कार्तिक भील हत्याकांड: विधानसभा में प्रकरण पर सवाल, विधायक राजकुमार रोत ने पीड़ित परिवार के लिए मांगा न्याय

एक तरफ सरकार 'प्रशासन गांवों और प्रशासन शहरों के संग' अभियान चला कर मकानों के आवासीय पट्टे देने का दावा कर रही है, वहीं शिवगंज में कार्तिक भील के परिवार का 1970 से बिजली कनेक्शन युक्त मकान है, फिर भी उन्हें पट्टा नहीं दिया गया ।
धरना स्थल पर कार्तिक के पिता
धरना स्थल पर कार्तिक के पिता

जयपुर। राजस्थान का कार्तिक भील हत्या कांड एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कार्तिक भील हत्याकांड की चर्चा सड़क से हटकर सदन के पटल पर हुई है। ऐसे में पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जागी है। यह बात अलग है कि सामाजिक कार्यकर्ता कार्तिक भील का परिवार बीते 6 महीने से सिरोही जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देकर बैठा है, लेकिन शासन-प्रशासन के अधिकारी दफ्तरों से निकल कर परिवार की पीड़ा सुनने धरना स्थल पर नहीं पहुंचे हैं। पीड़ा सुनने की बजाय राजनीतिक दबाव में अधिकारियों ने न्याय के लिए धरने पर बैठे कार्तिक के परिवार को तरह-तरह से प्रताड़ित किया। कभी छाया के लिए लगाए तंबू को हटाया गया तो कभी सड़कों पर लगी रोडलाइटों को बंद किया गया। प्रताड़ना को लेकर पीड़ित परिवार पूर्व में भी स्थानीय अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोप लगाते रहे हैं।

 सदन में कार्तिक भील का मुद्दा उठा तो छाया सन्नाटा

इन दिनों राजस्थान विधानसभा का सत्र चल रहा है। ऐसे में भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) विधायक ने सदन में आदिवासी कार्तिक भील हत्याकांड के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग सहित उसके परिवार को  मकान का आवासीय पट़्टा जारी करने की मांग उठाई। जैसे ही  विधायक राजकुमार रोत ने कार्तिक भील हत्याकांड पर बोलना शुरू किया तो माना सदन में सन्नाटा छा गया। आपराधिक घटनाओं पर सदन में शोर मचाने वाली प्रमुख विपक्षी पार्टी ने आदिवासी कार्तिक भील हत्याकांड पर रोत का समर्थन करने की बजाय चुप्पी साध ली। 

विधायक राजकुमार रोत ने सदन में कहा कि सिरोही जिला मुख्यालय पर पिछले 6 महीनों से कार्तिक भील के परिजनों के द्वारा कार्तिक भील के हत्यारोपियों की गिरफ्तारी और अन्य मांगों को लेकर धरना दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सरकार (राजस्थान सरकार) एक संवेदनशील सरकार होने का दावा करती है। यह सरकार गरीबों और एससी, एसटी ओबीसी के हितों की बात करती है।

हमले की पूर्व सूचना पर भी पुलिस रही चुप

विधायक रोत ने कहा कि मुझे दुखी होकर बताना पड़ रहा है कि कार्तिक भील उर्फ कांति लाल के साथ 19 दिसंबर 2022 को मारपीट हुई। आठ लोगों ने मिलकर उसके साथ मारपीट की। इलाज के दौरान एक जनवरी 2023 को कार्तिक की मौत हो गई। 

विधायक राजकुमार रोत
विधायक राजकुमार रोतफोटो साभार- इंटरनेट

विधायक ने सदन को बताया कि हमले से पहले इस व्यक्ति (कार्तिक भील) ने शिवगंज पुलिस थाना और पाली जिले के पुलिस थाना संदला में रिपोर्ट देकर पुलिस को बताया था कि उसकी जान को खतरा है, लेकिन पुलिस ने कार्तिक की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने पूर्व सूचना को गम्भीरता से नहीं लिया। आखिर में कार्तिक को जान गवाना पड़ा।

विधायक राजकुमार रोत ने विधानसभाध्यक्ष को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध करना चाहूंगा कि कार्तिक भील की हत्या के बाद सामाजिक संगठनों द्वारा, हमारे द्वारा और कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा धरना दिया गया। सरकार के समक्ष कार्तिक भील के परिवार को न्याय की मांग की गई थी। 

1970 से मकान है, तो पट्टा क्यों नहीं?

