MP खंडवा को मिले राष्ट्रीय जल पुरस्कार पर विवाद! कलेक्टर, सीईओ पर AI तस्वीरों से अवॉर्ड लेने का आरोप, जानिए क्या है मामला?

दो फीट के गड्ढे से ‘डिजिटल कुआं’ तक! खंडवा जल पुरस्कार पर AI विवाद, कांग्रेस ने उठाए सवाल
खंडवा कलेक्टर, सीईओ पर AI तस्वीरों से अवॉर्ड लेने का आरोप
खंडवा कलेक्टर, सीईओ पर AI तस्वीरों से अवॉर्ड लेने का आरोपInternet
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भोपाल। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले को मिले राष्ट्रीय जल पुरस्कार को लेकर इन दिनों प्रदेश की राजनीति और सोशल मीडिया दोनों में तीखी बहस छिड़ी हुई है। आरोप है कि जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने AI से तैयार तस्वीरें और गलत आंकड़े पेश कर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल किया। कांग्रेस ने इसे “भाजपा राज में स्मार्ट भ्रष्टाचार” करार दिया है, जबकि जिला प्रशासन इन सभी दावों को भ्रामक और तथ्यहीन बता रहा है। यह मामला इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि जल संरक्षण जैसे संवेदनशील विषय पर देश के सर्वोच्च स्तर का सम्मान जुड़ा है और पुरस्कार राष्ट्रपति के हाथों प्रदान किया गया है।

कौन सा पुरस्कार और कब मिला?

बीते 18 नवंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में खंडवा जिले की कावेश्वर ग्राम पंचायत को “सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत” श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से प्रदान किया गया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वयं यह पुरस्कार दिया।

‘कैच द रेन’ अभियान में देश में पहला स्थान

खंडवा कलेक्टर ऋषभ गुप्ता के मुताबिक, जिले ने केंद्र सरकार के ‘कैच द रेन’ अभियान के तहत संचालित जल संचय-जन भागीदारी अभियान में देशभर में प्रथम स्थान हासिल किया।

जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए खंडवा जिले को 2 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिला है, जबकि कावेश्वर ग्राम पंचायत को 1.5 लाख रुपये नकद और ट्रॉफी प्रदान की गई।

कावेश्वर ग्राम पंचायत में कौन-कौन से काम गिनाए गए?

जिला प्रशासन का कहना है कि कावेश्वर ग्राम पंचायत में पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुनियोजित और ज़मीनी स्तर पर जल संरक्षण के व्यापक कार्य किए गए हैं। इनमें कावेरी नदी के उद्गम कुंड का जीर्णोद्धार, पहाड़ी क्षेत्रों में रिज टू वैली मॉडल पर वाटरशेड विकास, लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में कंटूर ट्रेंच निर्माण, 55 गली प्लग, 35 तालाब व पोखरों का निर्माण, वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की स्थापना तथा हैंडपंप, बोरवेल और रिचार्ज शाफ्ट जैसे संरचनात्मक कार्य शामिल हैं। प्रशासन का दावा है कि इन्हीं ठोस और सत्यापित कार्यों के आधार पर कावेश्वर ग्राम पंचायत को राष्ट्रीय स्तर पर यह सम्मान प्राप्त हुआ है।

कांग्रेस के गंभीर आरोप- "AI से कुआं बना दिए गए"

इस पुरस्कार से जुड़ी तस्वीरें सामने आते ही सोशल मीडिया पर कांग्रेस का विरोध तेज हो गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने एक्स अकाउंट पर तस्वीरें साझा करते हुए आरोप लगाया कि, खंडवा में दो फीट के गड्ढों को AI के जरिए कुआं दिखाया गयाविकास कार्यों की फर्जी तस्वीरें बनाकर पोर्टल पर अपलोड की गईं इन्हीं कथित फर्जीवाड़ों के आधार पर राष्ट्रपति से पुरस्कार ले लिया गया

जीतू पटवारी ने दावा किया कि जब जमीनी हकीकत देखी गई तो वहां खेत और खाली मैदान मिले। उन्होंने इसे “भाजपा राज में स्मार्ट भ्रष्टाचार” बताया और यह भी आरोप लगाया कि तस्वीरें अपलोड करते समय AI वॉटरमार्क हटाना तक भूल गए अधिकारी।

जिला प्रशासन की कड़ी सफाई

आरोपों के जवाब में खंडवा जिला प्रशासन ने आधिकारिक बयान जारी कर पूरी रिपोर्ट को भ्रामक, तथ्यहीन और प्रशासन की छवि खराब करने का प्रयास बताया। जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा ने स्पष्ट किया कि यह काम JSJB 1.0 अभियान के तहत किया गया था अभियान की शुरुआत पिछले वर्ष हुई और 31 मई 2025 को कार्य पूर्ण हो चुका था, ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर जनभागीदारी से संरचनाएं तैयार की गईं।

उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि केवल 1714 फोटो अपलोड की गईं, जबकि वास्तविकता यह है कि 1,29,046 कार्यों की तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड की गई थीं। इनका डेस्क और फील्ड, दोनों स्तर पर मंत्रालय द्वारा वेरिफिकेशन किया गया, उसके बाद ही पुरस्कार दिया गया।

AI तस्वीरों के आरोप पर क्या कहा गया?

डॉ. गौड़ा के अनुसार, जिन अक्टूबर 2025 की तस्वीरों को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है, वे जल शक्ति ‘कैच द रेन’ पोर्टल से संबंधित हैं और JSJB 1.0 अभियान से उनका कोई सीधा संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुरानी जनसुनवाई शिकायतों को मौजूदा मामले से जोड़कर भ्रम फैलाया जा रहा है, जबकि उन शिकायतों पर पहले ही जांच और कार्रवाई हो चुकी है।

कौन हैं डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा?

डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा 2019 बैच के IAS अधिकारी हैं। इससे पहले हरदा में पदस्थ रहते हुए भी वे कुछ विवादों में घिर चुके हैं, जिनमें जुर्माना माफ करने और जमीन खरीद से जुड़े आरोप शामिल रहे। वे मूल रूप से कर्नाटक के निवासी हैं और अपने IAS करियर की शुरुआत मणिपुर कैडर से की थी। ट्रांसफर के बाद वे मध्य प्रदेश आए और वर्तमान में खंडवा जिला पंचायत के सीईओ हैं।

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