राजस्थान में OBC आरक्षण: राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट तय करेगा नया फॉर्मूला, शुरू हुआ जनसुनवाई अभियान

जनसुनवाई का आयोजन सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में किया जा रहा है, जिसमें राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (राजनैतिक प्रतिनिधित्व) आयोग को राज्य के स्थानीय निकायों में OBC वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति और उसके प्रभावों का एक समसामयिक और अनुभवजन्य अध्ययन करने का निर्देश दिया गया था।
आयोग राजस्थान की सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण एवं स्थानीय निकायों में उनके समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने हेतु पंचायती राज और शहरी निकायों में ओबीसी जातियों को आरक्षण देने का फार्मूला तय कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में आरक्षण लागू किया जाएगा।
आयोग राजस्थान की सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण एवं स्थानीय निकायों में उनके समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने हेतु पंचायती राज और शहरी निकायों में ओबीसी जातियों को आरक्षण देने का फार्मूला तय कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में आरक्षण लागू किया जाएगा।
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जयपुर- राजस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (राजनीतिक प्रतिनिधित्व) आयोग द्वारा आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम राज्यव्यापी जनसुनवाई अभियान की शुरुआत 17 नवंबर से कर दी है, जो 8 दिसंबर तक चलेगा।

इसके तहत जोधपुर, उदयपुर, भरतपुर, बीकानेर, अजमेर, जयपुर तथा कोटा संभागों में OBC समुदाय की वास्तविक चुनौतियों, विकासात्मक आवश्यकताओं और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को सीधे जनता से एकत्रित किये जायेंगे ताकि निष्पक्ष आरक्षण फॉर्मूला तैयार किया जा सके। इसी क्रम में आयोग ने राज्य के सभी जिलों में जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसके अंतर्गत उदयपुर में 21 नवंबर को जन सुनवाई होगी ।

ओबीसी आयोग के जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि 21 नवंबर को प्रात: 11 से 1.30 बजे तक जिला परिषद सभागार कलेक्ट्रेट परिसर,उदयपुर में आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश (सेनि.) मदनलाल भाटी सहित अन्य माननीय सदस्य गोपाल कृष्ण, प्रो. राजीव सक्सेना, मोहन मोरवाल, पवन मंडाविया तथा सचिव (सलाहकार) अशोक कुमार जैन की उपस्थिति में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जनसंवाद एवं परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

इस परिचर्चा में ओबीसी आयोग आमजन से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित कर अन्य पिछड़ा वर्गो के क्षेत्रवार मुद्दे, विकास संबंधी आवश्यकताएँ, सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां और ओबीसी समुदाय के कल्याण से जुड़े महत्वपूर्ण समस्याओं, अपेक्षाओं व सुझावों को प्राप्त करेगा इस व्यापक जनसुनवाई का उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े मुद्दों पर प्रत्यक्ष संवाद स्थापित कर सुझाव एकत्रित करना है । आयोग द्वारा प्राप्त सुझावों को रिपोर्ट में समाहित किया जाएगा ताकि राज्य में ओबीसी समुदाय के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण के लिए ठोस नीति-निर्माण हो सके।

आयोग के निर्देशानुसार जिला प्रशासन उदयपुर द्वारा श्रीमती रीया डाबी मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद उदयपुर को नोडल अधिकारी एवं श्री दिनेश मंडोवरा उपायुक्त नगर निगम को सह नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उदयपुर जनसंवाद में वर्तमान एवं पूर्व सांसद, विधायक, जिला प्रमुख, उप-प्रमुख, प्रधान, पंचायत समिति सदस्य, नगर निकाय अध्यक्ष तथा सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है, साथ ही OBC कल्याण से जुड़ी संस्थाओं, बार काउंसिल सदस्यों तथा आम जनता को आमंत्रित किया गया है, जहां वे अपने अनुभव साझा कर सकेंगे, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में OBC महिलाओं की पहुंच, शहरी निकायों में आर्थिक असमानता से उपजी राजनीतिक बहिष्कार तथा समग्र रूप से आरक्षण के कार्यान्वयन में आने वाली बाधाएं, जो आयोग की अंतिम रिपोर्ट को समृद्ध बनाएंगी।

