सम्मान करती हूं, लेकिन पीड़िता को अभी भी न्याय नहीं मिला है। इस भयानक कृत्य की योजना बनाने वाला दिमाग अभी भी आजाद है, और यह डरावना है।" मंजू ने समर्थन में मजबूत संदेश दिया: "उसके साथ। तब, अब और हमेशा।"

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