बंगलुरु - देश के सभी राज्यों में सोशल वेलफेर डिपार्टमेंट्स द्वारा संचालित SC/ST होस्टलों में खाने की गुणवत्ता और क्लीनलीनेस को लेकर अमूमन शिकायतें मिलती रही हैं। कभी आटे में इल्ली तो कभी दालों में कीड़ा, खराब मसाले, सड़े और बासी खाना सर्व करने की रिपोर्ट्स आम हैं । लेकिन कर्नाटक सरकार ने प्रदेश में खाने की क्वालिटी को लेकर मिलने वाली शिकायतों के निराकरण, अभिभावकों, मीडिया और आम जनता के लिए food quality रिव्यु के लिए सामाजिक ऑडिट प्रणाली को लागू करते हुए भारत में पारदर्शिता का पहला मॉडल स्थापित किया है।
देश के किसी कोने से बैठकर कर्नाटक के सोशल वेलफेर डिपार्टमेंट द्वारा संचालित होस्टलों में ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर की stamped तसवीरें देख सकते हैं और ये जान सकते हैं कि बच्चों को गुणवत्तायुक्त खाना समय पर मिला है.
यह योजना दिसम्बर 2024 से शुरू हुई जिसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सबसे पिछड़े माने जाने वाले 3 जिलों में लागू किया गया लेकिन इसकी सफलता और जनता से मिल रहे जोरदार फीडबैक को देखते हुए इसे सभी जिलों में लागू किये जाने की तैयारी की जा रही है. शुरुआत बिदर, चमराजनगर और रायचूर जिलों के 293 होस्टल्स से की गई है ।
कर्नाटक के सामाजिक कल्याण विभाग की स्थापना 18-10-1956 में की गई थी। विभाग शुरू करने का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/महिला और बच्चों के कल्याण के लिए था। वर्तमान में, सामाजिक कल्याण विभाग केवल अनुसूचित जातियों के कल्याण की देखभाल कर रहा है।
कर्नाटक आवासीय शैक्षिक संस्थान समिति (Karnataka Residential Educational Institutions Society (KREIS) द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए संचालित छात्रावासों में रहने वाले छात्रों के साथ मंत्री एचसी महादेवप्पा की मुलाकातों और बैठकों के बाद यह अनूठी पहल सामने आई।
कर्नाटक में 2,500 से अधिक KREIS और छात्रावास हैं, जो रोजाना 4.5 लाख से अधिक छात्रों को भोजन कराते हैं।
महादेवप्पा को स्टूडेंट्स ने परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और भोजन वितरण में देरी के बारे में प्रतिक्रिया और शिकायतें बताई। सरकार द्वारा एक निश्चित मेनू प्रदान किए जाने के बावजूद, मेनू से विचलन और असंगतियों की बार-बार रिपोर्ट आ रही थीं।
सरकार द्वारा दिन में तीन बार के भोजन के लिए एक निर्धारित मेनू दिया गया है, लेकिन विभाग को लगातार शिकायतें मिलती कि खाना निर्धारित पैटर्न के अनुसार या समय पर नहीं परोसा जा रहा है। उदाहरण के लिए, यदि नाश्ता सुबह 8.30 बजे परोसा जाना है, तो बच्चों को अक्सर 9 बजे तक भी नहीं मिलता है, जिससे स्कूल और कॉलेज जाने में देरी होती है।
इस समस्या के समाधान के लिए, समाज कल्याण मंत्रालय ने बढ़ते बच्चों के लिए संतुलित पोषण की जरूरत, समय पर गुणवत्ता पूर्ण भोजन और उचित स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए एक नये सामाजिक ऑडिट प्रणाली शुरू करने का निर्णय लिया।
मंत्री एचसी महादेवप्पा ने बच्चों की जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए यह प्रणाली शुरू की।
चूंकि सोशल मीडिया का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, इस पहल में सभी होस्टल्स के ट्विटर हैंडल बनाये गए हैं और वार्डन को रोजाना GPS लोकेशन और टाइमस्टैम्प के साथ भोजन की तस्वीरें पोस्ट करनी होती हैं। यह पायलट प्रोजेक्ट बीदर, रायचूर और चामराजनगर जिलों में 293 संस्थानों में शुरू किया गया है। तस्वीरें दिन में तीन बार - नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने के समय अपलोड की जाती हैं।