ये है जनसुनवाई का उद्देश्य

इस जनसुनवाई का प्राथमिक उद्देश्य आम जनता, राजनीतिक हस्तियों, हितधारकों और सामाजिक संस्थाओं से सीधे संवाद स्थापित करना और उनके विचारों एवं सुझावों को आमंत्रित करना है। आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि OBC वर्ग के राजनीतिक आरक्षण पर की जा रही अनुशंसाएं जमीनी हकीकत और लोगों के वास्तविक अनुभवों पर आधारित हों। इसके लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं, जिनमें स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से कार्यक्रम की तिथि, स्थान और उद्देश्य का व्यापक प्रचार-प्रसार शामिल है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें भाग ले सकें।

राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (राजनैतिक प्रतिनिधित्व) आयोग, प्रदेश की सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण एवं स्थानीय निकायों में उनके समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने हेतु पंचायती राज और शहरी निकायों में ओबीसी जातियों को आरक्षण देने का फार्मूला तय कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में आरक्षण लागू किया जाएगा। 

इसलिए गठित हुआ आयोग

यह कार्यक्रम उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक आदेश दिनांक 10 मई 2022, रिट पिटिशन (सिविल) संख्या 278/2022 सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य में पारित निर्णय की पूर्ण अनुपालना में हो रहा है, जिसमें OBC के पिछड़ेपन की समसामयिक और अनुभवजन्य जांच के आधार पर स्थानीय निकायों में आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था। आयोग, जो पांच सदस्यीय समर्पित इकाई के रूप में 9 मई 2022 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के आदेश क्रमांक-एफ 11 (रा., रा.पि. वर्ग (राजनीतिक) बीसी / सान्या अवि/2025/33822 के तहत गठित हुआ।

आयोग के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदनलाल भाटी के नेतृत्व में सदस्यगण गोपाल कृष्ण, प्रोफेसर राजीव सक्सेना, मोहन मोरवाल, पवन मंडाविया तथा सचिव (सलाहकार) अशोक कुमार जैन द्वारा संचालित यह अभियान OBC के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को मजबूत बनाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है, जहां पंचायती राज संस्थाओं जैसे ग्रामीण पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों तथा नगरीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और महानगर निगमों में आरक्षण की सिफारिशें सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित होंगी। उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार, आयोग को OBC के पिछड़ेपन की प्रकृति और उसके निहितार्थों की गहन जांच करनी है, जिसमें जाति-आधारित आंकड़ों के अलावा शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक संकेतकों का समग्र मूल्यांकन शामिल है, ताकि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक न हो, जैसा कि न्यायालय ने स्पष्ट किया है।

सर्वेक्षण की प्रक्रिया तेज

राज्य सरकार द्वारा गठित इस आयोग ने सर्वेक्षण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है, जिसमें OBC परिवारों के घर-घर जाकर डेटा संग्रह, राजनीतिक दलों, शोध संस्थानों तथा विशेषज्ञों से परामर्श तथा क्षेत्रीय असमानताओं का विश्लेषण शामिल है। आयोग डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन सुझाव आमंत्रित कर रहा है, ईमेल obccommission25@gmail.com पर, जो ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड को पाटने में मददगार साबित होगा। उदयपुर जैसे सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से विविध संभाग में यह जनसंवाद विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां OBC समुदाय पर्यटन, कृषि और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाता है, लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी से विकास परियोजनाओं में उनके हित प्रभावित होते हैं, इसलिए आयोग यहां से एकत्र सुझावों को आधार बनाकर अनुशंसा करेगा कि आरक्षण की गणना में स्थानीय आर्थिक सर्वेक्षणों को शामिल किया जाए, ताकि OBC समुदाय की वास्तविक आवश्यकताओं जैसे शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचे की पहुंच को राजनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया से जोड़ा जा सके।

अंततः, ये अनुशंसाएं राज्य सरकार को एक निश्चित समयसीमा में सौंप दी जाएंगी जिसके बाद नई आरक्षण व्यवस्था लागू कर पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे, जो न केवल OBC के सशक्तिकरण को सुनिश्चित करेंगे, बल्कि राजस्थान के लोकतांत्रिक ढांचे को अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण बनाएंगे, जहां हर वर्ग की आवाज समान रूप से गूंजे। यह प्रक्रिया सामाजिक न्याय की दिशा में राजस्थान का एक ऐतिहासिक प्रयास है।

आयोग राजस्थान की सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण एवं स्थानीय निकायों में उनके समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने हेतु पंचायती राज और शहरी निकायों में ओबीसी जातियों को आरक्षण देने का फार्मूला तय कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में आरक्षण लागू किया जाएगा।
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