
नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान सरकार और अन्य पक्षों से राजस्थान प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजन एक्ट, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने जयपुर कैथोलिक वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा, "हमने विधायी सक्षमता के मुद्दे के साथ-साथ संवैधानिक सीमाओं के संदर्भ में कानून की अतिरेकता पर सवाल उठाए हैं।" बेंच ने टिप्पणी की कि इसी तरह के मुद्दे उठाने वाली याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित हैं। धवन ने स्पष्ट किया, "हमने एक पूरी तरह अलग सवाल उठाया है।"
जस्टिस नाथ ने कहा, "हम नोटिस जारी करेंगे और विपक्षी पक्ष को बुलाएंगे, फिर आपकी दलीलें सुनेंगे।" बेंच ने याचिका पर नोटिस जारी कर मामले को चार हफ्तों बाद सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया। साथ ही इसे समान मुद्दों वाली लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया।
3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध धार्मिक धर्मांतरण विरोधी कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी। राजस्थान सरकार को चार हफ्तों में जवाब देने का निर्देश दिया गया, जो सितंबर में राज्य विधानसभा द्वारा पारित इस 2025 कानून के खिलाफ था।
सितंबर में ही सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने कई राज्यों से उनके क्रमशः एंटी-कन्वर्जन कानूनों पर स्टे की मांग वाली याचिकाओं पर रुख स्पष्ट करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि जवाब मिलने के बाद ही ऐसे कानूनों के संचालन पर रोक लगाने की प्रार्थना पर विचार किया जाएगा।
यह बेंच उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक सहित कई राज्यों द्वारा बनाए गए एंटी-कन्वर्जन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बैच पर सुनवाई कर रही थी।
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