भोपाल। मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (IMR) देश में सर्वाधिक है, जहां हर 1,000 नवजातों में से 48 की मौत हो रही है। यह दर 4.8% है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। इस चुनौती का समाधान ढूंढने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ने मिलकर काम शुरू किया है। इस दिशा में आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. राजीव बहल ने राज्य के मुख्य सचिव अनुराग जैन से मुलाकात की और विभिन्न शोध परियोजनाओं पर चर्चा की।
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले को विशेष रूप से अध्ययन के लिए चुना गया है। भगवानपुरा और झिरनिया जैसे क्षेत्रों में अभी भी घरों में प्रसव का चलन जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह शिशु मृत्यु दर बढ़ने का मुख्य कारण है। अस्पताल में प्रसव को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाओं को मजबूत करने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत: इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता, मानव संसाधन में खामियों को दूर करना है।
प्रदेश में यह समस्या खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में गहराई हुई है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और पारंपरिक प्रथाओं के चलते लोग अब भी घर पर प्रसव करवा रहे हैं। खरगोन जिले के भगवानपुरा और झिरनिया जैसे इलाकों में घर पर प्रसव की प्रथा आम है। इस वजह से नवजात शिशु और मां के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। इसे बदलने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम ने इन क्षेत्रों में काम शुरू किया है। उनका फोकस प्रसव केंद्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरणों और मानव संसाधनों में सुधार पर है। इसके साथ ही, समुदाय को जागरूक करने और अस्पताल में प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
इसके अलावा, राज्य में स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य गंभीर चुनौतियों पर भी रिसर्च हो रही है। चाइल्ड कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान और इलाज की नई रणनीतियों पर एम्स भोपाल के सहयोग से काम किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए काउंसलिंग और टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। विदिशा जिले में इमरजेंसी केयर रिस्पांस सिस्टम लागू किया गया है, जो हादसों और आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को तेज और प्रभावी चिकित्सा सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है।
महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की समस्या को खत्म करने के लिए भी अभियान चलाए जा रहे हैं। इसमें आयरन और फोलिक एसिड की सप्लीमेंटेशन, पोषण जागरूकता, और नियमित स्वास्थ्य जांच शामिल हैं। वहीं, डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों पर भी शोध जारी है। जीवनशैली में सुधार और नियमित स्वास्थ्य जांच के माध्यम से इन समस्याओं को नियंत्रित करने की योजना है।
इन सभी प्रयासों का उद्देश्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को बेहतर बनाना और शिशु मृत्यु दर को कम करना है। राज्य सरकार, जिला प्रशासन, और स्वास्थ्य विभाग की सामूहिक कोशिशों के साथ, यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में प्रदेश इस गंभीर समस्या से निजात पा सकेगा।
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