कार्तिक भील मामला: सरकार ने काटी बिजली, धरना स्थल पर अंधेरे में बैठने को मजबूर हुआ परिवार

आरोप है कि, धरना समाप्त करवाने के लिए राजनीतिक दबाव में प्रशासन ने परिवार को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है।
कार्तिक भील मामला: सरकार ने काटी बिजली, धरना स्थल पर अंधेरे में बैठने को मजबूर हुआ परिवार

जयपुर। आदिवासी कांतिलाल उर्फ कार्तिक भील की पत्नी व मासूम बच्चे 6 महीने से अधिक समय से राजस्थान के सिरोही जिला कलक्ट्रेट के बाहर धरना देकर बैठे हैं। धरना स्थल से हर दिन जिम्मेदार अफसर लग्जरी कारों में सवार होकर इनके सामने से निकलते हैं, लेकिन इनकी पीड़ा सुनने की बजाय मुंह फेर लेते हैं। कार्तिक के मासूम बच्चे, पत्नी और परिजन न्याय की उम्मीद से इन अफसरों की तरफ देखते रह जाते हैं, लेकिन अफसरों के कान पर जू तक नहीं रेंगती।

धरना समाप्त करवाने के लिए राजनीतिक दबाव में प्रशासन ने इस परिवार को नित नए तरीकों से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है। कार्तिक भील के भाई परवीण भील ने आरोप लगाया कि राजनेता के दबाव में प्रशासन ने धरना स्थल से बिजली कनेक्शन भी काट दिया है।

बिजली कनेक्शन काटने से बीते 4 दिनों से यह परिवार अंधेरे में धरना देने को विवश है। प्रवीण ने द मूकनायक को बताया कि तीन दिन पहले भी अंधेरे में धरना स्थल पर एक सांप निकल आया था। समय रहते पता चलने से कार्तिक के मासूम बच्चों को बचा लिया गया। सांप इन बच्चों की तरफ बढ़ रहा था। पता नहीं चलता तो सम्भवतः सांप इन बच्चों को डस लेता। धरना स्थल के पास एक नाली भी है।

धरना स्थल पर अंधेरे में बैठने को मजबूर हुआ परिवार
धरना स्थल पर अंधेरे में बैठने को मजबूर हुआ परिवार

सामाजिक सेवा करते हुए राजनीतिक साजिश का शिकार हुए आदिवासी कार्तिक भील की हत्या के बाद यह प्रकरण देश भर में चर्चा में रहा था। भीम आर्मी सहित राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने सिरोही मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन भी किया।

कार्तिक के शव के साथ लम्बे समय तक आंदोलन चला

भारतीय ट्राइबल पार्टी (बिटीपी) का भी धरने को समर्थन मिला। परिवार के साथ बिटीपी विधायक राजकुमार रोत ने कार्तिक के परिवार के शिवगंज वाले प्लॉट को लेकर राजनीतिक साजिश के तहत कार्तिक की हत्या करवाने के आरोप लगाए। यह आरोप एक स्थानीय विधायक पर लगे। इससे यह मामला और चर्चित हुआ।

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इस बीच प्रशासन ने कुछ मांगो पर सहमति के बाद शव का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार करवा दिया। कार्तिक के भाई प्रवीण और रूपराम कहते हैं कि प्रशासन के लोगों ने उनके साथ छल किया। लिखित समझौते से प्रशासन के लोग मुकर गए।

इसलिए था निशाने पर

आपको बता दें कि, कांतिलाल उर्फ कार्तिक भील अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद युवा प्रकोष्ठ सिरोही जिलाध्यक्ष था। स्थानीय जिला सहित प्रदेश भर में कहीं भी दलित व आदिवासियों पर अत्याचार होता तो बहुजनों की आवाज बनकर कार्तिक न्याय के लिए लड़ता था। वह कई वर्षों से अपने शिवगंज वाले आवास को बचाने के लिए पूंजीपतियों संघर्ष कर रहा था।

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कपूराराम कहते हैं कोल्हूपोष घर को छोड़ने के लिए एक स्थानीय नेता ने कार्तिक को तीन करोड़ रुपये ऑफर किये थे, लेकिन उसने रकम लेने से इनकार कर दिया। कपूराराम कहते हैं कि इसलिए कार्तिक भील नेता और दबंग पूंजीपतियों को खटकने लगा था।

