
उमरिया- मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के अंतर्गत उमरिया के बिरसिंहपुर में स्थित संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन के प्रशासनिक भवन के वीडियो कॉन्फ्रेंस रूम से बाबासाहेब की सम्मानित तस्वीर अचानक हटा दिए जाने से एससी-एसटी समुदाय के कर्मचारियों में गहरा आक्रोश फैला हुआ था। द मूकनायक द्वारा इस बारे में 16 नवम्बर को समाचार प्रकाशित किया गया था और जिम्मेदार अधिकारी से संविधान के शिल्पकार बाबा साहब अम्बेडकर के चित्र को हटाए जाने की वजह पूछी गई थी, हालाँकि अधिकारी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया लेकिन 19 नवम्बर को कार्यालय गए कर्मचारियों ने बाबा साहब की तस्वीर को वापस वापस उसी जगह पर लगे हुए पाया जिससे हर्ष की लहर है।
आपको बता दें थर्मल स्टेशन के मौजूदा चीफ इंजीनयर एच.के. त्रिपाठी को लेकर कर्मचारियों का कहना है कि उनका व्यवहार एससी/एसटी वर्ग के स्टाफ के साथ भेदभावपूर्ण होने से उनके रवैये को लेकर कर्मियों में असंतोष है।
कर्मचारियों के मुताबिक थर्मल स्टेशन के वीडियो कॉन्फ्रेंस रूम में काफी समय से बाबा साहब और गाँधी जी दोनों की तस्वीरें साथ साथ लगी हुई थी लेकिन हाल में हुए एक मीटिंग में शामिल कर्मचारियों ने नोटिस किया कि दीवार पर केवल गाँधी जी का चित्र लगा हुआ है, बाबा साहब की तस्वीर रूम में नहीं है। कर्मचारियों को लगा कि यह बहुजन समाज के प्रति भेदभाव और बाबा साहब का अपमान है ।
15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर स्टेशन पर हुए एक समारोह में कर्मचारियों ने बाबा साहब के चित्र को हटा दिए जाने के मुद्दे पर खुलकर चर्चा की। तय किया गया की वे पहले मुख्य अभियंता से बात करेंगे। यदि तस्वीर दुर्घटनावश टूट गई हो या कोई अन्य कारण हो, तो एक नई तस्वीर भेंट करेंगे ताकि इसे सम्मानपूर्वक लगाया जा सके। लेकिन यदि इसे बहाल नहीं किया गया, तो लिखित शिकायत देंगे और उच्च अधिकारियों तक मामला पहुंचाएंगे।
द मूकनायक ने 16 नवम्बर को इसपर "MP: बाबासाहेब की तस्वीर गायब? संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन के कर्मी आहत: 'टूट गई हो तो हम खुद नई तस्वीर देंगे!" शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया और चीफ इंजिनियर से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क भी किया लेकिन अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। उसके बाद 19 नवम्बर को जब कुछ कर्मियों की निगाहें कांफ्रेंस हॉल की दीवार पर पड़ी तो बाबा साहब की तस्वीर को उसी जगह लगा पाया। एससी-एसटी कर्मियों के बीच ये बात शेयर हुई और सभी ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह किसी ने चुपचाप बाबा साहब की तस्वीर हटवाई, उन्हें कर्मियों की नाराज़गी की जानकारी होते ही चित्र को दुबारा अपने जगह पर स्थापित कर दिया, यही हमारी जीत है। एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हमने तय किया था कि 26 नवम्बर को संविधान दिवस पर बाबा साहब की नयी तस्वीर पेश करके उसे कांफ्रेंस रूम में लगाते लेकिन जिसने भी तस्वीर हटाने की भूल की है, उसे समझ आगया और अपनी भूल सुधार दी इसलिए अब कोई विवाद नहीं रहा।
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