चित्तौड़गढ़: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में दो सरकारी स्कूल शिक्षकों को अश्लील और अनैतिक आचरण के आरोपों में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। यह कार्रवाई एक वायरल वीडियो के सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद की गई, जिसमें इन दोनों शिक्षकों को स्कूल परिसर में अनुचित हरकतें और आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया।
कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय, प्रारम्भिक शिक्षा, चित्तौडगढ द्वारा जारी Dismissal आर्डर के मुताबिक दोनों शिक्षकों को नैतिक अधमता यथा अश्लील यौन दुराचरण रचना में अंतर्लिप्तता स्पष्ट रूप से पाया गया और इनके द्वारा विधालय परिसर में प्रधानाचार्य कक्षा कक्ष में राजकीय कर्तव्य निर्वहन के दौरान किये गये अश्लील यौन दुराचरण से शिक्षा विभाग एवं राजस्थान सरकार के सुशासन की छवि धूमिल हुई है।
बर्खास्त किए गए शिक्षकों में प्रधानाध्यापक अरविंद नाथ व्यास, लेवल-2 शिक्षक और शिक्षक संघ के नेता हैं, और दूसरी एक लेवल-1 शिक्षिका हैं। दोनों ही पीईईओ राजीव गांधी उच्च माध्यमिक विद्यालय, अजोल्या का खेड़ा के अधीन संचालित सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय, सालेरा में कार्यरत थे।
व्यास विवाहित हैं और गंगरार में रहते हैं। आरोपित शिक्षिका भी विवाहित है और पास के क्षेत्र की निवासी है। उनके पति स्थानीय फैक्ट्री में कार्यरत हैं।
18 जनवरी को व्यास और शिक्षिका का अश्लील वीडियो वायरल हुआ। यह वीडियो प्रधानाध्यापक के कार्यालय का बताया जा रहा है। घटना उजागर होते ही शिक्षा क्षेत्र में हड़कंप मच गया। दोनों शिक्षकों को तुरंत निलंबित कर दिया गया और जांच के लिए एक समिति गठित की गई।
संयुक्त शिक्षा निदेशक, उदयपुर द्वारा गठित जांच समिति ने गांव में पहुंचकर अभिभावकों, छात्रों और ग्रामीणों के बयान दर्ज किए। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की सत्यता की जांच के बाद समिति ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में दोनों शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की गई। इसके बाद 20 जनवरी को दोनों शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के कार्यालय द्वारा जारी बर्खास्तगी पत्र के अनुसार, वीडियो में व्यास को महिला टीचर के साथ अश्लील हरकत करते हुए दिखाया गया है। 18 जनवरी को निलंबन के बाद 20 जनवरी को नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन व्यास ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया और जांच समिति के समक्ष कोई बचाव प्रस्तुत नहीं किया।
बर्खास्तगी आदेश में कहा गया कि व्यास की हरकतों ने न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान शिक्षा विभाग की छवि धूमिल कर दी। यह आचरण सार्वजनिक सेवा नैतिकता का उल्लंघन है और शिक्षकों पर जनता द्वारा रखे गए विश्वास को चोट पहुंचाने वाला है।
मामले में फंसी शिक्षिका ने व्यक्तिगत रूप से समिति के सामने पेश होकर स्वीकार किया कि वह वायरल वीडियो में मौजूद है, लेकिन दावा किया कि वीडियो को एडिट करके गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। हालांकि, जांच समिति ने उनके इस बचाव को खारिज कर दिया और वीडियो को प्रामाणिक पाया। समिति ने निष्कर्ष दिया कि वह भी अश्लील हरकतों में शामिल थीं।
डीईओ के कार्यालय ने महिला शिक्षिका के आचरण को भी राज्य की शिक्षा व्यवस्था की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला बताया। आदेश में कहा गया कि शिक्षक का पद नैतिक आचरण, पेशेवरता और अनुकरणीय व्यक्तित्व की मांग करता है।
राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 के नियम 19(ii) के तहत दोनों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से राज्य सेवा से पदच्युत (DISMISSAL FROM SERVICE) किया गया।
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा दोनों शिक्षकों को जारी दो अलग-अलग आदेशों में लिखा गया कि, "आपकेे द्वारा किये गये अनैतिक एवं अश्लील कृत्यो का विडियो विभिन्न सोशल मिडिया पर वायरल होने से शिक्षा विभाग, राजस्थान सहित सम्पूर्ण देश ने उक्त वायरल विडियो को देखा एवं राष्ट्रीय स्तर का समाचार बना जिससे शिक्षा विभाग की छवि सम्पूर्ण देश एवं प्रदेश में धूमिल हुई जो आप द्वारा किये गये कृत्य को क्षम्य नहीं किया जा सकता और विभाग की छवि को जो हानि हुई है जो अपूरणनीय एवं अक्षम्य है।"
आदेश में आगे लिखा गया, " श्री अरविन्द नाथ व्यास, तत्कालीन अध्यापक वर्तमान निलंम्बित द्वारा किये गये गंभीर दुराचरण के कारण छात्रो के भविष्य के साथ-साथ अभिभावकों के विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।"
इसी तरह शिक्षिका के बर्खास्तगी आदेश में लिखा गया, "शिक्षक के गरिमामय पद हेतु उच्च चरित्रवान, सदाचारी, नैतिक दृष्टि से सबल एवं आदर्श व्यक्तित्व जरूरी है। अध्यापिका का आचरण ऐसा है जिससे इनकी राज्य सेवा के प्रति सत्यनिष्ठा संदेहास्पद पाई गई है, जो इन्हें राज्य सेवा में बनाये रखने के लिए अवांछनीय बनाता है। अतः ऐसे गंभीर दुराचरण एवं लोक लाज के मामलो में त्वरित कार्यवाही कार्मिक को बिना सुने एक पक्षीय निर्णय जारी किया जा सकता है।"
दोनों अध्यापकों को राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 19 (ii) में दिये गये प्रावधानान्तर्गत तत्काल प्रभाव से बर्खास्त (DISMISSAL FROM SERVICE) किया गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) राजेंद्र कुमार शर्मा ने पुष्टि की कि विभाग को यह अश्लील वीडियो ईमेल के माध्यम से प्राप्त हुए।
कई रिकॉर्डिंग्स में व्यास और महिला शिक्षिका को आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया। फुटेज में दोनों को कार्यालय के विभिन्न कोनों में अनुचित गतिविधियों में संलिप्त देखा गया, जहां वे अलग-अलग परिधानों में नजर आए लेकिन अश्लील व्यवहार प्रदर्शित करते रहे।
सूत्रों के अनुसार, छात्रों ने हेडमास्टर और शिक्षिका के अश्लील व्यवहार की जानकारी अपने माता-पिता को दी थी। बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई न होने से निराश होकर ग्रामीणों ने सामूहिक पहल से स्कूल के कार्यालय में एक छिपा हुआ कैमरा लगवाया ताकि ठोस सबूत जुटाए जा सकें।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि हेडमास्टर, जो शिक्षकों के एक संघ में वरिष्ठ पद पर हैं और पहले एक प्रमुख शिक्षकों के संगठन के राज्य अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं, अपने प्रभाव का उपयोग करके विरोध को दबाने का प्रयास करते थे। उन्होंने कथित तौर पर ग्रामीणों और कर्मचारियों को उनके कार्यों का विरोध करने पर राजकार्य में बाधा डालने के झूठे कानूनी मामलों में फंसाने की धमकी दी थी।
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