मायावती का दावा: यूपी बसपा सरकारें 'कानून के राज' व गुड गवर्नेंस की मिसाल, पूरे देश में ऐसी सत्ता की तलाश

हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए मायावती ने प्रधान न्यायाधीश के साथ कोर्ट में हुई जातिवादी घटना और हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की घृणित जातिवाद से प्रेरित आत्महत्या पर दुख जताया।
मायावती ने कहा कि वोटों की शक्ति से सत्ता हासिल कर ही दलित व बहुजन समाज शोषण से मुक्त हो सकता है, जो बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान की मंशा को साकार करेगा।
मायावती ने कहा कि वोटों की शक्ति से सत्ता हासिल कर ही दलित व बहुजन समाज शोषण से मुक्त हो सकता है, जो बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान की मंशा को साकार करेगा।
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लखनऊ- बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार को यहां आयोजित पार्टी की अखिल भारतीय बैठक में (उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड को छोड़कर) देशभर के राज्यों में संगठन की जमीनी तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को मजबूत करने के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए, साथ ही देश में बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, महिला असुरक्षा, जातिवादी व साम्प्रदायिक हिंसा तथा भ्रष्टाचार पर गंभीर चिंता जताई। मायावती ने कहा कि वोटों की शक्ति से सत्ता हासिल कर ही दलित व बहुजन समाज शोषण से मुक्त हो सकता है, जो बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान की मंशा को साकार करेगा।

बैठक में मायावती ने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की 16 अक्टूबर को हुई अलग बैठक के बाद अन्य राज्यों पर फोकस किया। उन्होंने राज्यवार संगठन की प्रगति की समीक्षा करते हुए कमियों को दूर करने और नए राजनीतिक हालात के मद्देनजर आगे की रणनीति पर जोर दिया। विशेष रूप से, बीएसपी के संस्थापक मान्यवर कांशीराम के 19वें परिनिर्वाण दिवस पर 9 अक्टूबर को लखनऊ के स्मारक स्थल पर हुए यूपी स्तर के महा-आयोजन की ऐतिहासिक सफलता का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यूपी के गांव-गांव में दिखे तन-मन-धन के जोश का अनुसरण अन्य राज्य करें, ताकि बीएसपी का मिशन पूरा हो और अंबेडकर के कल्याणकारी राज्य का सपना साकार हो।

मायावती ने देश की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारों के संकीर्ण जातिवादी व राजनीतिक स्वार्थ जनहित को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे देश का विकास बाधित हो रहा है। दलित व बहुजन समाज पर लगातार हो रहे सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक शोषण, अत्याचार व अपमान पर रोष जताते हुए उन्होंने जोर दिया कि मुक्ति केवल वोटों से सत्ता की 'मास्टर चाबी' हासिल कर ही संभव है। उन्होंने बीएसपी की चार यूपी सरकारों का उदाहरण दिया, जहां महात्मा ज्योतिबा फुले, श्री नारायण गुरु, छत्रपति शाहूजी महाराज, बाबासाहेब अंबेडकर व कांशीराम जैसे महापुरुषों के सपनों को सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के जरिए साकार किया गया।

हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए मायावती ने प्रधान न्यायाधीश के साथ कोर्ट में हुई जातिवादी घटना और हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की घृणित जातिवाद से प्रेरित आत्महत्या पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि ये घटनाएं संवैधानिक व्यवस्था व सभ्य समाज के लिए चिंताजनक हैं, लेकिन सरकार व संस्थानों की ओर से अपेक्षित सख्त कार्रवाई व गंभीरता न दिखना कानून के राज पर सवाल खड़े करता है।

बीएसपी को 'अंबेडकरवादी पार्टी' बताते हुए मायावती ने स्पष्ट किया कि यह पूंजीपतियों के इशारे पर चलने वाली स्वार्थी पार्टी नहीं, बल्कि दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मुस्लिम व अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए समर्पित है। यूपी में बीएसपी सरकारों को 'कानून के राज' व 'गुड गवर्नेंस' की मिसाल बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी सरकारों की आज पूरे देश में तलाश है। उन्होंने 15 जनवरी को अपने जन्मदिन पर आर्थिक सहयोग की परंपरा को जारी रखने की अपील की, उन्होंने कहा कि बी.एस.पी. बहुजन समाज के करोड़ों लोगों को गरीबी व लाचार आदि के त्रस्त जीवन से निकालकर उन्हें 'लेने वाले से देने वाला समाज' बनाना चाहती है, जिसके लिये पूरे तन, मन और धन से अनवरत सहयोग जरूरी है।

बैठक में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने 9 अक्टूबर के यूपी महा-आयोजन की सफलता पर मायावती को बधाई दी और आश्वासन दिया कि उनके संदेशों को गांव-गांव पहुंचाएंगे। उन्होंने अपने-अपने राज्यों में बीएसपी के जनाधार को मजबूत कर सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प लिया। अंत में मायावती ने सभी का धन्यवाद किया।

मायावती ने कहा कि वोटों की शक्ति से सत्ता हासिल कर ही दलित व बहुजन समाज शोषण से मुक्त हो सकता है, जो बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान की मंशा को साकार करेगा।
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मायावती ने कहा कि वोटों की शक्ति से सत्ता हासिल कर ही दलित व बहुजन समाज शोषण से मुक्त हो सकता है, जो बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान की मंशा को साकार करेगा।
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