सभा में प्रधानमंत्री को ईआरसीपी का झंडा दिखाते लोग।
सभा में प्रधानमंत्री को ईआरसीपी का झंडा दिखाते लोग।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे लोकार्पण के बाद भी क्यों नाराज हैं पूर्वी राजस्थान के लोग?

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के पहले चरण में दिल्ली से दौसा तक यातायात की शुरूआत, पीएम नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के दौसा में किया लोकार्पण, पूर्वी राजस्थान की महत्वपूर्ण मांग ईआरसीपी पर चुप्पी से 41.13 प्रतिशत आबादी निराश

जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान के दौसा जिले के धनवाड़ में देश के सबसे बड़े और सबसे आधुनिक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे गर्व है कि यह विकसित होते भारत की एक और भव्य तस्वीर है। हालांकि पूर्वी राजस्थान की जीवनदायनी ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) पर पीएम की चुप्पी से एक बार फिर स्थानीय लोग निराश हुए हैं। पूर्वी राजस्थान के दौसा जिले में आए पीएम से सभी को उम्मीद थी कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

सीएम गहलोत ने रखी मांग

यहां पीएम के सम्बोधन से पूर्व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री के समक्ष पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों का भविष्य ईआरसीपी के मुद्दे को उठाया। गहलोत ने मंच से कहा कि आज आप राजस्थान पधारे हैं, तो ईआरसीपी पर भी कुछ बोले। पिछले चुनाव में आपने वादा किया था। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण मसला है। गहलोत ने कहा कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करें। देश में 16 राष्ट्रीय परियोजनाएं चल रही हैं। ईआरसीपी को भी राष्ट्रीय परियोजना घोषित करेंगे तो हम आपके आभारी रहेंगे। गहलोत ने आगे कहा कि आज आप जिस दौसा जिले में हैं। यह भी पूर्वी राजस्थान का ही हिस्सा है।

"आप ईआरसीपी को प्राथमिकता से राष्ट्रीय परियोजना घोषित करेंगे तो समय पर काम होगा। राजस्थान के 13 जिलों की प्यास बुझेगी। आप जानते हैं कि आजादी के पहले से ही राजस्थान में पानी को लेकर क्या स्थिति है", सीएम गहलोत ने किया।

उम्मीदों पर फिरा पानी

अखिल भारतीय किसान सभा सवाईमाधोपुर जिलाध्यक्ष कानजी मीणा ने कहा कि उम्मीद थी कि आज प्रधानमंत्री ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर किसानों को तोहफा देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कानजी मीणा ने द मूकनायक से कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर धरातल पर लाने में ना तो केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है, ना राज्य सरकार। राज्य सरकार इस बात पर अड़ी हुई है की 50 प्रतिशत की डिपेंडबिलिटी पर राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो जो ज्यादा पानी के लिए है। जबकि केंद्र सरकार 75 प्रतिशत डिपेंडबिलिटी पर अड़ी हुई है। केंद्र सरकार का तर्क है कि आज तक कोई परियोजना 75 प्रतिशत डिपेंडबिलिटी से कम पर राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं हुई है।

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41.13 प्रतिशत जनसंख्या को मिलेगा लाभ

मलारना डूंगर पंचायत समिति प्रधान देवपला मीना ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना तत्कालीन वसुन्धरा सरकार में बनी। अब भाजपा की केंद्र सरकार क्यों अड़ंगा लगा रही है। जो समझ से परे है। उन्होंने कहा, ईआरसीपी राज्य के 23.67 प्रतिशत क्षेत्र को कवर करेगी। 41.13 प्रतिशत जनसंख्या लाभान्वित होगी। योजना के तहत चंबल और उसकी सहायक नदी कुन्नू कुल, काली सिंध, पार्वती व मेज के अतिरिक्त पानी को बनास, मोरेल व बाणगंगा गम्भीर नदी में डाला जाना प्रस्तावित है।

दक्षिणी पूर्वी राजस्थान में 80 हजार हेक्टेयर में सिंचित सुधार होगा तथा 1268 किलोमीटर केनाल तंत्र विकसित किया जाएगा। इससे 1723 एमसीएम पेयजल के लिए। 286.4 एमसीएम पानी उद्योग के लिए तथा 1500.4 एमसीएम पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा। इससे डीएमआईसी को पानी उपलब्ध करवाया जा सकेगा। जिससे राज्य में निवेश बढ़ेगा। उद्योगों का विकास होगा। लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे तो यहां के लोगों को जल्द इसका लाभ मिलेगा।

प्रधान देवपला मीणा ने आगे कहा कि राज्य की गहलोत सरकार ने बजट में ईआरसीपी पर 13 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है। इस राशि को खर्च कर राज्य सरकार पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम को रफ्तार देगी।

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ईआरसीपी के झंडों के साथ पीएम की सभा में जाने से रोका

ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग के साथ पूर्वी राजस्थान से सैकड़ों किसान हाथों में ईआरसीपी लिखे झंडे लेकर पीएम की सभा मे पहुंचे थे। ईआरसीपी के लिए पूर्व में 150 किलोमीटर पैदल कूच करने वाली आदिवासी महिला राजेश्वरी मीणा के साथ ही दर्जनों किसान पीएम सभा में झंडे लेकर पहुंचे थे। राजेश्वरी कहती हैं कि उनके साथ झंडे लेकर आए किसानों को सभा स्थल पर पहुंचने से पहले ही पुलिस ने रोक दिया। बलपूर्वक उन्हें वापस किया गया।

राजेश्वरी ने कहा कि हमारा मकसद सिर्फ ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए झंडे दिखा कर पीएम को याद दिलाना था। ईआरसीपी पर कांग्रेस व बीजेपी एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह व्यवहार कर रही है।

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यह भी बोले प्रधानमंत्री

दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे के प्रथम फेज का राजस्थान के दौसा जिले में लोकार्पण के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आधुनिक सड़कें बनती हैं, तो देश की प्रगति को गति मिलती है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगाई गई राशि जमीन पर कई गुना असर दिखाती है। उन्होंने कहा कि बीते 9 वर्षों से सरकार निरंतर इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा निवेश कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान में हाईवे के लिए 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक दिए गए हैं। इस वर्ष के बजट में तो हमने इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 10 लाख करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। यह 2014 की तुलना में 5 गुना अधिक है।

दिल्ली-दौसा, लालसोट के बीच एक्सप्रेस-वे बन गया है। पहले जयपुर से दिल्ली तक 5 घंटे लगते थे। अब आधा समय लगेगा। दिल्ली में नौकरी व व्यापार करने वाले लोग शाम को वापस अपने घर लौट सकेंगे। छोटे किसान व पशुपालक अपनी दूध, सब्जी दिल्ली ले जाकर बेच सकेंगे। एक्सप्रेस-वे के आस-पास ग्रामीण हाट बनाए जा रहे हैं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से गुजरात और महाराष्ट्र के अनेक जिलों को बहुत लाभ होगा।

रविवार को गुड़गांव के सोहना से दौसा जिले के बड़का पाड़ा तक 228 किलोमीटर मार्ग शुरू किया गया है। राजस्थान में एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 373 किलोमीटर है।

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दिल्ली से मुम्बई 1382 किलोमीटर

दिल्ली से मुम्बई तक एक्सप्रेस-वे की कुल लम्बाई 1382 किलोमीटर है। इसकी कुल लागत 10 लाख करोड़ रुपए बताई गई है। यह एक्सप्रेस-वे हाईवे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से होकर गुजरेगा।

राजस्थान में इन जिलों से निकल रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे हाईवे राजस्थान के अलवर, भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा जिलो से गुजर रहा है। एक्सप्रेस वे के बनने के बाद दिल्ली से मुंबई का सफर भी आसान हो जाएगा और महज 12 घंटे में ही दिल्ली से मुंबई पहुंचा जाएगा। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे हाईवे पर वाहनों की स्पीड 120 किलोमीटर तक रहेगी।

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जयपुर-दिल्ली के बीच दौड़ेंगे इलेक्ट्रिक बस व ट्रक

दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का उद्घाटन समारोह राजस्थान के दौसा में हुआ। यहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि जयपुर और दिल्ली के बीच केबल डालेंगे ताकि इलेक्ट्रिक ट्रक और बसें चलाई जा सकेंगी। यदि दिल्ली से जयपुर तक एक्सप्रेस-वे से इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन होता है तो पर्यावरण की दृष्टि से लाभदायक होगा।

गडकरी ने आगे कहा कि आज एशिया के सबसे बड़े हाईवे के एक हिस्से का आज लोकार्पण किया गया है। इस एक्सप्रेस-वे से दिल्ली से मुंबई की दूरी 245 कि.मी. कम हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2024 समाप्त होने से पहले इंडिया का रोड स्ट्रक्चर अमरीका के बराबर किया जाएगा।

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इन्हें भी मिलेगा लाभ

पीएम ने कहा कि इस एक्सप्रेस-वे से हरियाणा के मेवात और राजस्थान के दौसा जिलों में कमाई के नए संसाधन तैयार होंगे। इसका लाभ सरिस्का टाइगर रिजर्व, केवलादेव पक्षी अभयारण्य, रणथम्भौर नेशनल पार्क, जयपुर, अजमेर पर्यटक स्थलों को भी होगा। देश-विदेश के पर्यटकों के लिए राजस्थान पहले ही आकर्षक रहा है। सुगम राह होगी तो आकर्षण और बढ़ जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से जुड़ी पांच और योजनाओं का भी लोकार्पण हुआ है।

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