विधायक राजकुमार रोत ने सदन को बताया कि एक तरफ सरकार प्रशासन गांवों के संग और प्रशासन शहरों के संग अभियान चला कर मकानों के आवासीय पट्टे देने का दावा कर रही है, वहीं शिवगंज में कार्तिक भील के परिवार का 1970 से मकान बना हुआ है। बिजली कनेक्शन है। फिर अभी तक पट्टा जारी क्यों नहीं किया गया। उन्होंने सदन के माध्यम से सरकार से मांग की है कि कार्तिक भील मामले में एक डेलीगेशन बनाया जाए। पीड़ित परिवार की मांगो को सुनकर जायज मांगों को माना जाए। कार्तिक के मासूम बच्चे, पत्नी और बुजुर्ग पिता 6 महीने से कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देकर बैठे हैं। उन्हें सम्मानजनक रूप से सुनकर उनके मकान का आवासीय पट्टा जारी करें। कार्तिक की हत्या के शेष आरोपियों की गिरफ्तारी हो तथा अन्य मांगों को भी माना जाए।  

आपको बता दें कि कार्तिक भील उर्फ कांतिलाल आदिवासी समाज पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने लगा था। जहां भी कहीं एससी, एसटी के लोगों पर अत्याचार होता तो, कार्तिक उनकी आवाज बन पहुंच जाता था। 

पिता कपूराराम ने बताया कि स्थानीय अधिकारी राजनीतिक दबाव में शिवगंज में जिस मकान को अवैध बता रहे हैं वो मकान हमारे पुरखों से बना हुआ है। पूर्व में इसका पट्टा भी जारी किया गया। 1980 में बिजली कनेक्शन हुआ। इसके बाद स्वच्छ भारत मिशन के तहत मकान में शौचालय निर्माण भी करवाया गया था। 

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कपूराराम ने आगे बताया कि पिछले दिनों एक राजनेता के दबाव में प्रशासन मुखर होकर हमारे मकान को अवैध बताने लगा। जबकि हमारे मकान से आगे सड़क की और पूंजीपतियों के मकान बने हुए हैं। आरोप है कि एक क्षेत्रीय माननीय ने कार्तिक को मकान छोड़ने के लिए तीन करोड़ रुपए ऑफर किए थे, लेकिन कार्तिक ने अपने पुरखों का आवास छोड़ने  से मना कर दिया था। कपूराराम का आरोप है कि इस बात को लेकर साजिश के तहत कार्तिक की हत्या की गई है। 

कार्तिक भील के भाई प्रवीण ने बताया कि सभी हत्या आरोपियों की गिरफ्तारी करने तथा शिवगंज वाले मकान का पट्टा जारी करने की मांग को लेकर कार्तिक के मासूम बच्चे और बुजुर्ग पिता अभी भी धरने पर बैठे हैं। बीते दिनों हिम्मत जुटा कर पिता कपूराराम न्याय के लिए कलेक्टर के पास पहुंचे थे, लेकिन कलेक्टर ने एसडीएम के पास और एसडीएम ने शिवगंज नगरपालिका के अधिकारी के पास जाने के लिए बोल दिया। उन्होंने बताया कि अभी उनके बुजुर्ग पिता और कार्तिक के मासूम बच्चों को इधर उधर घुमाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि न्याय नहीं मिलने तक परिवार यूं ही धरने पर बैठा रहेगा।

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