MP जबलपुर के एकलव्य स्कूल में छात्रों का विरोध: प्राचार्य पर जातिसूचक शब्दों और उत्पीड़न के आरोप, सैकड़ों आदिवासी छात्र पैदल कलेक्टर के पास पहुंचे

प्रदर्शन के दौरान छात्र-छात्राओं ने सड़क पर उतरकर प्राचार्य के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
जबलपुर के एकलव्य स्कूल में छात्रों का विरोध
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भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के रामपुर क्षेत्र स्थित एकलव्य आवासीय विद्यालय में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने प्राचार्य के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए न सिर्फ कक्षाओं का बहिष्कार किया, बल्कि छात्रावास का ताला तोड़कर पैदल ही कलेक्टर कार्यालय की ओर रवाना हो गए। यह पूरा घटनाक्रम सोमवार दोपहर का है, जिसने प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

करीब दो किलोमीटर दूर जब बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं सड़क पर नारेबाजी करते नजर आए, तो स्थानीय लोगों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। गोरखपुर थाना का स्टाफ मौके पर पहुंचा और छात्रों से बातचीत की कोशिश की, लेकिन नाराज छात्र-छात्राएं पुलिस की समझाइश को नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ते रहे।

छात्रों के कलेक्टर कार्यालय की ओर कूच की सूचना जैसे ही जिला प्रशासन तक पहुंची, जबलपुर कलेक्टर ने तत्काल अभिषेक गहलोत को मौके पर भेजा। सीईओ ने छात्रों से बातचीत कर उनकी शिकायतें सुनीं और कार्रवाई का आश्वासन दिया। अधिकारियों की समझाइश के बाद छात्र-छात्राएं वापस छात्रावास लौटने को राजी हुए।

इधर, छात्रों के उग्र विरोध से पहले ही विद्यालय की प्राचार्य अविनाश रानी अवकाश पर चली गईं, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया।

क्या हैं छात्रों के आरोप

छात्र-छात्राओं का आरोप है कि छात्रावास में साढ़े चार सौ से अधिक बच्चे रहते हैं, लेकिन वहां का माहौल डर और अपमान से भरा हुआ है। छात्रों के मुताबिक अधीक्षक और प्राचार्य द्वारा न सिर्फ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि कई बार जातिसूचक शब्द भी कहे जाते हैं।

छात्राओं ने बताया कि- स्कूल में प्यून और अन्य कर्मचारी होने के बावजूद उनसे बाथरूम, नालियां और हॉस्टल की डस्टिंग करवाई जाती है। जो छात्र-छात्राएं आदेशों का विरोध करते हैं, उनके साथ मारपीट और मानसिक उत्पीड़न किया जाता है। जब परिजन मिलने आते हैं, तो उनके साथ भी अपमानजनक व्यवहार किया जाता है।

छात्रों का कहना है कि उन्होंने पहले शिक्षकों और अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन जब किसी ने नहीं सुनी, तब मजबूरी में सड़कों पर उतरना पड़ा।

‘हटाओ-हटाओ’ के नारों से गूंजा इलाका

प्रदर्शन के दौरान छात्र-छात्राओं ने सड़क पर उतरकर प्राचार्य के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। स्थानीय मीडिया से बातचीत में छात्र अनिल बैगा ने बताया कि इससे पहले जब गीता साहू प्राचार्य थीं, तब भी इसी तरह की शिकायतें सामने आई थीं। प्रशासन ने गीता साहू को हटाकर अविनाश रानी को पदस्थ किया, लेकिन हालात नहीं बदले।

छात्रा मुस्कान ने एक और गंभीर समस्या की ओर इशारा करते हुए बताया कि विद्यालय में दो सप्ताह पहले एक और प्राचार्य की नियुक्ति कर दी गई है। दोनों प्राचार्य अलग-अलग निर्देश देती हैं, जिससे छात्र-छात्राएं असमंजस में हैं कि किसकी बात मानी जाए। उनका आरोप है कि दोनों ही प्राचार्य अपने रसूख के चलते शिक्षकों पर भी अनावश्यक पाबंदियां लगाती हैं।

जिला पंचायत सीईओ अभिषेक गहलोत ने बताया कि छात्र-छात्राओं से शिकायतें मिली हैं और उन्हें गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने बताया कि, “हाल ही में छात्रावास में अविनाश रानी की पदस्थापना हुई है। उनके व्यवहार को लेकर आपत्तियां सामने आई हैं। परिजनों से गलत तरीके से बात करने और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें नोट की गई हैं। समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं।”

दो प्राचार्य की नियुक्ति पर सीईओ ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार के नए नियमों के तहत जिन एकलव्य छात्रावासों में छात्रों की संख्या अधिक है, वहां एक राज्य सरकार और एक केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्राचार्य होंगे। इसी व्यवस्था के तहत दो प्राचार्य पदस्थ की गई हैं।

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