जातिगत भेदभाव की बेरहमी: पुणे कॉलेज ने जाति देखकर Certificates का नहीं किया सत्यापन, लंदन में नौकरी को तैयार दलित युवा का सपना चूर-चूर!

जब प्रेम लंदन पढ़ने गए थे, तब इसी कॉलेज ने उनके प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया था। लेकिन नौकरी के लिए दोबारा अनुरोध पर कॉलेज प्रशासन ने उनकी जाति पूछी और इनकार कर दिया।
प्रेम ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो शेयर किया, जिसमें वे कंपनी की इमारत के बाहर खड़े होकर अपनी आईडी कार्ड लौटाते हुए कहते हैं, "मैं यहां काम कर रहा था, लेकिन अब पुणे के कॉलेज की वजह से मुझे नौकरी गंवानी पड़ी।
प्रेम ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो शेयर किया, जिसमें वे कंपनी की इमारत के बाहर खड़े होकर अपनी आईडी कार्ड लौटाते हुए कहते हैं, "मैं यहां काम कर रहा था, लेकिन अब पुणे के कॉलेज की वजह से मुझे नौकरी गंवानी पड़ी।
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पुणे- नंदुरबार जैसे पिछड़े आदिवासी जिले से निकलकर ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ससेक्स विश्वविद्यालय से हाल ही में स्नातक प्रेम बिरहाडे को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर नौकरी की सुनहरी संभावना गंवानी पड़ी। कारण? उनके पूर्व कॉलेज, पुणे के मॉडर्न कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स ने उनके शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने से साफ मना कर दिया। प्रेम का आरोप है कि यह सब उनकी दलित पहचान के कारण हुआ। इस घटना ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश फैला दिया है।

प्रेम ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो शेयर किया, जिसमें वे कंपनी की इमारत के बाहर खड़े होकर अपनी आईडी कार्ड लौटाते हुए कहते हैं, "मैं यहां काम कर रहा था, लेकिन अब पुणे के कॉलेज की वजह से मुझे नौकरी गंवानी पड़ी।" वीडियो में प्रेम ने बताया कि कंपनी के बैकग्राउंड वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान कॉलेज ने उनके दाखिले का इनकार कर दिया, जबकि पहले उनके यूनिवर्सिटी एडमिशन के लिए इसी कॉलेज ने दो सिफारिश पत्र जारी किए थे। प्रेम ने कहा, "वे नहीं चाहते कि हम आगे बढ़ें।" यह वीडियो वायरल हो गया और सोशल मीडिया यूजर्स में गुस्सा फैल गया। कई यूजर्स ने कॉलेज की कार्रवाई को जातिगत भेदभाव का ज्वलंत उदाहरण बताते हुए न्याय की मांग की।

बहुजन वंचित आघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष और सांसद अधिवक्ता प्रकाश अम्बेडकर ने इस मुद्दे पर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "प्रेम बिरहाडे, एक युवा दलित जो हाल ही में प्रतिष्ठित ससेक्स विश्वविद्यालय से स्नातक हुआ, को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर कड़ी मेहनत से हासिल नौकरी का अवसर गंवाना पड़ा। पुणे के मॉडर्न कॉलेज ने सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने के बावजूद उनके शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने से इनकार कर दिया क्योंकि प्रेम दलित हैं!"

आंबेडकर ने आगे कहा, "कॉलेज की प्राचार्या डॉ. निवेदिता गजानन एकबोटे भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा की महाराष्ट्र उपाध्यक्ष भी हैं। उनके मनुवादी भाजपा से राजनीतिक और वैचारिक जुड़ाव को देखते हुए, उनकी शैक्षणिक करियर में एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के खिलाफ जातिगत पूर्वाग्रह कितना गहरा रहा होगा, यह कल्पना से परे है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रेम का यह केस दलित युवाओं को सताने वाले जातिगत भेदभाव के दुष्चक्र का जीता-जागता उदाहरण है। "प्रेम की कहानी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि असंख्य दलित छात्रों की है, जिनकी महत्वाकांक्षाएं जातिगत भेदभाव से कुचल दी जाती हैं।"

प्रेम का सफर आसान नहीं था। नंदुरबार जैसे गरीब आदिवासी जिले से यूके तक पहुंचना उनके लिए प्रचंड सामाजिक और आर्थिक बाधाओं से भरा था। खास बात यह है कि जब प्रेम लंदन पढ़ने गए थे, तब इसी कॉलेज ने उनके प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया था। लेकिन नौकरी के लिए दोबारा अनुरोध पर कॉलेज प्रशासन ने उनकी जाति पूछी और इनकार कर दिया।

इस मामले ने शिक्षा संस्थानों में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं और जनाक्रोश बढ़ रहा है। वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले आंबेडकर ने इस पर तत्काल ध्यान और जवाबदेही की मांग की है।

प्रेम ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो शेयर किया, जिसमें वे कंपनी की इमारत के बाहर खड़े होकर अपनी आईडी कार्ड लौटाते हुए कहते हैं, "मैं यहां काम कर रहा था, लेकिन अब पुणे के कॉलेज की वजह से मुझे नौकरी गंवानी पड़ी।
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प्रेम ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो शेयर किया, जिसमें वे कंपनी की इमारत के बाहर खड़े होकर अपनी आईडी कार्ड लौटाते हुए कहते हैं, "मैं यहां काम कर रहा था, लेकिन अब पुणे के कॉलेज की वजह से मुझे नौकरी गंवानी पड़ी।
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