घटना वाले दिन 19 नंबर को वह एक आदिवासी परिवार की कानूनी मदद कर जिला मुख्यालय से साथी के साथ बाइक पर सवार होकर गांव लौट रहा था। रास्ते में 8 लोगों ने मिलकर उस पर हमला कर दिया। गम्भीर घायल अवस्था में नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में राजस्थान व गुजरात के अलग-अलग अस्पतालों में उपचार के दौरान 1 दिसम्बर को मौत हो गई। मृतक के पिता ने रिपोर्ट दी तो, पुलिस ने अलग से हत्या की एफआईआर दर्ज नहीं की।

कार्तिक की मौत के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज कर हमले में शामिल सभी 8 आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया। इस दौरान भारतीय ट्राइबल पार्टी विधायक राजकुमार रोत सहित भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी और अन्य आदिवासी व दलित बहुजन संगठनों के लोग पीड़ित परिवार के साथ धरने में शामिल हुए। इस दौरान मृतक के पिता की तहरीर पर अलग नए सिरे से हत्या की एफआईआर दर्ज करने, सभी 8 आरोपियों को गिरफ्तार करने, परिवार को एक करोड़ आर्थिक मदद, लापरवाह पुलिस कर्मियों और चिकित्सकों पर कार्रवाई सहित एक दर्ज मांगो को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

काफी प्रयास के बाद परिजन राजी नहीं हुए तो, जिला प्रशासन ने 7 दिसम्बर को परिजनों को गेर मौजूदगी में ही शव का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार करने के लिए धरना स्थल पर नोटिस चस्पा कर दिया।

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आरोप है कि जिला प्रशासन दबाव बढ़ने लगा तो परिजन जिला मुख्यालय से उठ कर जयपुर के लिए कूच करने लगे। परिवार के साथ धरना दे रहे लोग जयपुर की तरफ 20 किलोमीटर बढ़ गए तो मौके पर पहुंचे प्रशासन के अधिकारी सभी मांगे मानने की बात कहर सिरोही मुख्यालय वापस ले गए।

प्रवीण भील ने बताया कि अधिकारियों के आश्वासन पर उन्होंने पोस्टमार्टम की सहमति दे दी। अंतिम संस्कार भी कर दिया। अंतिम संस्कार के बाद प्रशासन अपने वादों से मुकर गया।

प्रवीण कहते हैं कि हम कार्तिक के बच्चों के न्याय के लिए 6 महीने से अधिक समय से धरना देकर बैठे हैं। हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि बेबसी में परिवार कड़े कदम भी उठा सकता है।

नौकरी और आर्थिक मदद की दरकार

कार्तिक भील के भाई रूपाराम ने द मूकनायक से कहा कि कार्तिक भील के पोस्टमार्टम करने से पूर्व प्रशासन ने भरोसा दिलाया था कि पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद के साथ ही पत्नी को संविदा पर नौकरी देंगे। शिवगंज कस्बे में बने मकान का पट्टा अभी तक नहीं बनाया गया। कार्तिक की पत्नी को अभी तक नौकरी नहीं दी गई। बच्चों को भी अभी तक राज्य सरकार ने आर्थिक मदद नहीं दी। जो भी मांग थी एक भी पूरी नहीं की गई।

आम आदमी की आवाज संगठन के राष्ट्रीय महासचिव भंवर लाल आदिवासी ने द मूकनायक को बताया कि यह सरासर अन्याय है। न्याय के लिए कार्तिक भील का परिवार अफसरों के सामने बैठा है। मासूम बच्चे न्याय मांग रहे हैं। आप बिजली काट रहे हैं। कांग्रेस सब कैसी मोहब्बत की दुकान चला रही है। क्या राजस्थान में आदिवासी, दलित और मुस्लिमों न्याय नहीं मांग सकते। उन्होंने कहा आम आदमी की आवाज संगठन इस मुद्दे को पुरजोर तरीके उठाएगा। हम अफसरों अब तक हुई कार्रवाई पर भी जवाब मांगेंगे। जरूरत पड़ी तो कार्तिक भील के लिए आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।

कार्तिक भील के परिवार की मांगों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानने व धरना स्थल से बिजली काटने पर द मूकनायक ने जिला कलक्टर सिरोही से बात करना चाहा, लेकिन कलक्टर से सम्पर्क नहीं हो सका।

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