इस पहल ने होस्टल वार्डनों को प्रतिदिन भोजन की तस्वीरें अपलोड करने के लिए जिम्मेदार बनाया है। एक 30-सदस्यीय नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है, जो इन पोस्ट्स और टिप्पणियों की निगरानी करता है।
विभाग की वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड भी बनाया गया है, जिसमें सभी भाग लेने वाले संस्थानों के सोशल मीडिया हैंडल सूचीबद्ध हैं। माता-पिता और हितधारक आसानी से अपडेट देख सकते हैं और फीडबैक दे सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर कोई किसी स्कूल की जांच करना चाहता है, तो वे रोज चार तस्वीरें देख सकते हैं - बच्चों का खाना खाते हुए, रसोइया, रसोई और टाइमस्टैम्प। अधिकारी नियमित रूप से इन मापदंडों की निगरानी करते हैं। लाइक्स और कमेंट्स के जरिए जनता की भागीदारी स्टाफ को गुणवत्ता बनाए रखने या फीडबैक के आधार पर सुधार करने के लिए प्रेरित करती है।
कर्नाटक के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी कैप्टन पी मणिवन्नन कहते हैं, " बेंगलुरु से 600 किलोमीटर दूर, बागडल, बीदर के सरकारी आवासीय विद्यालय में रात का खाना कब परोसा गया है और भोजन, रसोई आदि की तस्वीरें अपलोड की गई हैं। जिले के सभी छात्रावासों के लिए हर दिन, हर भोजन का विवरण परोसे जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर अपलोड कर दिया जाता है। सामाजिक कल्याण विभाग जो इन स्कूलों का संचालन करता है, ने सामाजिक ऑडिटिंग को सक्षम बनाने के लिए यह पारदर्शिता उपाय शुरू किया है जो एक क्रांतिकारी प्रयास है"
प्रत्येक तस्वीर में जीपीएस लोकेशन और टाइमस्टैंप अनिवार्य रूप से शामिल होता है। तस्वीरों में मेनू चार्ट, किचन की साफ-सफाई और बच्चों को भोजन करते हुए दिखाया जाता है।
सामाजिक ऑडिट प्रणाली को लेकर सख्त दिशा-निर्देश लागू हैं। अपलोड की गई तस्वीरों में बच्चों को भोजन करते हुए दिखाया जाना चाहिए। यह उच्च जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित करता है और यह भी कि बच्चे परोसा गया खाना खा रहे हैं ।
http://foodswdgok.in वेबसाइट पर अपलोड की गई तस्वीरें आसानी से देखी जा सकती हैं।एक 24/7 हेल्पलाइन नंबर भी चालू किया गया है, जहां से लोग भोजन की गुणवत्ता पर सवाल पूछ सकते हैं।
किसी भी त्वरित सहायता या अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए नागरिक विभाग की 24/7 हेल्पलाइन नंबर +91 94823 00400 पर कॉल कर सकते हैं।
26 जनवरी, 2025 को दूसरे चरण का शुभारंभ किया जाएगा, जिसमें 7 और जिलों को शामिल किया जाएगा। इस चरण में कुल 946 होस्टल कवर किए जाएंगे। पूरे राज्य में 3000 से अधिक होस्टल और स्कूलों को इस प्रणाली के तहत लाने की योजना है।
1 दिसंबर को पूर्ण पायलट के रूप में शुरू की गई यह पहल KREIS के तहत स्कूलों और छात्रावासों में जवाबदेही और रीयल-टाइम निगरानी सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखती है, जो विशेष रूप से अनुसूचित जातियों सहित हाशिए के समुदायों की सेवा करते हैं। तकनीक और सोशल मीडिया का लाभ उठाकर, यह प्रोजेक्ट पारदर्शिता और जन भागीदारी को बढ़ाता है।
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